देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा सहकार से समृद्धि का मंत्र

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Panipat News/The mantra of prosperity through cooperation will pave the way for the progress of the country
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आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय सहकारिता क्षेत्र के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहा है। बीते एक वर्षों में देश में सहकारिता आंदोलन को ना सिर्फ गति प्रदान की गई है, बल्कि जमीनी स्तर पर उसकी पहुँच को व्यापक बनाने की कवायद भी तेजी से जारी है। इसी दिशा में 2 सितंबर, 2022 को नई राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया। नई राष्ट्रीय सहयोग नीति के निर्माण से जहाँ सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, वहीं ‘सहकार से समृद्धि’ का लक्ष्य भी साकार होगा।

सहकारिता मंत्रालय के गठन का ऐतिहासिक निर्णय लिया था

कृषि, डेयरी, मत्स्यपालन, बुनाई, ऋण और व्यापार सहित कई प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय ‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़’ सहकारिता क्षेत्र को आजादी के बाद भी वर्षों तक उपेक्षा का शिकार बना कर रखा गया था, जबकि देश की आधी से ज्यादा आबादी किसी-न-किसी रूप में सहकारिता से जुड़ी हुई है। ऐसे में, सकारिता क्षेत्र को एक नया क्षितिज प्रदान करने के लिए मोदी सरकार ने जुलाई, 2021 में सहकारिता मंत्रालय के गठन का ऐतिहासिक निर्णय लिया था, जिसका कार्य भार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा गया। जन कल्याण से जुड़ी अपनी नीतियों के लिए प्रसिद्ध भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में सहकारिता की नींव को मजबूत बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। देश भर के राज्यों में सहकारी समितियों का निर्माण और इसका मजबूत ढाँचा आज इसकी मिसाल पेश कर रहे हैं।

इस दिशा में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया

हाल ही में, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है, जिसे सहकारिता संबंधी योजनाओं के सुचारु कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी दी गई है। इस दिशा में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया गया है। ये समितियाँ दूध परीक्षण प्रयोगशालाएँ, दूध प्रसंस्करण इकाइयाँ, बायोफ्लॉक पान्‍डस का निर्माण, फिश कियोस्क, हैचरीज का विकास, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की नौकाओं को हासिल करने आदि जैसी अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे की स्थापना करने में सक्षम होंगी।

रोजगार के अवसर सृजित होने के साथ-साथ सहकारिता क्षेत्र भी सशक्त होगा

मोदी की दूरदर्शी सोच और अमित शाह की अगुवाई में अमृतकाल के पहले केंद्रीय बजट 2023-24 को सहकारिता क्षेत्र के लिए बूस्टर खुराक की तरह पेश किया जाना भी अपने आप में सराहनीय पहल है। मोदी-शाह की जोड़ी ने देश के सभी पंचायतों में पैक्स, डेयरी एवं मत्स्य सहकारी समितियों की स्‍थापना करने पर ज़ोर दिया है। जिसके तहत अगले पाँच वर्षों में 2 लाख पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित होने के साथ-साथ सहकारिता क्षेत्र भी सशक्त होगा।

देश में अमृतकाल का आगमन हो चुका है

दुनिया के सबसे बड़े विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता के स्थापना की घोषणा, सहकारी समितियों के मैपिंग के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण, 63,000 पैक्स का कंप्यूटरीकरण, 31 मार्च, 2024 तक बनने वाली उत्पादन क्षेत्र की सहकारी समितियों को 15 प्रतिशत कर के दायरे में रखा जाना, 2016-17 के पूर्व गन्ना किसानों को किए गए भुगतान को ‘व्यय’ माना जाना इस बजट को और भी खास बना देता है। गौरतलब है कि आजाद भारत में इससे पहले ऐसा ऐतिहासिक बजट कभी भी पेश नहीं किया गया था। मोदी-शाह के दौर में गरीबों, किसानों और वंचितों को वरीयता देने वाली इन घोषणाओं से साबित होता है कि देश में अमृतकाल का आगमन हो चुका है।
300 से भी अधिक सामान्य सेवा केंद्रों की सेवाएँ उपलब्ध हो पाएंगी
हाल ही में, मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के दिशा-निर्देश में सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी के बीच ‘सहकारी समितियों की आत्मा’ पैक्स को सशक्त बनाने के लिए एक समझौता हुआ है। यह समझौता पैक्स को अब सामान्य सेवा केंद्रों द्वारा दी जाने वाली सेवाएँ उपलब्ध करने में सक्षम करेगा। इस समझौते के माध्यम से पैक्स को बहुउद्देश्यीय बनाकर उसके साथ 20 अलग-अलग सेवाओं – डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्नों, उर्वरकों, बीजों को खरीदने, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल वितरक, अल्पावधि और दीर्घकालिक ऋण, कस्टम हायरिंग सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर आदि – को भी जोड़ा गया है, जबकि आने वाले वर्षों में करोड़ों किसानों सहित ग्रामीण आबादी को इसके माध्यम से 300 से भी अधिक सामान्य सेवा केंद्रों की सेवाएँ उपलब्ध हो पाएंगी। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की जोड़ी ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र के साथ कई वर्षों से तिरष्कृत रहीं सहकारी समितियों को नया आयाम प्रदान करने में प्रयासरत हैं, ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ‘संकल्प से सिद्धि’ की यह यात्रा बेमिसाल उपलब्धियों से भरा रहेगा।
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