मां के पहले गाढ़े दूध में होते हैं नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी तत्व : .  देविंदर ढांडा

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Mother's first condensed milk contains essential elements for the physical and mental development of the newborn

विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता गतिविधियां शुरू

 मां के दूध के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पैम्फलेट का विमोचन

जगदीश,नवांशहर:
सिविल सर्जन डॉ.  देविंदर ढांडा के कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता गतिविधियां शुरू की हैं.  जिले के सभी स्वास्थ्य प्रखंडों में चिकित्सा अधिकारियों सहित विशेषज्ञ कर्मचारियों द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं नवजात माताओं को मां के दूध के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है.  स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।  इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का विषय “स्तनपान के लिए कदम: शिक्षित और समर्थन” है।  इसी क्रम में सिविल सर्जन डॉ.  देविंदर ढांडा सहित सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों ने आज मां के दूध के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक पैम्फलेट जारी किया।इस अवसर पर सिविल सर्जन डाॅ.  देविंदर ढांडा ने अपने संदेश में कहा कि मां के पहले गाढ़े दूध में नवजात के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सभी आवश्यक तत्व होते हैं।  स्तनपान बीमारियों के जोखिम को कम करता है, जबकि स्तनपान कराने से माताओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और मधुमेह का खतरा कम होता है।  इतना ही नहीं नियमित स्तनपान कराने से गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

 स्तनपान कराने से नवजात शिशुओं की मौत का खतरा कम हो सकता है

उन्होंने आगे कहा कि मां के दूध से जहां मां और बच्चे के बीच स्नेह बढ़ता है, वहीं मां खुद भी स्वस्थ रहती है.  डॉ।  ढांडा ने कहा कि बच्चे को जन्म के पहले आधे घंटे के भीतर मां का दूध पिलाना चाहिए, क्योंकि बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध (बोहला) देने से बच्चे को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.  उन्होंने कहा कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू कर नवजात शिशुओं की मृत्यु को 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।  उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें निमोनिया और डायरिया की बीमारियों से मरने का खतरा बढ़ जाता है, जो पांच साल तक के बच्चों की कुल मौतों का प्रमुख कारण हैं।  छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए और छह माह के बाद मां के दूध के साथ चावल, खिचड़ी और दलिया जैसे नर्म भोजन भी देना चाहिए।  इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा सहायक सिविल सर्जन डॉ.  डॉ. जसदेव सिंह, जिला परिवार कल्याण अधिकारी।  राकेश चंद्रा, उप चिकित्सा आयुक्त डॉ. हरप्रीत सिंह, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बलविंदर कुमार, जिला दंत स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.  लोकेश गुप्ता, जिला समूह शिक्षा एवं सूचना अधिकारी जगत राम, जिला कार्यक्रम प्रबंधक राम सिंह, जिला लेखा अधिकारी दीपक वर्मा, विकास विर्दी सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे|
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