गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव में संगत की मौजूदगी ने समझा दिए जी आया नूं के मायने

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धार्मिक सौहार्द का संदेश दे रहा श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाशोत्सव
धार्मिक सौहार्द का संदेश दे रहा श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाशोत्सव

अनुरेखा लांबरा, पानीपत:
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सिखों के नौवें हिंद दी चादर यानी गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव पर भारी संख्या में पानीपत पहुंची संगत ने ये अहसास करा दिया कि जी आया नूं के मायने क्या हैं। सेक्टर 13-17 में 25 एकड़ बना भव्य पांडाल पिछले तीन दिनों से पानीपत के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना था, जो बाहर से आने वाली संगत को भी लुभाता रहा। आयोजन इतना बड़ा कि केवल पार्किंग के लिए 60 एकड़ की जगह रखी गई है। आयोजन समिति के संयोजक और सांसद संजय भाटिया ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अधिकारियों का आभार भी जताया।

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22 क्विंटल फूलों से 50 घंटे में सजा स्टेज

गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव में संगत की मौजूदगी ने समझा दिए जी आया नूं के मायने
गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव में संगत की मौजूदगी ने समझा दिए जी आया नूं के मायने

हिंद की चादर श्री गुरु तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर भव्य और विशाल स्टेज तैयार किया गया। 22 क्विंटल फूलों का इस्तेमाल करके लगातार दिन-रात 50 घंटे की मेहनत के बाद 24 कारीगरों ने इसे तैयार किया था। यहीं गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश हुआ और शब्द-कीर्तन शुरू हुआ। कारीगर भोला राम ने बताया था कि वह बुलंदशहर से फूलों की सजावट के लिए आए हैं।

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फूलों की संख्या और मात्रा

गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव में संगत की मौजूदगी ने समझा दिए जी आया नूं के मायने
गुरु श्री तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव में संगत की मौजूदगी ने समझा दिए जी आया नूं के मायने

4 क्विंटल गुलाब के फूल, 8 क्विंटल मार्गरेट के फूल, 5 क्विंटल पीले रंग के गेंदे के फूल और 5 क्विंटल नारंगी रंग के गेंदे के फूल का इस्तेमाल किया गया है। भोलाराम ने बताया कि सजावट के लिए ढाई क्विंटल हरी मेथी का भी इस्तेमाल किया गया है। 50 किलो मैदे की लेई भी बनाई गई थी, जिसे लगाकर फूलों को चिपकाया गया। उन्होंने श्रद्धाभाव से कार्यक्रम के अनुरूप भव्य स्टेज बनाया है।

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