Why is Nitish happy over Mamta’s victory? ममता की जीत पर नीतीश खुश क्यों?

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इस कोरोना काल में हालात को संभालने में नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली बिहार सरकार की नीति, अनीति, कुनीति, सुनीति, राजनीति, रणनीति सब फेल है। इसलिए इस मुद्दे पर मायूसी के अलावा कुछ भी कहने की चाह नहीं है। बावजूद इसके यह सवाल जरूर है कि बेगानी शादी में अब्दुला दीवाना क्यों हुआ। यानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्त पार्टी भाजपा की बंगाल में हुई करारी हार के बावजूद जदयू के लोग इतने खुश क्यों हैं। इस गेम को ठीक से समझिए। इधर, बंगाल में भाजपा की करारी हार हुई। उधर, लालू यादव जेल से बाहर आ गए हैं। फलतः बिहार में कुछ राजनीतिक खिचड़ी अभी से पकने लगी है, यह प्रतीत हो रहा है।

मौजूदा हालात को देखकर जानकार बताते हैं कि बिहार में भाजपा और जदयू के बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। दरअसल, बंगाल में ममता बनर्जी ने बीजेपी का ‘खेल’ खराब कर दिया है। बंगाल की सत्ता के लिए बीजेपी ने एड़ी-चोटी की बाजी लगा दी थी। मगर आप जानते ही हैं कि चुनाव में रिजल्ट आखिरी सत्य है। ममता बनर्जी ने भाजपा को जबर्दस्त पटखनी दी है। ममता लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। बीजेपी की तमाम कोशिशों के बाद भी ममता बनर्जी बंगाल के रण में परास्त नहीं हो सकीं। बंगाल चुनाव में भाजपा की हार से तमाम विपक्षी दल के नेता खुश हैं। खास बात यह है कि बंगाल चुनाव में जेडीयू के करीब 45 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। फिर भी पार्टी के नेता खूब खुश हैं। जेडीयू नेताओं में खुशी इस बात को लेकर है कि बंगाल के रण में ममता बनर्जी की बड़ी जीत हुई है। जदयू के वरिष्ठ नेता और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है की ममता बनर्जी ने भारी ‘चक्रव्यूह’ को तोड़कर जीत दर्ज की हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि भारी चक्रव्यूह को तोड़कर पश्चिम बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता बनर्जी को बहुत-बहुत बधाई।

आपको बता दें कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू नेताओं में भीतर ही भीतर खटपट होती रहती है। हाल ही में जब नीतीश सरकार के नाइट कर्फ्यू के टाइमिंग पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सवाल उठाया था तो जेडीयू के नेता उनपर टूट पड़े थे। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा, ललन सिंह और संजय झा ने संजय जायसवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जबकि लालू यादव और शहाबुद्दीन के प्रति खुद नीतीश कुमार ने नरमी दिखाई। कभी लालू के लेफ्टिनेंट कहे जानेवाले शहाबुद्दीन से बीजेपी के नेता लड़ते रहे। अब उनकी मौत हो चुकी है। साल 2016 में भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा से जमानत पर रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन ने कहा था कि नीतीश कुमार हमारे नेता नहीं हो सकते। वे परिस्थियों के मुख्यमंत्री हैं। हमारे नेता लालू यादव ने अधिक सीट होते हुए भी उन्हें मुख्यमंत्री का ताज पहनाया। उस समय बिहार में जदयू, राजद और कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी। फिलहाल नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री हैं। मगर शहाबुद्दीन की मौत पर नीतीश कुमार की शोक संवेदना कई बीजेपी नेताओं को रास नहीं आया।

वहीं दूसरी ओर चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव को हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया सिर्फ इतना कहा था कि ये सब लालू जी और कोर्ट के बीच का मामला है। जबकि बिहार में बीजेपी की राजनीति का मुख्य आधार ही लालू विरोध पर टिका है और नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बीजेपी के समर्थन से बने हैं। खैर, पश्चिम बंगाल चुनाव के रिजल्ट के साथ ही बिहार की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। ऐसा लग रहा है मानों पश्चिम बंगाल नतीजों का ममता बनर्जी से ज्यादा बिहार के नेता इंतजार कर रहे थे। जेल में बंद मोकामा के बाहुबली आरजेडी विधायक अनंत सिंह के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया कि यदि बीजेपी बंगाल जीती तो झारखंड सरकार पे खतरा। और अगर टीएमसी जीती तो बिहार सरकार पे खतरा। अनंत सिंह के इस ट्वीट की भी खूब चर्चा हो रही है। बाहुबली विधायक के इस ट्वीट को लेकर इसलिए भी चर्चा है क्योंकि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भी जमानत मिल चुकी है। अनंत सिंह ने अपने ट्वीट के जरिए सीधे-सीधे संकेत दिए हैं कि बिहार की राजनीति में भी परिवर्तन दिख सकता है।

उधर, सीएम बनने के बाद से नीतीश कुमार लगातार अपने संगठन को भी मजबूत करने में जुटे हैं। वैसे भी दूसरे चुनावों के रिजल्ट देखकर बिहार की राजनीतिक फिजा बदलती रही है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की करारी हार होने पर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री का पद त्याग दिया था। फिर उन्होंने 2015 विधानसभा चुनाव में लालू यादव और कांग्रेस के हाथ मिलाकर बीजेपी को पटखनी दी थी। इसके बाद के विधानसभा चुनावों के बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए नीतीश कुमार ने लालू यादव से दोस्ती खत्म कर दोबारा से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। इन उदाहरणों को देखकर चर्चाओं का बाजार गरम है कि क्या टीएमसी की पश्चिम बंगाल में हैट्रिक लगाने से बिहार की राजनीति में भी हलचल दिख सकती है? फिलहाल यही दिख रहा है कि ममता की जीत से नीतीश की पार्टी बहुत खुश है। अब देखना है कि आगे क्या होता है।

विदित हो कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बनी है। वहीं बीजेपी 74 और आरजेडी को 75 सीटें आई हैं। इसके बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी है। सरकार बनने के बाद से लगातार बीजेपी की राज्य ईकाई से जुड़े नेता कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार चलाने में मनमानी करते हैं। खुद डेप्युटी सीएम तारकिशोर प्रसाद बीजेपी कार्यकर्ताओं के सामने स्वीकार चुके हैं कि सरकार पर बीजेपी के एजेंडे की छाप नहीं दिख पा रही है।

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