Potato Crop: आलू की फसल को चौपट कर देंगे ये 3 कीट और रोग

0
55
Potato Crop: आलू की फसल को चौपट कर देंगे ये 3 कीट और रोग
Potato Crop: आलू की फसल को चौपट कर देंगे ये 3 कीट और रोग

बचाव के लिए अपनाएं ये आसान उपाय
Potato Crop, (आज समाज), नई दिल्ली: देश के अधिकतर राज्यों में किसानों ने अक्टूबर-नवंबर में आलू की बुवाई का काम पूरा कर लिया था। लेकिन दिसंबर का आते ही आलू की फसल में कीट और रोग लगने का खतरा बढ़ गया है, जिससे पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि बीमारी की पहचान की जाए, क्योंकि जब तक इसकी पहचान नहीं होगी, तब तक इसका बचाव करना भी मुश्किल है। ऐसे में आज हम किसानों को आलू की फसल में लगने वाले रोग और कीटों की पहचान और बचाव का वैज्ञानिक तरीका बताएंगे।

सफेद भृंग कीट के लक्षण और बचाव

आलू के पौधे अब थोड़े बड़े होने लगे हैं। इस बीच आलू की फसल पर सफेद भृंग कीट का संक्रमण देखा जा रहा है। इस कीट के लगने से आलू का पौधा सूख जाता है। ये कीट आलू की जड़ों को चट कर जाते हैं। वहीं, मादा कीट मिट्टी में अंडे देती है, जिससे मटमैले रंग के कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।

एक्सपर्ट की मानें तो किसानों को इस कीट से फसलों के बचाव के लिए शाम के 7 से 9 बजे के बीच में 1 लाइट ट्रैप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगाना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को कार्बोफ्यूरान 3 जी की 25 किलो मात्रा (प्रति हेक्टेयर) का उपयोग बुवाई के समय या कुछ दिनों के बाद करना चाहिए।

अगेती झुलसा रोग के लक्षण और बचाव

अगेती झुलसा रोग के संक्रमण से पौधे की पत्तियों पर भूरे रंग का धब्बा बन जाता है। इस धब्बे का आकार गोल और अंगूठी जैसा लगता है। इन धब्बों के कारण पत्तियां नकारात्मक रूप से प्रभावित होती हैं। वहीं, इस रोग से उत्पादन पर 70 फीसदी तक असर पड़ सकता है।

इस रोग से बवाच के लिए किसानों को खेत को साफ-सुथरा रखना चाहिए। इसके अलावा किसान मैंकोजेब 75 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा या कार्बेन्डाजिम और मैन्कोजेब को मिलाकर उसकी कुल 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं।

लाही कीट के लक्षण और उससे बचाव

मौसम में बदलाव होते ही आलू में लाही कीट का आक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लाही गुलाबी या हरे रंग का होते हैं। यह पौधे की पत्तियों से रस को चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं, जिसके कारण पत्ते और तन्ने खराब हो जाते हैं। यह आलू के अलावा सरसों और अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

इस रोग से बचने के लिए किसानों को आलू की फसल पर आॅक्सी डेमेटान-मिथाइल 25 प्रतिशत में 1 लीटर प्रति हेक्टेयर, थियाथोमैक्स 25 प्रतिशत में 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।