Teachers Day 2023: जुआरियों व शराबियों का अड्डा बन चुके यूपी के एक स्कूल को पढ़ने लायक बनवाया, 5 की जगह अब 250 बच्चे

0
143
Teachers Day 2023
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंगलवार को पुरस्कार लेती आसिया फारुकी।

Aaj Samaj (आज समाज), Teachers Day 2023, नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने टीचर्स-डे पर पांच सितंबर को देशभर के 75 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड-2023 से सम्मानित किया। यह पुरस्कार पाने वाले अध्यापकों में उत्तर प्रदेश की आसिया भी हैं जिन्होंने जुआरियों और शराबियों का अड्डा बन चुके अपने स्कूल को इन समस्याओं से पूरी तरह मुक्त करवाकर बच्चों की संख्या को 5 से 250 पहुंचा दिया है। यह वाकया यूपी के फतेहपुर जिले के प्राथमिक विद्यालय (अस्ती) का है।

  • राष्ट्रपति ने देश के 75 टीचरों को किया सम्मानित

2016 में स्कूल पहुंची तो अंदर कचरे के ढेर देख हैरान रह गईं

प्रमोशन मिलने के बाद प्रिंसिपल बनकर आसिया फारुकी जब 2016 में इस स्कूल में पहुंची तो स्कूल के अदंर का दृश्य देखकर वह हतप्रभ रह गई। उन्होंने कहा, मैंने जब स्कूल का गेट खोला तो देखा, जगह-जगह शराब की बोतलें बिखरी थीं। क्लासरूम के सामने कचरे का ढेर था और बच्चों के खेल के मैदान में जानवर बांधने के लिए खूंटे गड़े थे। स्कूल कम, यह तबेला ज्यादा लग रहा था। हालात देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए।

स्कूल बंद होने के बाद जुआ खेलने आते थे शराबी : बच्चे

आसिया का कहना है कि पहले दिन केवल पांच बच्चे स्कूल आए थे और उन में से एक ने बताया कि मैडम स्कूल बंद होने के बाद शराबी यहां जुआ खेलने आते हैं। महिलाएं यहीं पर कपड़े धोती हैं और फिर स्कूल की चारदीवारी पर कपड़े सूखने के लिए डाल देती हैं। आसिया से उस बच्चे ने कहा, स्कूल की हालत इतनी जर्जर है कि लगता है अचानक छत हमारे ऊपर न गिर जाए। आसिया का कहना है कि उन्होंने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा, मैं आपकी नई टीचर हूं और अब रोज स्कूल खुलेगा। उन्होंने बच्चों से कहा, मैं आप सबको पढ़ाउंगी। आसिया ने स्कूल में इकलौती टीचर थी और उन्होंने ठान लिया कि जो कुछ भी हो जाए स्कूल को सुधारना है।

स्कूल की संपत्ति पर थी बदमाशों की नजर

आसिया ने बताया कि बदमाशों और जुआरियों की नजर स्कूल की संपत्ति पर थी। उन्होंने कहा, आए दिन वे मुझे परेशान करने के लिए नए तरीके खोजते रहते थे। कभी घर लौटते वक्त स्कूल के बाहर खड़ा मेरा स्कूटर पंचर मिलता। कभी गाड़ी का शीशा फोड़ दिया जाता। वे चाहते थे कि मैं किसी तरह स्कूल छोड़कर चली जाऊं। यह सब देखकर मैंने पुलिस की मदद ली। गांव में पुलिस आई तो शरारती तत्वों ने मुझे परेशान करना बंद कर दिया।

अपने पैसे से स्कूल की मरम्मत करवाई

आसिया ने कहा, मैंने सबसे पहले स्कूल में साफ-साफाई करवाई। मरम्मत से लेकर रंगाई-पुताई और कचरे के ढेर को हटवाया। बाहर से माली को बुलवाकर मैदान की जुताई करवाई और यहां पर नया प्लेइंग एरिया और गार्डन बनवाया। मेरी मेहनत देखकर गांव के कुछ लोगों ने मुझे सपोर्ट किया। इससे बच्चों की संख्या भी बढ़ी।

यह भी पढ़ें :

Connect With Us: Twitter Facebook

 

 

SHARE