जप दिवस पर तेरापंथ भवन में हुआ धार्मिक परीक्षा का आयोजन

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Religious Examination Organized in Terapanth Bhavan on chanting day
Religious Examination Organized in Terapanth Bhavan on chanting day

आज समाज डिजिटल, रोहतक :

श्री जैन तेरापंथ भवन में आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के आज छठे दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया। इस मौके पर महिलाओं की धार्मिक परीक्षा का आयोजन किया गया जिसमें 24 तीर्थंकर 11 आचार्य से संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता लिखित पेपर लिया गया ।

विजेता महिलाओं को पुरस्कार देकर किया सम्मानित

इस मौके पर उपासिका मधुबाला जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि सभी धर्म संप्रदायों में मंत्र साधना की परंपरा रही है। मंत्र साधन के पास मुख्य तीन शक्तियां होती है आत्म शक्ति, मंत्र शक्ति, इष्ट शक्ति, मंत्र किसी वर्णनात्मक संयोजन का नाम नहीं है ,किंतु संकलिप्त चित्त की वर्ण संयोजन का नाम है यह जब होता है। तब आराधना का चित्त एकात्मक हो जाता है मन के उत्थान में मंत्र सहायक ही नहीं, किंतु उपकारी भी है मन के सचेतन तन होते ही मंत्र का सामर्थ्य प्रकट होता है यही व्रद्धिगत सामर्थ्य मंत्र को महामंत्र की भूमिका तक ले जाता है।

चित्त की निर्मलता ही मंत्र सिद्धि का आधार

उपासिका गुलाब देवी ने कहा कि नमस्कार महामंत्र आकार में बहुत छोटा होता है। परंतु उपलब्धिया तथा संभावनाओं का खजाना है। मौलिकता यह है कि मंत्र चाहे जो भी हो ,यह जीवन से जुड़ता है। जब तक मंत्र जीवन से, जीवन की अवस्थाओं से नहीं जुड़ता ,तब तक यह जीवन मंत्र नहीं बनता जब जीवन्त बनता है।मनोयोगपूर्वक ध्यान आसन में बैठकर निष्काम भाव से जपने पर,ध्यान और रंगों की भाषा शब्द शक्ति से बहुत आगे जाती है। अगर इसमें कोई पुत्र मांगता है, संपत्ति मांगता है, तो वह महान भूल करता है मंत्र की आशातना करता है महामंत्र से केवल आत्मोशिक्त की मांग करनी चाहिए क्योंकि मंत्र जाप की प्रथम उपलब्धि है आत्मशक्ति का संचय, जिससे प्राप्त होता है मनोबल, विवेक और व्यवहार का पोषण कौशल है इस मौके पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महिलाओं द्वारा अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।

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