Protest against Dalit oppression : दलित उत्पीडन के विरोध में सामाजिक संगठनों तथा कांग्रेस ने किया जोरदार प्रदर्शन

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Social organizations and Congress staged a strong protest against Dalit oppression.
दलित उत्पीडन के विरोध में प्रदर्शन करते कांग्रेसी व विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी।
  • जिला सचिवालय के गेट के बाहर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी
  • राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को सौंपा मांगों का ज्ञापन

Rewari News(आज समाज नेटवर्क) रेवाड़ी। एडीजीपी वाई पूरण कुमार की संदिग्ध आत्महत्या, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने, रायबरेली में हरिओम वाल्मिकी की हत्या समेत तमाम दलित उत्पीडन की घटनाओं के विरोध में सोमवार को विभिन्न संगठनों व कांग्रेस पार्टी की ओर से जोरदार प्रदर्शन किया गया। दलित संगठनों व कांग्रेस के हल्ला बोल प्रदर्शन के चलते प्रदर्शनकारी जिला सचिवालय के गेट के बाहर ही बैठ गए तथा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में उपायुक्त अभिषेक मीणा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।प्रदर्शनकारी राजीव चौक पर एकत्रित हुए। जिन्होंने जिला सचिवालय तक जोरदार मार्च निकाला।

उन्होंने वाई पूरण कुमार को इंसाफ दो तथा दलितों पर अत्याचार बंद करो जैसे अनेकों नारे भी लगाए। इस प्रदर्शन में पूर्व विधायक चिरंजीव राव, जिला कांग्रेस कमेटी रेवाड़ी (शहरी) अध्यक्ष प्रवीण चौधरी, ग्रामीण अध्यक्ष सुभाष छावड़ी, महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष सीमा धमीजा, एससी सैल के जिला अध्यक्ष रमेश ठेकेदार, भरत सिंह बावल, चरण सिंह (पूर्व सरपंच), ईश्वर महलावत समेत संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन और दलित समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रदर्शन में सामाजिक संगठनों माता रमाबाई सामाजिक उत्थान संस्था, गुरु रविदास मंदिर हॉस्टल, आवाज फाउंडेशन, सेवा स्तंभ रेवाड़ी, जाटव विकास समिति, मिशन इक्वलिटी, वाल्मीकि समाज और प्रजापति समाज के प्रतिनिधि प्रमुख रूप से शामिल हुए।

हरियाणा में हाल ही में घटित घटनाएँ पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गहरी चिंता का विषय हैं

इस मौके पर एआईसीसी सचिव एवं पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि हरियाणा में हाल ही में घटित घटनाएँ पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गहरी चिंता का विषय हैं। एक ओर राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गावई पर अदालत के भीतर जूता फेंकने की घटना ने लोकतंत्र और न्यायपालिका की गंभीर स्थिति को उजागर किया है।
उन्होंने कहा कि यदि देश का सर्वोच्च न्यायाधीश भी अदालत के भीतर सुरक्षित नहीं है और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सरकारी दबाव, उत्पीडऩ और जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या करने को विवश हो जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।

परिवार पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहता था, फिर भी उनकी इच्छा के विरुद्ध जबरन पोस्टमार्टम कराया गया

चिरंजीव राव ने कहा कि वाई पूरण कुमार दलित समाज से आते थे और उनके सुसाइड नोट में मानसिक उत्पीडऩ एवं जातिगत भेदभाव का स्पष्ट उल्लेख है, जो प्रदेश सरकार की दलित-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि सरकार मृतक अधिकारी के परिवार की बात को लगातार नजरअंदाज कर रही है। परिवार पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहता था, फिर भी उनकी इच्छा के विरुद्ध जबरन पोस्टमार्टम कराया गया। एफआईआर में परिवार द्वारा मांगी गई आवश्यक धाराएँ अब तक शामिल नहीं की गई हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास कर रही है।

चिरंजीव राव ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामले की उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराई जाए। मृतक परिवार की सभी मांगों का सम्मान किया जाए और दलित समाज के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर तुरंत रोक लगाने के ठोस कदम उठाए जाएँ।जिला कांग्रेस कमेटी शहरी अध्यक्ष प्रवीण चौधरी और ग्रामीण अध्यक्ष सुभाष छावड़ी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीडि़त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है और यह लड़ाई सडक़ से लेकर सदन तक जारी रहेगी।

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