मन एक उपजाऊ भूमि हैं इसमें आप जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल मिलेगा : विपिन कुमार शर्मा

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Mind is a fertile land whatever seed you sow in it you will get the same fruit: Vipin Kumar Sharma

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:

आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गहली में बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया।

विपिन कुमार शर्मा ने बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी

इस मौके पर नैतिक मूल्यों की शिक्षा के राज्य नोडल अधिकारी एवं पूर्व जिला बाल कल्याण अधिकारी विपिन कुमार शर्मा ने उपस्थित बच्चों व अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि मन एक उपजाऊ भूमि है इसमें आप क्रोध, घृणा, लोभ, स्नेह, मद या प्रेम, प्रसन्नता, सेवा, परोपकार, दान, दया आदि जो भी बीज बोएंगे वह अवश्य ही पनपेगा और फल भी देगा। अब आपको सोचना है कि मन में कौन सा बीज बोएं। उन्होंने कहा कि मानव द्वारा बिना सोचे समझे जल्दबाजी में लिया गया एक ही गलत निर्णय जीवन में बहुत पीछे धकेल देता है और उस गलत निर्णय के कारण मानव जीवनभर तनावग्रस्त बना रहता है। यदि आप क्रोध, मोह, स्वार्थ, अभिमान या आलस में निर्णय ले रहे हैं तो यह सम्भव है कि इसका परिणाम आपके अनुकूल ना होकर घोर घातक ही होगा। वहीं अगर आपके निर्णय का आधार प्रेम, शांति या सरलता है और अपने विवेक से निर्णय लिया गया है तो उसका परिणाम सकारात्मक व सुखमय ही होगा। प्रत्येक राष्ट्र की सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति वहां की शिक्षा पद्धति पर निर्भर करती है। शिक्षा और संस्कार जिंदगी जीने के मूल मंत्र हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा कभी झुकने नहीं देगी और संस्कार कभी गिरने नहीं देंगे।

हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है और वर्तमान में कला, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा आदि अनेक विषयों के विभिन्न संवर्गो में शिक्षा का गुणात्मक प्रसार हो रहा है फिर भी एक कमी यह है कि यहां नैतिक शिक्षा पर इतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे युवा पीढी संस्कारहीन और कोरी भौतिकतावादी बन रही है। आज व्यक्ति एवं समाज में साम्प्रदायिक्ता, जातीयता भाषावाद्, भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, हिंसा, अलगाववाद की संकीर्ण भावनाओं व समस्याओं के मूल में नैतिक मूल्यों का पतन ही उत्तरदायी कारण है। नैतिक शिक्षा से अभिप्राय उन मूल्यों, गुणों और आस्थाओं की शिक्षा से है, जिन पर मानव की निजी और समाज की सर्वश्रेष्ठ समृद्ध निर्भर करती है। नैतिक शिक्षा व्यक्ति के आंतरिक सद्गुणों को विकसित करती है, क्योंकि व्यक्ति समाज का ही एक अंग है इसलिए उसके सद्गुणों के विकास का अर्थ है – समय समाज का सुसभ्य एवं सुसंस्कृत होना।

सामाजिक नीतियों का पालन करना

उन्होंने कहा कि वास्तव में नैतिक गुणों की कोई सूची नहीं बनाई जा सकती परन्तु हम इतना अवश्य कह सकते हैं कि मनुष्य में अच्छे गुणों को हम नैतिक कह सकते हैं जो व्यक्ति के स्वयं के विकास और कल्याण के साथ दूसरों के कल्याण में भी सहायक हो। नैतिक मूल्यों का समावेश जीवन के सभी क्षेत्रों में होता है। व्यक्ति परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की यात्रा होती है। नैतिकता समाज में सामाजिक जीवन को सुगम बनाती है। मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक नीतियों का पालन करना पड़ता है जिनमें संस्कार, सत्य, परोपकार, अहिंसा आदि शामिल हैं। वास्तव में ये सभी नैतिक गुणों में आते है और बच्चों को इन्हें बचपन से ही धारण कर लेना चाहिए ताकि अच्छे परिवार, समाज, राष्ट्र का निर्माण हो सकें। उन्होंने बच्चों को उच्च श्रेणी की शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा को भी अवधारण करने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर प्रवक्ता डा. जितेन्द्र भारद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा बच्चों को अपने जीवन में नैतिक मूल्य धारण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि हमारे विद्यालय में बच्चों को प्रतिदिन नैतिक मूल्यों से अवगत करवाया जाता है तथा सभी बच्चें व अध्यापकगण इनका पालन करते हैं।

इस अवसर पर बाल भवन नारनौल से तीरन्दाजी कोच सुरेन्द्र शर्मा, प्राचार्य सुनीता देवी व प्रवक्ता सुरेश कुमार, प्रवक्ता अनु यादव, प्रवक्ता रंजीता शर्मा, प्रवक्ता बजरंग लाल, प्रवक्ता सुनीता कुमारी, प्रवक्ता विनेश कुमारी व डीपी ऊषा देवी, लैब सहायक संजय सहित सभी स्कूली बच्चे उपस्थित थे।

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