(Bhiwani News) भिवानी। ब्रह्माकुमारी ओम राधे को सभी ब्राह्मण वत्स मातेश्वरी या मम्मा कहकर बुलाते थे। उन्होंने हमारे जीवन को ऊंचा उठाने के लिए श्रेष्ठ धारणाएं बतलाई। उनके जीवन में सच्चाई और सफाई का विशेष गुण था। उनका कहना था कि जीवन की हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझकर चलो। इससे अपने कर्मों पर अटेन्शन बना रहेगा। उन्होंने हम सभी को ईश्वरीय मर्यादाएं और नियम बतलाए।
आज भी उनकी सूक्ष्म प्रेरणा हम सभी को मिलती रहती है। यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी की शाखा सिद्धि धाम में ब्रह्माकुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका ओम राधे मीठी मम्मा की 60वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए शाखा प्रमुख राजयोगिनी बीके सुमित्रा बहन ने उपस्थित ब्रह्मावत्सों के समक्ष कही। बीके सुमित्रा बहन ने बताया कि मातेश्वरी जी का लौकिक जन्म वर्ष 1919 में अमृतसर में हुआ था। उनके बचपन का नाम ओम राधे था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान थीं। 24 जून 1965 को आपने अपने नश्वर देह का त्याग करके संपूर्णता को प्राप्त किया था। वैष्णवी व प्रार्ची ने मां के गीत पर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
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