परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से मिट जाते है सभी पाप
Parivartini Ekadashi, (आज समाज), नई दिल्ली: भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। इसे पद्मा एकादशी या जयंती एकादशी भी कहा जाता है। अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं तो आपके सारे पाप मिट जाते हैं। साथ ही, इस व्रत से आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अबकी बार आयुष्मान और सौभाग्य योग समेत कई मंगलकारी संयोग में परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाएगी। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है।
लक्ष्मी और नारायण भगवान की पूजा की जाती है
एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और साधना करने से देवी मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। अपनी कृपा साधकों पर बरसाती हैं। देवी मां लक्ष्मी की कृपा से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य भी किया जाता है।
मुहूर्त और महत्व जानते हैं
एकादशी तिथि का आरंभ: 03 सितंबर को देर रात 03 बजकर 53 मिनट पर।
एकादशी तिथि का समापन: 04 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर।
कब मनाई जाएगी परिवर्तिनी एकादशी
सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना होती है। हालांकि, प्रदोष और निशा काल में होने वाली पूजा के लिए उदया तिथि से गणना नहीं होती है। इस प्रकार 03 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाएगी।
भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न एक दिव्य शक्ति हैं एकादशी
एकादशी भगवान विष्णु की पुत्री नहीं बल्कि उनके शरीर से उत्पन्न एक दिव्य शक्ति हैं। पद्मपुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु राक्षस मुर से युद्ध करते हुए निद्रा में थे, तो उनके शरीर से एक कन्या उत्पन्न हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का वध किया।
प्रसन्न होकर विष्णु जी ने उस कन्या को एकादशी नाम दिया और उसे वरदान दिया कि जो भी मेरा उपवास करेगा, उसके सारे पाप नाश हो जाएंगे और उसे विष्णु लोक मिलेगा। इसलिए, एकादशी भगवान विष्णु का ही एक अंश हैं, न कि उनकी पुत्री।
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