मीन राशिफल 19 सितंबर 2022

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Pisces Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

दिनाँक:- 19/09/2022, सोमवार
नवमी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मीन

प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। नौकरी में वर्चस्व स्थापित होगा। आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर सहयोग व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी।

तिथि———– नवमी 19:01:08 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———— आर्द्रा 18:09:20
योग——— व्यतापता 07:26:33
करण————– गर 19:01:08
वार———————– सोमवार
माह———————– आश्विन
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि—————– कन्या
रितु————————– शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:07:16
सूर्यास्त—————- 18:18:19
दिन काल————- 12:11:03
रात्री काल————- 11:49:24
चंद्रास्त—————- 14:23:48
चंद्रोदय—————- 24:41:15

लग्न—- कन्या 1°54′ , 151°54′

सूर्य नक्षत्र———- उत्तरा फाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र——————- आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत

🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩

ङ—- आर्द्रा 11:24:13

छ—- आर्द्रा 18:09:20

के—- पुनर्वसु 24:54:12

राहू काल 07:39 – 09:10 अशुभ
यम घंटा 10:41 – 12:13 अशुभ
गुली काल 13:44 – 15:16 अशुभ
अभिजित 11:48 – 12:37 शुभ
दूर मुहूर्त 12:37 – 13:26 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:03 – 15:52 अशुभ
वर्ज्यम 31:39* – 33:26* अशुभ

💮चोघडिया, दिन
अमृत 06:07 – 07:39 शुभ
काल 07:39 – 09:10 अशुभ
शुभ 09:10 – 10:41 शुभ
रोग 10:41 – 12:13 अशुभ
उद्वेग 12:13 – 13:44 अशुभ
चर 13:44 – 15:16 शुभ
लाभ 15:16 – 16:47 शुभ
अमृत 16:47 – 18:18 शुभ

🚩चोघडिया, रात
चर 18:18 – 19:47 शुभ
रोग 19:47 – 21:16 अशुभ
काल 21:16 – 22:44 अशुभ
लाभ 22:44 – 24:13* शुभ
उद्वेग 24:13* – 25:42* अशुभ
शुभ 25:42* – 27:10* शुभ
अमृत 27:10* – 28:39* शुभ
चर 28:39* – 30:08* शुभ

💮होरा, दिन
चन्द्र 06:07 – 07:08
शनि 07:08 – 08:09
बृहस्पति 08:09 – 09:10
मंगल 09:10 – 10:11
सूर्य 10:11 – 11:12
शुक्र 11:12 – 12:13
बुध 12:13 – 13:14
चन्द्र 13:14 – 14:15
शनि 14:15 – 15:16
बृहस्पति 15:16 – 16:16
मंगल 16:16 – 17:17
सूर्य 17:17 – 18:18

🚩होरा, रात
शुक्र 18:18 – 19:17
बुध 19:17 – 20:17
चन्द्र 20:17 – 21:16
शनि 21:16 – 22:15
बृहस्पति 22:15 – 23:14
मंगल 23:14 – 24:13
सूर्य 24:13* – 25:12
शुक्र 25:12* – 26:11
बुध 26:11* – 27:10
चन्द्र 27:10* – 28:10
शनि 28:10* – 29:09
बृहस्पति 29:09* – 30:08

🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩

कन्या > 05:08 से 07:22 तक
तुला > 07:22 से 09:28 तक
वृश्चिक > 09:28 से 11:44 तक
धनु > 11:44 से 14:10 तक
मकर > 14:10 से 15:52 तक
कुम्भ > 15:52 से 17:20 तक
मीन > 17:20 से 17:54 तक
मेष > 17:54 से 19:28 तक
वृषभ > 19:28 से 22:14 तक
कर्क > 01:14 से 02:44 तक
सिंह > 02:44 से 05:08 तक

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 9 + 2 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

💮 शिव वास एवं फल -:

24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

🚩भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

* नवमी श्राद्ध

* शौभाग्यवतीनां श्राद्ध

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

वापीकूपतडागानामारामसुरवेश्यनाम् ।
उच्छेदने निराशंकः स विप्रो म्लेच्छ उच्यते ।।
।। चा o नी o।।

एक ब्राह्मण जो तालाब को, कुए को, टाके को, बगीचे को और मंदिर को नष्ट करता है, वह म्लेच्छ है.

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13

अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम्‌ ।,
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥,

अध्यात्म ज्ञान में (जिस ज्ञान द्वारा आत्मवस्तु और अनात्मवस्तु जानी जाए, उस ज्ञान का नाम ‘अध्यात्म ज्ञान’ है) नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के अर्थरूप परमात्मा को ही देखना- यह सब ज्ञान (इस अध्याय के श्लोक 7 से लेकर यहाँ तक जो साधन कहे हैं, वे सब तत्वज्ञान की प्राप्ति में हेतु होने से ‘ज्ञान’ नाम से कहे गए हैं) है और जो इसके विपरीत है वह अज्ञान (ऊपर कहे हुए ज्ञान के साधनों से विपरीत तो मान, दम्भ, हिंसा आदि हैं, वे अज्ञान की वृद्धि में हेतु होने से ‘अज्ञान’ नाम से कहे गए हैं) है- ऐसा कहा है॥,11॥,

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