US-China Tariff Agreement : अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार का अंत

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US-China Tariff Agreement : अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार का अंत
US-China Tariff Agreement : अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार का अंत

दोनों देशों ने किया समझौता, जारी की नई टैरिफ दरें

US-China Tariff Agreement (आज समाज), बिजनेस डेस्क : करीब 35 दिन बाद आखिर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ नीति को लेकर नई पॉलिसी बन गई। दोनों देश आपसी सहयोग और विकास के पथ पर मिलकर चलने को राजी हो गए और परस्पर नई टैरिफ नीति की घोषणा भी कर दी। इस घोषणा के बाद जहां दोनों देशों की आर्थिकता को बल मिलेगा वहीं विश्व में मंडरा रहा टैरिफ वार और आर्थिक मंदी का साया भी कुछ हद तक टल गया है।

जानकारी के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच रविवार को जेनेवा में ट्रेड डील पर सहमति बन गई है। दोनों देशों ने टैरिफ में 115% कटौती का ऐलान किया है। जिनेवा में दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका, चीनी सामानों पर 30% टैरिफ लगाएगा। वहीं चीन, अमेरिकी सामानों पर 10% टैरिफ लगाएगा।

90 दिन के लिए जारी होगी नई नीति

दोनों देशों के बीच टैरिफ में यह कटौती फिलहाल 90 दिनों के लिए हुई है। जिनेवा में दो दिनों की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच ये समझौता हुआ। चीन के साथ चल रहे ट्रेड वॉर के बीच इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बड़ी जीत माना जा रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने ट्रेड डील को लेकर हुई बातचीत के बाद मीडिया से बातचीत की।

ये बाले अमेरिकी अधिकारी

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा- ये घाटा कम करने के लिए अच्छी डील व्हाइट हाउस ने 11 मई को एक बयान में चीन से व्यापार समझौते की घोषणा की थी। हालांकि व्हाइट हाउस ने तब इसकी डिटेल नहीं दी थी। चीनी उप-प्रधानमंत्री हे लीफेंग ने कहा था कि जिनेवा में सोमवार को एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया जाएगा। वहीं, उप वाणिज्य मंत्री ली चेंगगैंग ने कहा कि इसमें दुनिया के लिए अच्छी खबर होगी। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे व्यापार घाटा कम करने के लिए एक डील बताया, जबकि चीनी अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अहम सहमति बनी है और नए सिरे से आर्थिक बातचीत शुरू करने पर सहमति हुई है।

अप्रैल में अमेरिका ने लगाया था इतना टैरिफ

पिछले महीने ट्रम्प ने चीनी सामानों पर 145% टैरिफ लगा दिए थे, जिसके बदले चीन ने भी अमेरिकी सामान पर 125% तक का टैरिफ लगा दिया था। जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सालाना 600 अरब डॉलर का व्यापार लगभग रुक गया था।

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