Ganpati Visarjan: विधि-विधान से करें गणपति विसर्जन

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Ganpati Visarjan: विधि-विधान से करें गणपति विसर्जन
Ganpati Visarjan: विधि-विधान से करें गणपति विसर्जन

जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Ganpati Visarjan, (आज समाज), नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी उत्सव, जो भक्ति और भव्यता के साथ मनाया जाता है, दस दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है। 2025 में, अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर यानी की आज है, जो भगवान गणेश, जिन्हें प्यार से बप्पा कहा जाता है, को भावपूर्ण विदाई का प्रतीक है।

भक्त गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों के साथ उनकी मूर्तियों का विसर्जन करते हैं, जो आगमन और प्रस्थान के चक्र का प्रतीक है।जब भगवान गणेश की प्रतिमा को पूरे सम्मान और धूमधाम के साथ विसर्जित किया जाता है, तो आइए जानते हैं गणेश विसर्जन की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और इससे जुड़ी परंपराएं।

गणपति विसर्जन 2025 की तिथि

गणेश पर्व का समापन 6 सितंबर को होगा। इसी दिन अनंत चतुर्दशी भी मनाई जाती है, जिसे गणेश विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, लेकिन कुछ साधक अपनी परंपराओं के अनुसार 1.5, 3, 5 या 7 दिनों के बाद भी गणपति का विसर्जन करते हैं।

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त

  • सुबह 07 बजकर 36 से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
  • दोपहर 12 बजकर 17 बजे से शाम 04 बजकर 59 बजे तक।
  • सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – शाम 06 बजकर 37 बजे से रात 08 बजकर 02 बजे तक।
  • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – रात 09 बजकर 28 बजे से 01 बजकर 45 बजे तक, 7 सितंबर 2025।
  • उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – सुबह 04 बजकर 36 बजे से 06 बजकर 02 बजे तक, 7 सितंबर 2025।

गणेश विसर्जन का महत्व

गणेश विसर्जन सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से को दिखाता है। यह जीवन की नश्वरता और परमात्मा की अनंतता का प्रतीक है। भक्त इस दिन गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ का जयकारा लगाते हुए उनसे अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हैं। यह विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है कि शिव पुत्र अपने साथ भक्तों के सभी दुखों और बाधाओं को भी ले जाते हैं।

विधि

  • गणेश विसर्जन के दिन, भक्त पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान गणेश को अंतिम विदाई देते हैं।
  • सबसे पहले, मूर्ति के सामने उत्तर पूजा (अंतिम अनुष्ठान) की जाती है।
  • इस दौरान, भगवान को हल्दी, कुमकुम, मोदक और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
  • इसके बाद आरती की जाती है और भक्त उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं।
  • इसके बाद, भक्त पूरे परिवार के साथ भगवान की प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों की थाप, भक्ति गीतों और गणपति बप्पा मोरया के जयकारे के साथ गणेश विसर्जन की यात्रा शुरू करते हैं।
  • अंत में, प्रतिमा को किसी पवित्र नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है।
  • कुछ साधक घर पर ही मिट्टी की प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं, जिससे जल प्रदूषण को कम किया जा सके।