Updates On Waqf Amendment Act, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने इस दौरान अधिनियम को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा कि संसद द्वारा पारित कानून में संवैधानिकता की धारणा होती है और जब तक कोई स्पष्ट मामला नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।
पिछले महीने कानून बना वक्फ बिल
वक्फ संशोधन विधेयक पिछले महीने कानून बना। इससे पहले, न्यायालय ने तीन मुद्दे चिन्हित किए थे – उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ, वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों का नामांकन और वक्फ के तहत सरकारी भूमि की पहचान। तब केंद्र ने आश्वासन दिया था कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, वह इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं करेगा।
जानें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा
आज जब न्यायालय की बैठक हुई, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र ने इन तीन मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा, हालांकि, याचिकाकर्ताओं की लिखित दलीलें अब कई अन्य मुद्दों तक विस्तारित हो गई हैं। मेरा अनुरोध है कि इसे केवल तीन मुद्दों तक ही सीमित रखा जाए।
याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर आपत्ति जताई। तत्कालीन सीजेआई (संजीव खन्ना) ने कहा, हम मामले की सुनवाई करेंगे और देखेंगे कि अंतरिम राहत क्या दी जानी चाहिए। सिंघवी ने कहा, अब हम तीन मुद्दों तक सीमित नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती।
वक्फ की जमीनों पर कब्जा करना मकसद : कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ की जमीनों पर कब्जा करना है। कानून इस तरह से बनाया गया है कि वक्फ की संपत्ति बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए छीन ली जाए। उन्होंने इस शर्त की ओर भी इशारा किया कि कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ बना सकता है। उन्होंने कहा, अगर मैं अपनी मृत्युशैया पर हूं और मैं वक्फ बनाना चाहता हूं, तो मुझे यह साबित करना होगा कि मैं एक मुसलमान हूं।
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