Karnal Lok Sabha Elections : इतिहास बना था करनाल लोकसभा का चुनाव।जिसकी मतगणना सुप्रीम कोर्ट में हुई थी।

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करनाल लोकसभा का चुनाव
करनाल लोकसभा का चुनाव

Aaj Samaj (आज समाज), Karnal Lok Sabha Elections, करनाल,इशिका ठाकुर : आजादी के बाद पुराने समय में लोकसभा चुनाव और राजनीति को लेकर कुछ ऐसे भी रोजक किस्से है जिनसे लोग आज भी अनजान है। एक ऐसा ही किस्सा करनाल लोकसभा से भी जुड़ा हुआ है जो कि अपने आप में एक इतिहास है। चुनावो ले इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ की मतगणना सुप्रीम कोर्ट में जज के पैनल के सामने हुई हो।

यह 1962 का दौर था जब जनसंघ पार्टी से प्रत्याशी रामेश्वर नंद ने कांग्रेस पार्टी के वीरेंद्र कुमार को हराया था यह जीत बहुत बड़ी जीत थी इस जीत के बाद सांसद बने स्वामी रामेश्वर नंद ने संसद को अपने वक्तव्य के साथ पूरी पार्लियामेंट को हिला कर रख दिया था। स्वामी रामेश्वर नंद को जहां इस बात की ख्याति मिली वहीं कांग्रेस पार्टी के पास कोई ऐसा नेता भी नहीं रह गया था कि जो स्वामी रामेश्वर नंद को टक्कर दे सके। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट राममोहन राय बताते हैं कि उस दौर में स्वामी रामेश्वर नंद को इस बात का भी गुमान हो गया था कि उन्हें कोई नहीं हरा सकता उस समय की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी भी अगर उनके सामने चुनाव लड़े तो वह भी हार जाएगी।

अब 1967 में लोकसभा चुनाव हुए कांग्रेस बड़ी असमंजस में थी कि करनाल लोकसभा सीट पर किस प्रत्याशी को उतारा जाए जो स्वामी रामेश्वर नंद को हरा सके। तो कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्रता सेनानी रहे लोकल कार्यकर्ता माधव राम शर्मा को स्वामी रामेश्वर नंद के सामने करनाल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। माधव राम शर्मा आर्थिक दृष्टि से बड़े ही कमजोर थे और वह विकलांग भी थे ट्रेन हादसे में उनकी एक टांग भी चली गई थी।

पर वह अपने कार्यों की दृष्टि से बहुत ही होनहार थे। 1967 में जब रामेश्वर नंद और माधवराम शर्मा के बीच टक्कर हुई उसे समय करनाल और पानीपत विधानसभा में विधायक भी जनसंघ पार्टी के थे। पानीपत में उसे समय विधायक फतेहचंद हुआ करते थे और गली चौराहे नुक्कड़ों पर चुनावी नारा यही गूंजता था।,फतेह फतेह चंद की जय रामेश्वरम नंद की, 1967 में चुनाव के बाद जब परिणाम आया उसने सबको अचंभित कर दिया पंडित माधव राम शर्मा ने इस चुनाव में स्वामी रामेश्वर नंद को मात्र 55 वोटो से हरा दिया।

इस हार से पूरी जन संघ पार्टी में हलचल मच गई खुद कांग्रेस पार्टी को भी इस जीत पर विश्वास नहीं हो रहा था और जनसंघ पार्टी के प्रत्याशी स्वामी रामेश्वर नंद को यह जीत हजम नहीं हो रही थी।उन्होंने दोबारा से मतगणना करवाई मतगणना के बाद माधवराम शर्मा 555 वोट से आगे रहे मामला दोबारा काउंटिंग के लिए कोर्ट में पहुंचा कोर्ट से फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा 1 साल मामले की सुनवाई चली बेल्ट पेपर के बॉक्स भी कोर्ट में ही जम रहे।

1 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के जज मोहम्मद हिदायतुल्लाह की बेंच के सामने लगातार कई दिनों तक फिर से बैलट पेपर की काउंटिंग की गई। काउंटिंग में माधवराम शर्मा 5000 से भी ज्यादा वोटो से जीत गए। यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास और देश की लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहले ऐसा लोकसभा चुनाव रहा जिसकी मतगणना सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई थी।

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