International Geeta Mahotsav : सिंचाई विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर लगाया सूक्ष्म सिंचाई विधि का मॉडल, हरियाणा के डार्क जोन क्षेत्र के लिए लेकर आए हैं योजना

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सूक्ष्म सिंचाई विधि का मॉडल
सूक्ष्म सिंचाई विधि का मॉडल
Aaj Samaj (आज समाज), International Geeta Mahotsav, कुरूक्षेत्र, इशिका ठाकुर :
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर  जहां पूरे देश भर से शिल्पकार व कलाकार अपनी प्रदर्शनी लगाई हुए हैं तो वहीं हरियाणा सरकार के विभाग के द्वारा भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर प्रदर्शनी लगाई हुए हैं  जो संबंधित विभाग की जानकारी यहां पर आने वाले पर्यटकों को दे रही है ताकि वह योजना की जानकारी पाकर इस योजना का लाभ उठा सके.
इसी कड़ी में हरियाणा सिंचाई विभाग के द्वारा भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर हरियाणा में सूक्ष्म सिंचाई विधि के ऊपर एक प्रदर्शनी लगाई गई है जहां पर सूक्ष्म सिंचाई करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर  एक छोटा सा मॉडल लगाया गया है और सूक्ष्म सिंचाई विधि को उस मॉडल के जरिए समझाया गया है. तो वही जानते हैं कि सूक्ष्म सिंचाई विधि क्या है और इससे आने वाले समय में हरियाणा में  कितना फायदा होने वाला है. क्योंकि हरियाणा में कहीं ब्लॉक  डार्क जोन में आ चुके हैं जहां पानी क्या बड़ा संकट खड़ा हो चुका है.

हरियाणा में 141 ब्लॉक में  से 14 ब्लॉक अति डार्क जोन में शामिल

जानकारी के अनुसार हरियाणा में 141 ब्लॉक है जिनमें से 14 ब्लॉक को रेड जोन में शामिल किया गया है,  यह वह ब्लॉक है जहां पर भूमिगत पानी जल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है और वहां पर पानी की समस्या खड़ी हो गई है हरियाणा में 14 जिलों कों अति रेड जोन शामिल किया गया है जिनमें कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, झज्जर, हिसार, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, सोनीपत,पानीपत, सिरसा और जींद जिला शामिल है. यहां पर अति संवेदनशील स्थिति बताई गई है जहां पर अगर किसी व्यक्ति को सबमर्सिबल ट्यूबल लगाना है तो वह बिना परमिशन के नहीं लग सकता. ऐसी स्थिति को देखते हुए ही सिंचाई विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि शुरू की गई है ताकि वहां पर पानी के दोहन बचाए जा सके और खेती भी आसानी से की जा सके.

क्या है सूक्ष्म सिंचाई विधि

 सिंचाई विभाग के एसडीओ दीपक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि सिंचाई विभाग के द्वारा MICADA योजना लागू की गई है जिसमें ड्रिप इरीगेशन के जरिए किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं, इस योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि हरियाणा में जो पानी का संकट गहराता जा रहा है हरियाणा को उस पाने के संकट से बाहर निकाला जा सके.  वहीं अगर बात करें हरियाणा में सिंचाई विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि पर काफी जोर दिया जा रहा है ताकि किसान इसको अपनाये. इसमें किसान के खेत में एक बड़ा कंक्रीट का तालाब बनाया जाता है जहां पर किसान वर्षा या नहर का पानी इकट्ठा कर सकता है और सोलर पैनल के जरिए  अपने ट्यूबल को चला कर यहां से वह अपने खेत में पानी दे सकता है, ट्यूबल के जरिए  सूक्ष्म सिंचाई विधि में पाइपों के जरिए फवारा विधि से किसान अपने खेत में पानी से सिंचाई कर सकता है.

85% तक दिया जाता है अनुदान

उन्होंने बताया कि  हरियाणा में जो भी किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है उसको सिंचाई विभाग के द्वारा और कृषि विभाग के द्वारा 85% तक अनुदान दिया जाता है इसमें किसान को सिर्फ 15% ही भुगतान करना होता है और 15% के साथ 12% जीएसटी बना होता है बाकी 85% हरियाणा सरकार के द्वारा सिंचाई विभाग और कृषि विभाग इस पर अनुदान देती है.  जिसके चलते किसानों को नाममात्र पैसों में ही इस योजना का लाभ मिल पाता है जिसके जरिए वह ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई कर सकते हैं.

डार्क जोन क्षेत्र के लिए सिर्फ देनी पड़ती है जीएसटी

उन्होंने बताया कि हरियाणा में काफी ब्लॉक डार्क जॉन क्षेत्र में आ चुके हैं जिसके चलते सूक्ष्म सिंचाई विधि को काफी जोर देकर किसानों तक पहुंचा जा रहा है ताकि वह इसका लाभ उठाएं  उन्होंने बताया कि डार्क जॉन क्षेत्र के लिए सिंचाई विभाग और हरियाणा सरकार के द्वारा कुछ ब्लॉक के गांव चिन्हित किए गए हैं अगर उसे गांव का कोई किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है तो वह इसके लिए 100% तक अनुदान ले सकता है सिर्फ उसको इसकी 12% जीएसटी भरनी होगी बाकी 100% अनुदान विभाग के द्वारा दिया जा रहा है. हरियाणा में पानी की बचत करने के लिए कृषि विभाग और सिंचाई विभाग के द्वारा कहीं योजनाएं चलाई हुई है जिसमें से एक यह योजना विशेष तौर पर हरियाणा के किसानों के लिए सरकार लेकर आई है.

बिना बिजली के चला सकते हैं ट्यूबल, सोलर सिस्टम से की जाती है ड्रिप इरीगेशन की सिंचाई

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी होती है कि किसानों को बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाता जिसके चलते वह अपने खेत में अच्छे से खेती नहीं कर पाते  लेकिन जो भी किस सूक्ष्म सिंचाई विधि योजना का लाभ लेना चाहता है उसको बिजली की आवश्यकता नहीं होती,  उसके ट्यूबल पर सोलर पैनल लगाया जाता है ताकि वह बिना बिजली के सोलर पैनल के जरिए अपनी खेत की सिंचाई कर सके. इसमें किसान को सिर्फ एक बार पैसों का भुगतान करना पड़ता है बाकी उसके बाद वह सारा फ्री में ही प्रयोग करता है.

सूक्ष्म सिंचाई विधि से 42% पानी की होती है बचत

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि से खेत में पानी की सिंचाई करता है तो उसमें किसान 42% तक पानी की बचत कर सकता है जिसे आने वाले समय में पानी की समस्या से निपटा जा सकता है क्योंकि अगर किसान सीधा अपनी अपने खेत में लगाते हैं तो उसे पानी का दोहन ज्यादा होता है. लेकिन इस विधि के जरिए पौधे को उतना ही पानी दिया जाता है जितने उसकी आवश्यकता हुआ होती है ऐसे में किसान इस योजना का लाभ लेकर  करीब 42% पानी की भी बचत कर सकते हैं.

सूक्ष्म सिंचाई विधि से  पैदावार में होती है बढ़ोतरी

उन्होंने जानकारी देते कोई बताया कि जो किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि से खेती कर रहा है इसकी पैदावार में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है  हालांकि सिंचाई विभाग और कृषि विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि से 11% तक पैदावार की बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन यह बढ़ोतरी 20% तक भी हो जाती है क्योंकि यह अलग-अलग फसलों के आधार पर ही उत्पादन की गणना की जाती है और जिसमें किसान अपनी हर प्रकार की फसल में उत्पादन में भी बढ़ोतरी इस विधि के जरिए कर सकते हैं.

सूक्ष्म  सिंचाई विधि बागवानी ही नहीं  धान की फसल लिए भी है उपयोगी

उन्होंने बताया कि किसानों के सामने जानकारी के अभाव में एक बड़ी समस्या यह होती है कि किसान सिर्फ यह समझते हैं कि सूक्ष्म सिंचाई विधि सिर्फ बागवानी  के लिए ही कारगर होती है  लेकिन उन्होंने दावा किया कि सिंचाई विभाग ने कृषि विभाग के साथ मिलकर इस पर अच्छे से काम किया है जिसके चलते अब सूक्ष्म सिंचाई विधि के जरिए धान की खेती भी की जा रही है. वहीं जहां कृषि विभाग धान की सीधी बिजाई  के लिए किसानों को प्रोत्साहन कर रहे हैं तो उसे सीधी बिजाई में किसान ड्रिप इरीगेशन के जरिए सिंचाई कर सकते हैं,  धान की सीधी बिजाई में जितना किसान खेत में धान के पौधों में अंतर होता है इतने अंतर पर ही  ड्रिप इरीगेशन में खेत में बिछाने जाने वाली पाइपों में सुराग छोड़े गए हैं ताकि वह पौधे की जड़ पर रखकर पौधे को उतना ही पानी दे जितनी उसकी आवश्यकता होती है. और अब धान की फसल के लिए भी किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि का प्रयोग करने लगे हैं जिनके काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं.

 धान की खेती करने में होती है पानी की ज्यादा खपत

आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में धान की बड़े स्तर पर खेती की जाती है जिसके चलते एक हेक्टेयर धान की खेती करने पर 15 लाख लीटर के करीब पानी खर्च किया जाता है. ऐसे में पानी का दोहन ज्यादा होता है तो ड्रिप इरीगेशन विधि का प्रयोग करके किसान 40% तक पानी की बचत कर सकते हैं और धान की खेती भी हरियाणा में आसानी से कर सकते हैं.
 सिंचाई विभाग कृषि विभाग के साथ मिलकर इस योजना को हरियाणा के एक-एक किसान तक पहुंचाने का काम कर रहा है ताकि किसान इस विधि का प्रयोग करके पानी की भी बचत करें और अपने फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी करें.
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