मीन राशिफल 10 मई 2022

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***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग *** 
*** अथ पंचांगम् *** 
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** 

दिनाँक:-10/05/2022, मंगलवार
नवमी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मीन

आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। भूमि, भवन, दुकान व फैक्टरी आदि के खरीदने की योजना बनेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। अपरिचितों पर अतिविश्वास न करें। प्रमाद न करें। आपको बाहर लोगों के साथ टाइम बिताने से अच्छा है। आपने घर के लोगों के साथ समय व्यतीत करेंगे,उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हे हल करने की कोशिश करें। आप अपने लंबे समय से रुके हुए कार्य को पूरा करने में सफल रहेंगे। कार्यक्षेत्र में आपको काफी संघर्ष के बाद सफलता मिलती दिख रही है,लेकिन आप अपने बड़े खर्चों को लेकर परेशान होंगे,इसीलिए आपको फिजूलखर्ची करने से बचना होगा नहीं तो अपने धन को भी समाप्त कर सकते हैं। आपकी धर्म के प्रति रुचि बढ़ेगी।

तिथि———– नवमी 19:23:57 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————– मघा18:38:37
योग ध्रुव————– 20:19:57
करण———– बालव 07:03:21
करण———– कौलव 19:23:57
वार———————– मंगलवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————– सिंह
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:34:50
सूर्यास्त————— 18:56:44
दिन काल————- 13:21:53
रात्री काल———— 10:37:27
चंद्रोदय————— 13:09:05
चंद्रास्त—————- 26:29:51

लग्न—-मेष 25°11′ , 25°11′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र——————- मघा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण *** 

मी—- मघा 05:57:54

मू—- मघा 12:19:37

मे—- मघा 18:38:37

मो—- पूर्वाफाल्गुनी 24:54:51

*** ग्रह गोचर *** 

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मेष 25:12 भरणी , 4 लो
चन्द्र =सिंह 06°23 , मघा , 2 मी
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 14 °05, उo भा o ‘ 4 ञ
मंगल=कुम्भ 24°30 ‘ पूoभाo’ 2 सो
गुरु=मीन 05°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°40 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण *** 

राहू काल 15:36 – 17:17 अशुभ
यम घंटा 08:55 – 10:36 अशुभ
गुली काल 12:16 – 13:56 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:15 – 09:09 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:12 – 24:05* अशुभ

गंड मूल 05:35 – 18:39 अशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:35 – 07:15 अशुभ
उद्वेग 07:15 – 08:55 अशुभ
चर 08:55 – 10:36 शुभ
लाभ 10:36 – 12:16 शुभ
अमृत 12:16 – 13:56 शुभ
काल 13:56 – 15:36 अशुभ
शुभ 15:36 – 17:17 शुभ
रोग 17:17 – 18:57 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 18:57 – 20:16 अशुभ
लाभ 20:16 – 21:36 शुभ
उद्वेग 21:36 – 22:56 अशुभ
शुभ 22:56 – 24:15* शुभ
अमृत 24:15* – 25:35* शुभ
चर 25:35* – 26:55* शुभ
रोग 26:55* – 28:15* अशुभ
काल 28:15* – 29:34* अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:35 – 06:42
सूर्य 06:42 – 07:48
शुक्र 07:48 – 08:55
बुध 08:55 – 10:02
चन्द्र 10:02 – 11:09
शनि 11:09 – 12:16
बृहस्पति 12:16 – 13:23
मंगल 13:23 – 14:29
सूर्य 14:29 – 15:36
शुक्र 15:36 – 16:43
बुध 16:43 – 17:50
चन्द्र 17:50 – 18:57

होरा, रात
शनि 18:57 – 19:50
बृहस्पति 19:50 – 20:43
मंगल 20:43 – 21:36
सूर्य 21:36 – 22:29
शुक्र 22:29 – 23:22
बुध 23:22 – 24:15
चन्द्र 24:15* – 25:09
शनि 25:09* – 26:02
बृहस्पति 26:02* – 26:55
मंगल 26:55* – 27:48
सूर्य 27:48* – 28:41
शुक्र 28:41* – 29:34

*** उदयलग्न प्रवेशकाल *** 

मेष > 03:20 से 05:02 तक
वृषभ > 05:02 से 07:02 तक
मिथुन > 07:02 से 09:10 तक
कर्क > 0910 से 11:28 तक
सिंह > 11:28 से 13:44 तक
कन्या > 13:44 से 05:56 तक
तुला > 05:56 से 06:07 तक
वृश्चिक > 06:07 से 08:21 तक
धनु > 08:21 से 22:22 तक
मकर > 22:22 से 00:02 तक
कुम्भ > 00:02 से 01:44 तक
मीन > 01:44 से 03:20 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

9 + 3 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी *** 

* श्री जानकी नवमी (जन्मोत्सव)

* श्री हरि: जयंती

*** शुभ विचार *** 

एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद् दत्त्वा चानृणी भवेत् ।।
।। चा o नी o।।

इस दुनिया में वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगुरु ने ज्ञान का एक अक्षर दिया उसके कर्जे से मुक्त कर सके.

*** सुभाषितानि *** 

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्‌।,
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्‌॥,

मन, वाणी और शरीर से किसी प्रकार भी किसी को कष्ट न देना, यथार्थ और प्रिय भाषण (अन्तःकरण और इन्द्रियों के द्वारा जैसा निश्चय किया हो, वैसे-का-वैसा ही प्रिय शब्दों में कहने का नाम ‘सत्यभाषण’ है), अपना अपकार करने वाले पर भी क्रोध का न होना, कर्मों में कर्तापन के अभिमान का त्याग, अन्तःकरण की उपरति अर्थात्‌ चित्त की चञ्चलता का अभाव, किसी की भी निन्दादि न करना, सब भूतप्राणियों में हेतुरहित दया, इन्द्रियों का विषयों के साथ संयोग होने पर भी उनमें आसक्ति का न होना, कोमलता, लोक और शास्त्र से विरुद्ध आचरण में लज्जा और व्यर्थ चेष्टाओं का अभाव॥,2॥,

 

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
***  *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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