Jammu-Kashmir Changes: कश्मीर में बदलाव की बयार, अलगाववाद विचारधारा छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे नेता व युवा

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Jammu-Kashmir Changes
जेल में बंद अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर व पाकिस्तान समर्थक दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह।

Aaj Samaj (आज समाज), Jammu-Kashmir Changes, श्रीनगर: केंद्र की मोदी सरकार के अगस्त-2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद घाटी में लगातार बदलाव की बयार बह रही है। कश्मीरी नेताओं व युवाओं का अलगाववाद विचारधारा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी कड़ी में जेल में बंद अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर और पाकिस्तान समर्थक दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह ने खुद को अलगाववादी विचारधारा से अलग कर भारत की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा का ऐलान किया है।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से अलग करने का ऐलान

गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश की बेटी रुवा शाह ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया और खुद को उनके दिवंगत दादा द्वारा स्थापित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से अलग करने का ऐलान किया है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा के प्रति उनका कोई झुकाव या सहानुभूति नहीं है। बता दें गिलानी अलगाववादी राजनीति के केंद्र में थे और वह कट्टरवादी हुर्रियत के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने हमेशा पाकिस्ताप परस्त राजनीति की। 2021 में उनका निधन हो गया था।

एक वफादार भारतीय नागरिक के रूप में अपनी स्थिति पर जोर

रुवा शाह की तरह ही कश्मीर में सीबीएसई की पूर्व टॉपर 23 वर्षीय समा शब्बीर ने गुरुवार को स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित सार्वजनिक नोटिस में एक वफादार भारतीय नागरिक के रूप में अपनी स्थिति पर जोर दिया और स्पष्ट रूप से अपने पिता द्वारा स्थापित प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन से खुद को दूर कर लिया। समा शब्बीर के पिता शब्बीर शाह फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं।

जफर हबीब डार भी मुख्यधारा में शामिल

आॅल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व नेता जफर हबीब डार इसी महीने के दूसरे सप्ताहांत में अलगाववाद और आजादी के नारे की राजनीति को छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए और उन्होंने कश्मीर में लोकतंत्र और विकास के वातावरण को मजबूत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है। जफर हबीब डार कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाल हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में दूसरी पंक्ति के नेताओं में गिने जाते रहे हैं।

2019 के बाद पहली बार जामिया मस्जिद में नमाज अदा की

कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार का असर पिछले महीने तब देखने को मिला जब कश्मीर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के मिंबर से अक्सर कश्मीर की आजादी का नारा देने वाले घाटी के प्रमुख मजहबी नेता व आॅल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी गुट के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने वर्ष 2019 के बाद पहली बार पाक रमजान में जामिया मस्जिद में नमाज-ए-जुमा अदा की।

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