हकेवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार भारत एट 75 को हुआ शुभारंभ

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Two-day national seminar India at 75 was inaugurated in HKV

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:

  • समाज उपयोगी हो शोध का उद्देश्य- प्रफुल्ल अकांत
  • कुलपति बोले नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से मिलेगी शोध को नई दिशा

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) व स्टूडेंट फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमेनिटी (शोध) हरियाणा की साझेदारी से भारत एट 75: सोशल, इकनोमिक, पोलिटिकल एंड क्लचरल डाइमेंशन विषय पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुक्रवार को शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाज सेवी व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्री प्रफुल्ल अकांत उपस्थित रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। इस अवसर पर श्री प्रफुल्ल अकांत ने कहा कि शोध का सही लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जबकि वह समाज उपयोगी होगा। उन्होंने अपने संबोधन में भारत को आत्मनिर्भर व विश्वशक्ति बनाने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त किया जाएगा।

दीप प्रज्जवलन कर सेमिनार का उद्घाटन किया

कार्यक्रम की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत व दीपप्रज्जवलन के साथ हुई। इसके पश्चात सेमिनार के निदेशक प्रो. दिनेश गुप्ता ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में शोध की राष्ट्रीय सह-संयोजक डॉ. पूजा राव ने आईसीएसएसआर व शोध के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में शोध के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. आलोक सिंह ने भारतीय ज्ञान परम्परा और उससे जुड़ें समाज हित पर विस्तार से बात रखते हुए शोध के उद्देश्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से शोध निरंतर भारत की सामाजिक परिकल्पना और समाज की बेहतरी हेतु शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। आयोजन में मुख्य अतिथि प्रफुल्ल अकांत ने विश्वविद्यालय कुलपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और भारत की पहचान पर विमर्श से ही इसके विकास को गति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि भारत में विविधत में एकता का उल्लेख किया जाता है जबकि सही मायने में यह कथन एकता में विविधता होना चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में भारत की समृद्धता, गौरवशाली इतिहास, सामाजिक समरसता, आर्थिक चिंतन, महिलाओं के प्रति चिंतन का उल्लेख करते हुए समाज हितैषी व जनउपयोगी शोध की ओर बढ़ने का आह्वान प्रतिभागियों से किया। उन्होंने आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि सब कुछ उचित रहा हो, भारत के इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण उपलब्ध हैं जोकि यहां व्याप्त पर्दाप्रथा, वर्ण व्यवस्था के अनुचित चलन को प्रदर्शित करते हैं। श्री प्रफुल्ल अकांत ने इस अवसर पर शोध के माध्यम से प्रधानमंत्री द्वारा दिखाए गए आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित किया और विश्वविद्यालय स्तर पर कैम्पस टू कम्यूनिटी व रूरल इंटर्नशिप प्रोग्राम जैसे माध्यमों को अपनाने पर जोर दिया।

नई शिक्षा नीति का उल्लेख किया

विश्वविद्यालय कुलपति ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में देश के 25 राज्यों व केंद्रशासित राज्यों से आए विद्यार्थी अध्ययनरत हैं और हम उनके माध्यम से भारतवर्ष में उपलब्ध शोध की जमीनी आवश्यकताओं को समझते हुए उल्लेखनीय बदलाव ला सकते हैं। कुलपति ने कहा कि आज जरूरत है बहुविकल्पीय शिक्षा व्यवस्था की और इसके प्रति सकारात्मक रवैया अपनाते हुए आगे बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वावलंबी भारत के निर्माण हेतु युवाओं की भूमिका विशेष रूप से उल्लेख किया है ऐसे में युवा पीढ़ी को अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए इस दिशा में बढ़कर कार्य करना होगा।

इस आयोजन में ये लोग उपस्थित रहे

कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में समाज सेवी श्रीमती ममता यादव ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से महिलाएं पुरातन काल से ही भारत निर्माण में पुरूषों की अपेक्षा उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसिचव प्रो. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस आयोजन में प्रो. सारिका शर्मा, प्रो. आनंद शर्मा, प्रो. रंजन अनेजा, डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. रेनु यादव, डॉ. अजय पाल शर्मा, आयोजन सचिव राहुल गोयत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, प्रभारी, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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