Former Hockey Captain Rani Rampal Wedding: शादी के बंधन में बंधी भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल, सीए पंकज संग लिए सात फेरे

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Former Hockey Captain Rani Rampal Wedding: शादी के बंधन में बंधी भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल, सीए पंकज संग लिए सात फेरे
Former Hockey Captain Rani Rampal Wedding: शादी के बंधन में बंधी भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल, सीए पंकज संग लिए सात फेरे

कुरुक्षेत्र के पीपली स्थित पाल प्लाजा पैलेस में हुई शादी
Former Hockey Captain Rani Rampal Wedding, (आज समाज), कुरुक्षेत्र: भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान और पद्मश्री रानी रामपाल शादी के बंधन में बंध गई है। रविवार शाम को कुरुक्षेत्र के पीपली स्थित पाल प्लाजा पैलेस में रानी रामपाल ने सीए पंकज संग साथ फेरे लिए। फेरों की रस्म शाम को 4 बजे शुरू हुई थी। इसके बाद रात 8 बजे विदाई हुई। रानी रामपाल का कन्यादान कोच बलदेव सिंह ने किया। इससे पहले रविवार दोपहर को बारात रानी के दरवाजे पर पहुंची थी। इसके बाद वरमाला हुई। रानी शाहाबाद के मॉडल टाउन की रहने वाली है। इससे पहले रानी के कैंसर पीड़ित पिता रामपाल को व्हीलचेयर पर शादी समारोह के बीच लाया गया। जिन्हें देखकर रानी भावुक हो गई। रानी के घर में पिछले कई दिनों से शादी की रस्में निभाई जा रही थी।

2 महीने पहले हुई थी इंगेजमेंट

करीब 2 महीने पहले रानी रामपाल ने कुरुक्षेत्र के पंकज के साथ इंगेजमेंट की। यह इंगेजमेंट बिल्कुल गुपचुप तरीके से कुरुक्षेत्र में संपन्न हुई। इसमें दोनों परिवार के अलावा कोच बलदेव सिंह भी शामिल हुए थे।

तांगा चलाते थे रानी के पिता

रानी रामपाल के संघर्ष की कहानी उनके पिता रामपाल की मेहनत के साथ शुरू हुई थी। रानी के पिता रामपाल तांगा चलाया करते थे और अक्सर महिला हॉकी खिलाड़ियों को आते-जाते देखते थे। बस यहीं से पिता के दिल में बेटी को खिलाड़ी बनाने की चाह जाग उठी। उन्होंने अपनी 6 वर्षीय बेटी को हॉकी मैदान में कोच बलदेव सिंह के पास छोड़ दिया। बस यहां से उनके हॉकी करियर की शुरूआत हुई।

14 की उम्र में किया इंटरनेशनल डेब्यू

रानी रामपाल 14 साल की उम्र में इंटरनेशनल लेवल पर डेब्यू करने वालीं सबसे छोटी उम्र की खिलाड़ी हैं। जब वह 15 साल की थीं, 2010 में वह विश्व महिला कप की सबसे छोटी खिलाड़ी थीं। उन्होंने क्वाड्रिलियन टूर्नामेंट में 7 गोल दागकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ निर्णायक गोल दागा था, जिसकी बदौलत भारत ने हॉकी जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीता था।