राष्ट्र और समाज के उत्कर्ष में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण : शंकराचार्य

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Jagadguru Shankaracharya Swami Nischalanand Ji Saraswati Maharaj has said
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इशिका ठाकुर,करनाल :
पुरी पीठ के पीठाधिश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी सरस्वती महाराज ने कहा है कि राष्ट्र के उत्कर्ष की जिम्मेदारी से महिलाएं बच नहीं सकती हैं। देश और समाज संस्कृति को एक से दूसरी पीढ़ी में ले जाने में महिलाए अहम भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि देवताओं के चित्र को पीपल के पेड़ के नीचे नहीं रखना चाहिए। देवताओं का चित्र देव स्थान पर रखना चाहिए। श्री शंकराचार्य जी आज अपने प्रवास के दूसरे दिन सतपाल खेत्रपाल के निवास पर आयोजित महिला संगोष्ठी में बोल रहे थे। इस अवसर पर सैकड़ों महिलाओं ने श्री शंकराचर्य जी से सवाल पूछे। शंकराचार्य जी ने सभी सवालों का उत्तेर दिए। पीठ के पीठाधिश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी सरस्वती महाराज ने कहा कि आज दो पर्वों को मनाने की पंरंपरा को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह अज्ञानी पंडितों की देन हैं। एक महिला ने हिदुू धर्म में बलि की परंरा कोलेकर पूछा उन्होंने कहा कि शास्त्रों में बलि पुरा को मान्यता दी गई जिस पशु को देवताओं को बलि दिया जाताहै उसे दिव्य तन की प्राप्ति होती हैं। आज बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पर पहुंचीं। किसी महिला ने वर्ण व्यवसथा पर सवाल किए। तो किसी ने देवताओं के अस्तत्व को लकर सवल किए। एक महिला ने तंत्र और मंत्र को लेकर सवाल किया। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वह अपने परिवार से एक रुपया देव स्थान के निमित्त निकालें।

Jagadguru Shankaracharya Swami Nischalanand Ji Saraswati Maharaj has said
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सूतंक के दौरान पूजा पाठ को निषेध बताया

उन्होंने कहा कि प्रति दिन महिलाओं को गौ ग्रास निकालना चाहिए। उन्होंने कहा मठ मंदिरों को युवाओ को शिक्षा स्वास्थ्य और स्वरोजगार के प्रकल्प चलाएं। श्री शंकराचार्य जी ने कहा कि माताएं अपने बच्चों में धर्म के संस्कार संचारित करती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सनातन धर्म में साकार और निकराकार का स्थानप हैं। हमारे भगवान साकार भी है और निकराकार भी हैं। उन्होने कहा कि हमारी सृष्टि ब्रह्म से उत्पत्ति होती हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति संसार के उदगम के साथ ही शुरू हो गई थी। हिंदू संस्कृति के तहत विज्ञान और राष्ट्र के उत्कर्ष के साथ अखंड भारत का स्वरूप विश्व के हित में हैं। उन्होंने कहा कि जो अहंकार के वशीभूत होकर जो काम करते हैं। वही असफल होता हैं। उन्होंने कहा कि संत को धन की आशक्ति से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा द्वारा बनाए संत धन की आशक्ति और दिखावे के अधीन हो सकते हैं लेकिन पंरपरा से बने संत अलग होते हैं। वह दिखावा और धन की आशक्ति से दूर रहते हैं। श्री शंकराचार्य जी ने सूतंक के दौरा पूजा पाठ को निषेध बताया। उन्होंने कहा कि सूतंक में पूजा कार्य से बचना चाहिए। इस अवसर पर संगोष्ठी का संचालन श्रीमती सीमा गुप्ता ने किया।

कार्यक्रम में ये सभी रहे मौजूद

कार्यक्रम में प्रमुख तौर पर मेयर रेनू वाला गुप्ता मौजूद थी। इसके अलावा पार्षद मेधा भंडारी, बीर बिक्रम,सुनीता बहल, सुषमा अत्रेजा, ने भी सवाल किए। कार्यक्रम में मेजवान सतपाल खेत्रपाल तथा नरेश अरोड़ा ने श्री शंकराचार्य जी का स्वागत किया। इस अवसर पर महेश चावला, पंकज भारती, निर्मल बहल, चंद्र गुप्त ढींगरा,राज बजाज, विनोद खेत्रपाल, रमेश मिड्ढा, वनीत भाटिया सेहित शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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