इशिका ठाकुर, करनाल:
जिले की सभी अनाज मंडियों के आढ़ती अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए है। आढ़तियों की चेतावनी है कि अगर सरकार द्वारा उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह पीछे नहीं हटेंगे। मार्केट कमेटी के सामने आढ़ती ने सुबह 10 बजे से 1 बजे तक धरना देकर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। वहीं कल से आढ़ती इसी तरह से रोष धरना देकर बैठे है।
नई आनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि वो चाहते हैं उन्हें जो 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था वही मिलना चाहिए। दूसरे राज्यों का धान आने देना चाहिए और पेमेंट के लिए ऑप्शन चाहिए किसान अपने खाते में चाहता है या फिर आढ़ती के खाते में। इन मांगों को लेकर आज प्रदेश भर के मंडी आढ़ती हड़ताल पर है। सरकार ने आढ़तियों के इस व्यापार को खराब किया है। उन्होंने कहा कि आज ही प्रदेश के कृषी मंत्री ने स्टेटमेंट आई है कि हम जो खरीद करेगें ई ऑक्सन से लेगें।। इसमें किसान का फायदा है। मीडिया के माध्यम से वह उनसे पूछना चाहते है कि इस ई ऑक्सान से क्या फायदा होगा ये हमें कृषी मंत्री एक बार बता दे।
आढ़ती अनिश्चित कालीन हड़ताल पर
मंडी के आढ़ती राकेश ने बताया कि सरकार की गलत नितियों के कारण आढ़तियों ने यह कदम उठाया है। जिससे आज पूरे प्रदेश के आढ़ती अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए है। अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानती तो 21 सिंतबर को प्रदेश भर के आढ़ती करनाल की नई अनाज मंडी में एकत्रित होगें और मुख्य मंत्री आवास का घेराव करेगें। सरकार को उनकी मांगे माननी होगी। अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो उनकी हड़ताल जारी रहेगीं।
मंडी के आढ़ती सुरेन्द्र त्यागी ने बताया कि हमरी जो मांगें है उन्हें सरकार जल्द से पूरा करे। किसान के खाते में जो फसल की पेमेंट जा रही है किसान की सहमती से उसकी पेमेंट करनी चाहिए। किसान खुद बोल रहे है कि उनकी पेमेंट आढ़ती के खाते में जानी चाहिए तो सरकार को क्यों इस बात पर इंतराज है। इस बात के लिए किसान अपना एफेटेविट देने को तैयार है। सरकार द्वारा जो आढ़तियों की पेमेट की गई है उसे सरकार जल्द से पूरा करे। उन्होंने कहा कि दूसरों राज्यों में मार्किट फीस कम है। हरियाणा के किसानों से ज्यादा फीस ली जा रही है और आढ़तियों को लूटा जा रहा है। अगर सरकार ने समय पर उनकी मांगे पूरी नहीं की तो वह आगामी रणनीति बना कर सरकार के खिलाफ मोर्च खोलेगें। उन्होंने कि किसान को पेमेंट हम उसकी फसल आने से पहले देते है। उनको सरकार पेमेंट नहीं देती। जिस कारण एक आढ़ती के कई लाखों रुपए किसान वापिस नहीं करता।
मंडी में धान की खरीद नहीं होगी
नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि जब तक हड़ताल चलेगी, किसी भी मंडी में धान की खरीद नहीं की जाएगी। अगर कोई किसान फसल लेकर मंडी में आता है तो उसकी धान को मंडी में उतरवा लिया जाएगा और सुरक्षित रखवाया जाएगा, लेकिन इस दौरान न तो धान की खरीद होगी और न ही धान बेचने की प्रक्रिया शुरू होगी।
आढ़तियों की मुख्य मांगें
सभी फसलें MSP पर आढ़तियों के माध्यम से ही खरीदी जाए। आढ़तियों को पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त मिलनी चाहिए। दो सीजन से गेहूं पर 46 रुपए और धान पर 45.80 रुपए दी गई है, जबकि 51 रुपए बनती है।
पिछले साल से ही MSP का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है। इससे आढ़तियों और किसानों में रोष है। सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा के अनुसार आढ़ती या स्वयं उसके खाते में किया जाना चाहिए।
मार्केटिंग बोर्ड ने ई-नेम लागू करने के आदेश जारी किए हैं। यह प्रक्रिया प्राइवेट बिकने वाली फसलों पर लागू नहीं हो सकती है। ई-ट्रेडिंग सिर्फ उत्पाद की हो सकती है, जबकि मंडियों में आने वाली फसलें कच्चा माल हैं। इसलिए यह प्रक्रिया मंडियों में लागू न की जाए।
सीमांत किसानों को ई-खरीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड करने के बाद भी सरकार ने उनकी फसलें नहीं खरीदी हैं, जबकि सीमांत किसान प्रदेश बनने के बाद से ही मंडियों से जुड़े हुए हैं। बहुत से किसान प्रदेश के ही रहने वाले हैं। सरकार द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों और आढ़तियों को बहुत नुकसान हुआ है। इससे उनमें रोष है। आगामी सीजन में सभी सीमांत किसानों की फसलों की खरीदी जाए।
साल 2020 में धान पर मार्केट और HRDF फीस 4 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दी थी, लेकिन विभाग ने यह फीस एक प्रतिशत से बढ़ाकर फिर से 4 प्रतिशत कर दी है, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह फीस बहुत कम है। टैक्स कम होने के कारण व्यापारी दूसरे प्रदेशों से धान खरीद रहे हैं। इससे हरियाणा के किसानों को धान के दाम कम मिल रहे हैं। सरकार फीस घटाकर एक प्रतिशत करे।
गेहूं सीजन 2020 की जो पेमेंट ब्याज के रूप में आढ़तियों से काटी गई थी, वह मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद आढ़तियों को वापस नहीं की गई है। यह तुरंत दी जाए।
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