Delhi High Court ने ड्रग्स तस्करी में शामिल विदेशी नागरिक जमानत याचिका कर दी खारिज*

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Aaj Samaj (आज समाज), Delhi High Court ,नई दिल्ली :

 एंबुलेंस और गैंगस्टर के मामलों में मुख्तार अंसारी पर आरोप तय, अब चलेगा मुकदमा*

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ एंबुलेंस और गैंगस्टर  के मुकदमों में कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं। गुरुवार को बाराबंकी एमपीएमएलए कोर्ट-4 और एसीजेएम कोर्ट-19 में चार्ज फ्रेम की कार्यवाही हुई। चार्ज फ्रेम होते ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट से जुड़े मुख्तार अंसीर और कोर्ट में मौजूद उसके 12 गुर्गों का मुंह लटक गया।

कोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट के मामले में 28 जून और एम्बुलेंस मामले में 4 जुलाई की तारीख  आरोपों पर सुनवाई के लिए निर्धारित की है। मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सुमन ने बताया कि एंबुलेंस मामले में सरकार बनाम डॉ.अल्का राय में आरोप निर्धारित किए हैं  किए गए। एसीजेएम विपिन यादव की कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुकदमे में मुख्तार अंसारी समेत सभी 13 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे। एंबुलेंस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 4 जुलाई तय की है।

गैंगस्टर एक्ट मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव की कोर्ट में 12 आरोपी पेश हुए। इसके साथ बांदा जेल से मुख्तार अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में मौजूद हुआ। वकील ने बताया कि गैंगस्टर मामले में आरोपों पर चार्ज फ्रेम हुआ है। जिस पर अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 28 जून मुकर्रर की है। सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी समेत अन्य आरोपियों के वकील ने कोर्ट से आरोपों को बेबुनियाद और फर्जी बताया था।

गौरतलब है कि गलत पते और फर्जी दस्तावेजों के सहारे ली गई एंबुलेंस (UP 41 AT 7171) के मामले में अप्रैल 2021 में कोतवाली नगर पुलिस ने मऊ जिले में श्याम संजीवनी अस्पताल की संचालक डॉ.अल्का राय के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद मुख्तार अंसारी गैंग के 13 सदस्यों पर 27 मार्च 2022 को गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई।

आरोपियों में मुख्तार अंसारी, डॉ.अल्का राय, डॉ.शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मोहम्मद जाफरी उर्फ शाहिद, आनंद यादव, मोहम्मद सुहैब मुजाहिद, अफरोज खां, जफर उर्फ चंदा, सुरेंद्र शर्मा, सलीम, मोहम्मद शाहिद और फिरोज कुरैशी शामिल थे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग्स तस्करी में शामिल विदेशी नागरिक जमानत याचिका कर दी खारिज*

दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित दवाओं की व्यावसायिक मात्रा की अवैध तस्करी में शामिल होने के आरोपी एक विदेशी नागरिक को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि घटनास्थल पर उसकी उपस्थिति प्रथम दृष्टया मामले में उसकी संलिप्तता को दर्शाती है।

अदालत ने कहा कि 8 किलोग्राम हेरोइन और 1,070 ग्राम कोकीन, जिसे व्यावसायिक मात्रा माना जाता है, मामले के सह-अभियुक्तों से बरामद की गई थी, जिनके साथ याचिकाकर्ता संपर्क में था और उनसे प्रतिबंधित सामग्री वाला सामान भी लेने आया था। .

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा, “यह मानने का कोई उचित आधार नहीं है कि याचिकाकर्ता अपराध का दोषी नहीं है।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत जमानत देने के लिए निर्धारित सीमाएं संतुष्ट नहीं हैं और इस स्तर पर याचिकाकर्ता किंग्सले न्वान्ने को कोई लाभ नहीं दिया जा सकता है और उनकी याचिका खारिज कर दी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को सूचना मिली थी कि 27 जनवरी, 2021 को युगांडा की दो महिलाएं भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवाएं लेकर आईजीआई हवाई अड्डे पर आने वाली थीं।

इसमें कहा गया कि महिलाओं को हवाई अड्डे पर रोका गया और उनके सामान से हेरोइन और कोकीन बरामद की गई।

जांच के दौरान, दोनों ने खुलासा किया कि पैकेट यहां विकास पुरी में एक व्यक्ति को दिया जाना था और जांच एजेंसी ने न्वान्ने को मौके से पकड़ लिया।

अदालत ने कहा कि सह-आरोपी शरीफा नमगंदा का फोन आने के बाद याचिकाकर्ता विकास पुरी स्थित पेस्ट्री प्लेस में आया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

इसमें कहा गया है कि आरोपों के अनुसार, याचिकाकर्ता को प्रतिबंधित पदार्थ प्राप्त करना था, जिसे उसे उस स्थान पर पहुंचाया जाना था जहां उसे गिरफ्तार किया गया था, जो प्रथम दृष्टया मामले में उसकी संलिप्तता दर्शाता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनसे कोई वसूली नहीं की गई है। वकील ने कहा, उनके खिलाफ एकमात्र आरोप साजिश का था और उन्हें युगांडा की दो सह-आरोपी महिलाओं से नशीले पदार्थों की खेप प्राप्त करनी थी।

धोखाधड़ी के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से दिल्ली की अदालत का इंकार, देखें क्या कहा*

दिल्ली  की एक अदालत ने धोखाधड़ी के आरोपी एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है और कहा है कि किसी आरोपी से निरंतर पूछताछ के अवसर से इनकार करके पुलिस की जांच करने की शक्ति को सीमित नहीं किया जा सकता है।

अवकाश न्यायाधीश अपर्णा स्वामी ने आरोपी ऋषभ शर्मा के “जांच के दौरान असहयोगात्मक रवैये” पर ध्यान दिया और उसे जांच में शामिल होने का निर्देश देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी।

यह मामला धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित है।

न्यायाधीश ने कहा, “साक्ष्य के निष्कर्ष के लिए आरोपियों से निरंतर पूछताछ के अवसर को नकार कर पुलिस की जांच की शक्ति को कम नहीं किया जा सकता है, खासकर इस प्रकृति के मामले में जहां कई तथ्य अभी भी सुलझने बाकी हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी “धोखाधड़ी के गंभीर अपराध” में शामिल था जिसमें बड़ी रकम शामिल थी और जांच शुरुआती चरण में थी।

अदालत ने 12 जून को पारित एक आदेश में आगे कहा कि आरोपी दिल्ली का स्थायी निवासी नहीं है और मामले में सह-आरोपी अभी भी फरार हैं।

इस  मामले में आरोपी ऋषभ शर्मा ने यह दावा करते हुए अग्रिम जमानत मांगी थी कि वह इस मामले में मुख्य आरोपी नहीं हैं।

अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर उनके आवेदन का विरोध किया कि ऋषभ शर्मा  अपने जवाबों में टाल-मटोल कर रहा था। जबकि धोखाधड़ी किए गए 11 करोड़ रुपये में से 3.44 लाख रुपये उसके बैंक खाते में पाए गए थे।

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि यह राशि कथित तौर पर ऋषभ शर्मा के पिता प्रेम रतन शर्मा द्वारा बैंक खाते में जमा की गई थी, जो मामले में मुख्य आरोपी थे, प्रेम रतन शर्मा को 4 मई, 2023 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्राथमिकी 2019 में दर्ज की गई थी।

लुहरी जलविद्युत परियोजना में अवैज्ञानिक विस्फोट से हिमाचल हाईकोर्ट चिंतित, स्वतः संज्ञान देते हुए सरकार को भेजा नोटिस*

हिमाचल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए लुहरी जलविद्युत परियोजना, के पहले चरण के दौरान अनियंत्रित और अवैज्ञानिक विस्फोट से हुए नुकसान से संबंधित एक मामले में मुख्य सचिव के माध्यम से हिमाचल प्रदेश राज्य को प्रतिवादी बनाकर नोटिस जारी कर दिय है।

इसके अलावा, अदालत ने सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किन्नौर, रामपुर बुशहर को मलबा डंपिंग के साथ-साथ चट्टान को हुए नुकसान पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।  अनियंत्रित विस्फोट के कारण ,गांव नरोला, पंचायत नीरथ, तहसील रामपुर बुशहर  के लोगों की जान-माल को खतरा हो सकता है। इस पर कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान ली गई याचिका पर यह आदेश पारित किया।

अदालत ने आगे आदेश दिया कि बाद के पहलू पर आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान विभाग की सहायता भी ली जा सकती है। आईआईटी रुड़की के रजिस्ट्रार को संबंधित स्थल का निरीक्षण करने के लिए भूविज्ञान विषय के शिक्षण संकाय को अतिरिक्त समय देने का निर्देश दिया गया है।

हिमाचल प्रदेश सरकार को रजिस्ट्रार, आईआईटी रुड़की को निरीक्षण कराने के लिए अस्थायी लागत के लिए 1 लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, किन्नौर की रिपोर्ट 31 जुलाई तक दाखिल करने का आदेश दिया गया और मामले को 3 अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया।

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