Laddu Gopal Shringar Samagri: जन्माष्टमी पर ऐसे करें कान्हा जी का श्रृंगार, पुण्य फल की होंगी प्राप्त

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Laddu Gopal Shringar Samagri: जन्माष्टमी पर ऐसे करें कान्हा जी का श्रृंगार, पुण्य फल की होंगी प्राप्त
Laddu Gopal Shringar Samagri: जन्माष्टमी पर ऐसे करें कान्हा जी का श्रृंगार, पुण्य फल की होंगी प्राप्त

जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व
Laddu Gopal Shringar Samagri, (आज समाज), नई दिल्ली: जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार 16 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान का सोलह श्रृंगार, पूजा और व्रत करने का खास महत्व होता है। ऐसा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।

जन्माष्टमी पर रात में जागरण किया जाता है और मध्य रात्रि में कान्हाजी की पूजा की जाती है। इसके लिए लड्डू गोपाल की सेवा और श्रृंगार करने का खास महत्व होता है। आर्टिकल में हम आपको बताएंगें की कैसे आप कान्हा जी का श्रृंगार कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है।

कैसे करें लड्डू गोपाल का शृंगार

जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें और पंचामृत, गंगाजल से लड्डू गोपाल को स्नान करवाएं। वस्त्र पहनाकर चंदन का लेप लगाएं। मुकुट, मुरली, मोर पंख, हार, करधनी, बांसुरी और फूलमाला अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और माखन-मिश्री, पंजीरी का भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करें।

कान्हाजी को नजर से बचाने के लिए यशोदा मईया उन्हें काजल जरूर लगाती थीं। ऐसे में श्रृंगार के समय लड्डू गोपाल को काजल जरूर लगाना चाहिए। वहीं, जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को झूला झुलाने का खास महत्व होता है। ऐसे में पूजा स्थल पर झूला जरूर रखना चाहिए।

माखन की मटकी और गाय भी रखें पास

लड्डू गोपाल का श्रृंगार करने के साथ-साथ उनके पास एक छोटी सी गाय लाकर जरूर रखनी चाहिए। वहीं, भगवान कृष्ण को माखन का भोग बेहद प्रिय है। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन छोटी सी मटकी में माखन और मिश्री भरकर कान्हा जी के पास जरूर रखनी चाहिए।

भगवान कृष्ण के इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ कृष्णाय नम:
    ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
    ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
  • ओम क्लीम कृष्णाय नम:
    गोकुल नाथाय नम:
    ॐ श्री कृष्ण: शरणं मम:
  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
  • ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

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