Punjab-Haryana Water Dispute : पंजाब ने बीबीएमबी पर लगाए भ्रामक जानकारी देने के आरोप

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Punjab-Haryana Water Dispute : पंजाब ने बीबीएमबी पर लगाए भ्रामक जानकारी देने के आरोप
Punjab-Haryana Water Dispute : पंजाब ने बीबीएमबी पर लगाए भ्रामक जानकारी देने के आरोप

पंजाब ने हरियाणा को पानी छोड़ने संबंधी अदालती आदेशों को दी चुनौती, प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का लगाया दोष

Punjab-Haryana Water Dispute (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन दोनों प्रदेश के मतभेद के बीच बीबीएमबी की एंट्री ने इस और भी लंबा खींच दिया है। पंजाब सरकार एक तरफ जहां हरियाणा व किसी अन्य प्रदेश को अतिरिक्त पानी न देने पर अड़ी हुई है वहीं उसने बीबीएमबी के विरुद्ध भी मोर्चा खोल दिया है।

इसी के तहत अब पंजाब सरकार ने हरियाणा को पानी छोड़ने संबंधी 6 मई के आदेशों को चुनौती देते हुए अदालत में एक समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें इस आदेश को गलत और माननीय अदालत के समक्ष पेश की गई भ्रामक जानकारी पर आधारित बताया गया है।

भाजपा के इशारे पर काम कर रहा बीबीएमबी

अधिक जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब सरकार ने याचिका में बताया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर पंजाब के पानी को गैर-कानूनी तौर पर हरियाणा की ओर भेजने की कोशिश कर रहा है। पंजाब सरकार ने प्रक्रिया संबंधी अनियमितताओं और तथ्यों की गलत प्रस्तुति पर गंभीर चिंताएं जाहिर कीं जो इस विवादास्पद हुक्म को जारी करने का कारण बनीं।

दो मई को हुई मीटिंग पर उठाए सवाल

सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2 मई की मीटिंग को औपचारिक तौर पर फैसला लेने वाले मंच के रूप में गलत ढंग से पेश करके अदालत को गुमराह करने की कोशिश की गई थी। पंजाब सरकार ने बताया कि राज्य के अधिकारियों को मीटिंग संबंधी कोई भी औपचारिक मिनट प्रदान नहीं किया गया। सिर्फ एक प्रेस नोट भेजा गया, जिसे मीटिंग में लिए गए फैसलों का आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार ने सवाल किया कि जब पहले कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया था तो आदेश कैसे लागू किया जा सकता है?

राज्य सरकार ने कहा कि बीबीएमबी ने अपेक्षित कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना हरियाणा को पानी छोड़ने की कोशिश करके अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है। पंजाब सरकार ने इस बात को उजागर किया कि केंद्र सरकार भी अदालत के निदेर्शों पर 2 मई की मीटिंग के आधिकारिक मिनट पेश करने में असफल रही, इसकी बजाय उन्होंने सिर्फ डिस्कशन रिकॉर्ड पेश किया।

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