Hathras case – Supreme Court said that law cannot be made on law, refusal to ban the printing of victim’s photo: हाथरस मामला-सुप्रीम कोर्टने कहा कानून पर कानून नहीं बना सकते, पीड़िता की फोटो छापने पर रोक लगाने से इनकार

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नई दिल्ली। हाथरस में एक दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस मामलेमेंसुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की फोटो लगानेकेसंबंध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर कानून नहीं बना सकते है। सुप्रीम कोर्ट नेयाचिकाकर्ता को केंद्र सरकार केपास एक प्रतिनिधि दायर करने को कहा। गौरतलब है कि 19 सितंबर को इसी वर्ष उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक उन्नीस वर्षीय दलित युवती के साथ चार आरोपियों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। जिसके बाद इलाज के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी। युवती के शव को यूपी पुलिस ने कथित तौर पर रातों रात ही बिना माता-पिता की सहमति के अंतिम संस्कार भी कर दिया था। इस घटना के बाद देश में हाथरस कांड के प्रति लोगोंका गुस्सा फूटा था। इस याचिका की सुनवाई न्यायाधीश एन वी रमाना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। पीठ ने कहा कि इन मुद्दों का कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस भी शामिल है। पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इसके लिए पर्याप्त कानून है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटनाएं होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम इसके लिए कानून पर कानून नहीं बना सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि हाथरस मामले की सीबीआई जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट की निगरानी में की जाए और सीआरपीएफ पीड़ित परिवार व मामले के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करेगी।

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