Bhai Dooj: जिन बहनों का भाई नहीं होता, वे कैसे मनाती हैं भाई दूज?

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Bhai Dooj: जिन बहनों का भाई नहीं होता, वे कैसे मनाती हैं भाई दूज?
Bhai Dooj: जिन बहनों का भाई नहीं होता, वे कैसे मनाती हैं भाई दूज?

भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सम्मान को और गहरा करता है भाई दूज
Bhai Dooj, (आज समाज), नई दिल्ली: भाई दूज, दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला यह पर्व, भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सम्मान को और गहरा करता है। यह दिन केवल प्यार का प्रतीक नहीं है, बल्कि सुरक्षा, आशीर्वाद और जिम्मेदारी की भावना को भी दर्शाता है। जिन बहनों के पास कोई वास्तविक भाई नहीं होता, उनके लिए भी यह पर्व उतना ही महत्वपूर्ण और भावपूर्ण होता है। परंपरा में ऐसे बहनों के लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं, जिनसे वे इसे श्रद्धा और प्रेम के साथ मना सकती हैं।

जिन बहनों के भाई नहीं हैं, वे क्या करें?

ऐसी बहनें अपने घर या आस-पड़ोस के किसी करीबी पुरुष सदस्य को अपना भाई मानकर भाई दूज मनाती हैं। यह पिता, चाचा, भाई समान मित्र या अन्य रिश्तेदार हो सकते हैं। इससे बहन अपने स्नेह, प्रेम और सेवा भाव को व्यक्त कर सकती है और भाई का संरक्षण और आशीर्वाद भी महसूस कर सकती है। भाई दूज केवल रक्त संबंध तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी प्रकट करता है।

भोजन की परंपरा

तिलक के बाद बहनें अपने भाई को भोजन कराकर अपनी भाई के प्रति स्नेह और सम्मान व्यक्त करती हैं। यह परंपरा न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करने का भी तरीका है। भाई को भोजन और मिठाई देना इस दिन का महत्वपूर्ण रिवाज है, जिससे बहन अपने प्रेम और सेवा भाव को प्रकट करती है और भाई को भी आशीर्वाद और सुरक्षा का अनुभव होता है।

चंद्रमा और देवताओं को भाई मानना

कुछ क्षेत्रों में, जैसे हरियाणा और महाराष्ट्र, बहनें चंद्रमा को अपना भाई मानकर पूजा करती हैं। वे तिलक करती हैं, आरती उतारती हैं और उसकी लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं। इसके अलावा, कुछ परंपराओं में बहनें भगवान यमराज या भगवान कृष्ण को भाई मानकर भी तिलक करती हैं और भोजन अर्पित करती हैं। यह पूजा और भक्ति बहन के प्रेम और सेवा भाव को सुंदर तरीके से व्यक्त करती है और भाई दूज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता को बनाए रखती है।