हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन Hanuman Ji With Shani Dev

शनिदेव को रावण ने लंका में बंधी बना रखा था। तब हनुमान जी ने ही शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था। उस वक्त शनिदेव से हनुमान जी को वचन दिया था कि उनके अशुभ प्रभाव बजरंगबली को भक्तों पर नहीं पड़ेंगे।

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Hanuman Ji With Shani Dev

आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Hanuman Ji With Shani Dev : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए पवनपुत्र हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों पर शनिदेव का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल को मनाई है। धार्मिक कथाओं के अनुसार शनिदेव की कुदृष्टि से हर कोई भयभीत रहता है। शनिदेव की बुरी नजर से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है।

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Hanuman Ji With  Shani Dev

शनिदेव ने दिया था हनुमान जी को वचन Hanuman Ji With Shani Dev

धार्मिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव को रावण ने लंका में बंधी बना रखा था। तब हनुमान जी ने ही शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था। उस वक्त शनिदेव से हनुमान जी को वचन दिया था कि उनके अशुभ प्रभाव बजरंगबली को भक्तों पर नहीं पड़ेंगे।

शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से मिलते हैं शुभ फल Hanuman Ji With Shani Dev

धार्मिका मान्यताओं के अनुसार, शनिवार के दिन हनुमान जी व शनिदेव की पूजा करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनिवार का दिन हनुमान जी व शनिदेव को समर्पित माना गया है। इसलिए इस दिन हर व्यक्ति को हनुमान जी व शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। (Hanuman Ji With Shani Dev)

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Hanuman Ji With  Shani Dev

शनिदोष से मुक्ति पाने के उपाय Hanuman Ji With Shani Dev

शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर संभव हो तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ भी अवश्य करें। हनुमान जी की पूजा करने से शनिदोष से मुक्ति पाने की मान्यता है।

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हनुमान जी को पवन पुत्र क्यों कहा जाता है? Hanuman Ji With Shani Dev

Hanuman Ji With Shani Devपौरा​णिक कथा के अनुसार, केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद कई वर्षों तक माता अंजना को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं हुई। वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगीं। ऋषि ने बताया की वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करो। फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। माता अंजना वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया कि उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा। इस तरह मां अंजना ने हनुमान जी के रूप में पुत्र को जन्म दिया। इसी कारण हनुमान को पवनपुत्र, केसरीनंदन आदि नामों से जाना जाता है।

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