SIR Effect in West Bengol : एसआईआर के डर से अवैध बांग्लादेशी छोड़ रहे भारत

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SIR Effect in West Bengol : एसआईआर के डर से अवैध बांग्लादेशी छोड़ रहे भारत
SIR Effect in West Bengol : एसआईआर के डर से अवैध बांग्लादेशी छोड़ रहे भारत

दो सप्ताह में पश्चिम बंगाल से करीब 26 हजार बांग्लादेशी भागे वापस

SIR Effect in West Bengal (आज समाज), नई दिल्ली : देश के कई राज्यों में बड़े शहरों में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान के लिए केंद्र सरकार ने एनआरसी और नागरिकता सत्यापन प्रक्रियाएं चलाई हुई हैं। इनका मकसद उन नागरिकों की पहचान करना है जोकि अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं और देश की शांति के लिए कहीं न कहीं खतरा साबित हो सकते हैं। दिसंबर 2024 में दिल्ली में बड़े पैमाने पर यह अभियान चलाया गया था। जोकि अभी भी जारी है।

वहीं इस कड़ी में अब एसआईआर भी जोड़ दी गई है। वर्तमान में इन्हीं कार्रवाईयों का प्रभाव पश्चिम बंगाल में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर इन दिनों असामान्य हलचल है। संभावित कार्रवाई की चर्चा के बीच बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अवैध प्रवासी राज्य छोड़कर वापस बांग्लादेश की ओर लौट रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस के अनुसार पिछले दो सप्ताह में हजारों लोग सीमा पार कर चुके हैं, जबकि कई गांवों में घर और झुग्गियां लगभग खाली हो गई हैं।

पिछले दो सप्ताह से तेजी से वापस गए लोग

पश्चिमी बंगाल के हकीमपुर पोस्ट, चपईनवाबगंज, मालदा, मूर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना के सीमा क्षेत्रों में सबसे अधिक गतिविधि देखी गई है।बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार केवल मालदा सेक्टर में ही लगभग 8,000 से 9,000 लोगों के सीमा पार करने का अनुमान है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कुल मिलाकर 26,000 के आसपास लोग पिछले दो हफ्तों में पश्चिम बंगाल से गायब हुए हैं, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेश में प्रवेश कर चुके हैं।

ये बोले बीएसएफ अधिकारी

एक बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि न कोई औपचारिक डिपोर्टेशन आदेश जारी हुआ है और न ही बड़े पैमाने पर पुलिस की कार्रवाई। लेकिन एसआईआर की चर्चा फैलते ही ये प्रवासी खुद ही सीमा पार कर रहे हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर 24 परगना के सीमावर्ती स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अचानक घट गई है। कुछ स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि पुराने ग्राहक अचानक गायब हो गए। सीमा के आसपास के शहरों और कस्बों में काम करने वाले मजदूर अचानक घट गए हैं।

इस डर से भाग रहे अवैध प्रवासी

प्रवासी लोगों का कहना है कि उनके पास पहचान-पत्र नहीं है, कागज नहीं है। अगर एसआईआर शुरू हुआ तो हम बच नहीं पाएंगे, इसलिए हम लौट रहे हैं। कुछ ने कहा हमारे पास नकली कागज है और वह पकड़ में आ जाएंगे। रजिस्ट्रेशन नहीं होने, दस्तावेज न होने या पहचान-पत्र में असंगति होने पर डिटेंशन कैंप भेजे जाने का डर भी बताया गया है।

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