दोनों देश एक अगस्त से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में जुटे
India-US Trade Deal (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर चल रही वार्ता का अहम पांचवां दौर समाप्त हो गया है। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने इस दौर की वार्ता को सकारात्मक बताया है। इसके साथ ही यह उम्मीद की है कि दोनों देशों की यह कोशिश है कि इस व्यापार समझौते को एक अगस्त से पहले अंतिम रूप दे दिया जाए। एक अधिकारी ने इस संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि भारत के मुख्य वातार्कार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में वार्ता का पांचवां दौर 14 से 17 जुलाइ तक वाशिंगटन में हुआ। इसमें दोनों दलों के बीच काफी ज्यादा वार्ता हुई और लगभग सभी बिंदुओं पर सहमति बनती दिखाई दी।
इन क्षेत्रों पर अभी अटकी वार्ता
कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग पर भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में भारत ने अब तक अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। कुछ किसान संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि व्यापार समझौते में कृषि से जुड़े किसी भी मुद्दे को शामिल न किया जाए।
दूसरी ओर, अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, आॅटोमोबाइल, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, कृषि वस्तुओं, डेयरी उत्पादों, सेब, वृक्ष नट्स और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर शुल्क रियायत चाहता है। दोनों देश प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण के लिए बातचीत इस साल पतझड़ (सितंबर-अक्तूबर) तक पूरी करना चाहते हैं। उससे पहले, वे एक अंतरिम व्यापार समझौते पर भी विचार कर रहे हैं। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका को भारत का वस्तु निर्यात 22.8 प्रतिशत बढ़कर 25.51 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 11.68 प्रतिशत बढ़कर 12.86 अरब डॉलर हो गया।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर दे चुके ये सलाह
शुक्रवार को रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस स्थिति पर अपनी टिप्पणी देते हुए भारत को सतर्क रुख एख्तियार करने की सलाह दी है। रघुराम राजन ने कहा है कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय बहुत सावधान और चतुराई से काम लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते में सबसे ज्यादा ध्यान कृषि क्षेत्र में देने की है, जिसे विकसीत देशों द्वारा भारी सब्सिडी दी जाती है। साक्षात्कार में राजन ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6 से 7 प्रतिशत के दायरे में स्थिर हो गई है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जहां व्यापार वार्ता अधिक कठिन है, वह कृषि जैसे क्षेत्र हैं, जहां प्रत्येक देश अपने उत्पादकों को सब्सिडी देते हैं। हमारे उत्पादक अपेक्षाकृत छोटे हो सकते हैं, उनकी सब्सिडी कुछ कम हो सकती है। ऐसे में अगर कृषि उत्पादों का बिना नियंत्रण के आयात होता है तो हमारे किसानों के लिए यह मुश्किलें पैदा कर सकता है।
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