Horticulture Department: किसानों के लिए बागवानी विभाग की खास योजना

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खजूर के बाग का निरीक्षण करते डीएचओ।
खजूर के बाग का निरीक्षण करते डीएचओ।
  • खजूर की खेती पर 1.40 लाख का अनुदान
  • डीएचओ ने मुंडिया खेड़ा में खजूर के बाग का निरीक्षण कर किसानों को दी योजना की जानकारी

Aaj Samaj (आज समाज), Horticulture Department, नीरज कौशिक, नारनौल :
जिला उद्यान अधिकारी डा. प्रेम कुमार ने आज गांव मुंडिया खेड़ा के किसान मनीराम के खजूर के बाग का निरीक्षण कर किसानों को खजूर में कृत्रिम परागण की तकनीक की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

डा. प्रेम कुमार ने बताया कि खजूर वर्गीय पौधों में नर व मादा फूल अलग-अलग पेड़ों पर लगते है। प्राकृतिक रूप से परागण में कम सफलता मिलती है। इनमें कृत्रिम परागण किया जाता है। खजूर की खेती एक समयबद्ध कार्य है तथा इसका विषेश महतव है। कृत्रिम परागण के लिए नर फूलों से परागण एकत्रित करके मादा फूलों पर छिड़काव किया जाता है। परागण आमतौर पर सुबह जल्दी किया जाता है। शोध के अनुसार यह पाया गया है कि सुबह 8 बजे से 12 बजे के बीच किए गए परागण से अच्छी सफलता मिलती है। यह प्रक्रिया मादा पुष्पगुच्छ के खुलने के 2-3 दिनों के भीतर करनी चाहिए अन्यथा परागण विफल हो जाता है। बागवानी विभाग की तरफ से खजूर की खेती पर 1 लाख 40 हजार रूपए अनुदान देने का प्रावधान है।

नर और मादा पौधों की पहचान

नर पेड़ के पुष्पगुच्छ मादा पेड़ से पहले परिपक्व होते तथा खुल जाते हैं। नर पुष्पगुच्छ चावल की बालियों के समान और मादा के फूल ज्चार के दाने जैसे दिखते हैं। नर के पुष्पगुच्छ मोटे और चौड़े होते हैं। मादा के पुष्पगुच्छ लंबे और पतले होते हैं।

पराग का अक्रियशील वस्तु के साथ मिलाना

परागण की सफलता ताजा पराग में सबसे ज्यादा मिलती है। काफी बार एसा भी होता है कि ताजा पराग जरूरत के अनुसार कम उपलब्ध होता है। ऐसी परिस्थिति में पराग के संग्रह को अक्रियशील वस्तु जैसे टैल्लकम पाउडर या गेंहू के सूखे आटे के साथ मिलाकर किया जा सकता है। इससे उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ता।

परागण में सावधानी

यदि परागण के तुरंत बाद या 24 घंटे के भीतर बेमौसम बारिश या तेज हवा चलती है, तो पराग मादा फूलों से धुल जाने की या उड़ जाने की आशंका बनी रहती है। ऐसे समय में परागण की प्रक्रिया को दोहराना चाहिए। इससे सफल परागण होने के अवसर बढ़ जाते हैं। इसके बचाव के लिए पुष्पगुच्छ के उपर कागज के बैग का उपयोग किया जा सकता है ताकि पराग मादा फूलों से लगा रहे और परागण सफल तरीके से हो सके।

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