स्टाफ नर्स भर्ती में सरकार के नियमों से गैर-हरियाणवियों को मिलेगी नौकरियां : दीपेंद्र हुड्डा Deepender Hooda’s statement on staff nurse recruitment

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Deepender Hooda's statement on staff nurse recruitment

गेहूं उत्पादक किसान को 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे सरकार 

एफसीआई गेहूं की क्वालिटी को लेकर ज्यादा नुक्ताचीनी न करे 

आज समाज डिजिटल,रोहतक:
Deepender Hooda’s statement on staff nurse recruitment: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि उसकी गलत नीतियों के कारण आज हरियाणा बेरोजगारी में नंबर एक पर पहुंच गया है। दीपेंद्र हुड्डा ने स्टाफ नर्स के उम्मीदवारों के लिये हरियाणा नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता को खत्म कर किसी भी प्रदेश की नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन मान्य करने पर कड़ी आपत्ति जताई। इसके अलावा, पिछले साल असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर हुई भर्ती में आरटीआई के हवाले से मिले जवाब से भ्रष्टाचार और धांधली होने की आशंका भी जताई।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हरियाणा की जनता से सरकार का रिश्ता केवल वोट लेने तक सीमित हो गया है। जब नौकरी देने की बात आती है तो सरकार ऐसे नियम व क्राईटेरिया तय करती है कि दूसरे प्रदेशों के युवाओं को नौकरी मिले। जो थोड़े बहुत रोजगार निकलते हैं वो दूसरे प्रदेशों के युवा ले जा रहे हैं जैसे 70 में से 68 जेई-एसडीओ दूसरे राज्यों के लगाये गये थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भीषण बेरोजगारी झेल रहे युवा सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों का शिकार हो रहे हैं।

पिछले साल असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के आरटीआई जवाब से भर्ती प्रक्रिया में मनमानी, धांधली, भ्रष्टाचार की आशंका

दीपेंद्र हुड्डा से पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के रवैये से ऐसा लगता है कि आगामी चुनावों में भाजपा को यहां की जनता के वोट की जरुरत नहीं है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार में एक के बाद एक भ्रष्टाचार और धांधलेबाजी चल रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में रिक्त 307 स्टाफ नर्सों के पदों को भरने के लिए बीते रविवार को स्क्रीनिंग परीक्षा हुई। पहली बार ऐसा हुआ कि स्टाफ नर्स की परीक्षा को ऑल इंडिया के लिये ओपन कर दिया गया। जबकि पहले हरियाणा नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने का नियम था। दूसरे प्रदेशों में भी अपने-अपने राज्यों के नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता रहती है, ताकि वहां के युवाओं के हितों की रक्षा हो।

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों के नियमों का उदाहरण देते हुए अपनी आपत्ति दर्ज करायी

दीपेंद्र हुड्डा ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों के नियमों का उदाहरण देते हुए अपनी आपत्ति दर्ज करायी। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि पिछले साल असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती से जुड़े एक आरटीआई से पता चला है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में धांधली, भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। भर्ती के समय क्या क्राईटेरिया तय था ये बात सरकार की तरफ से बताई नहीं गयी। बाद में आरटीआई से पता चला कि 37.5 अंक पर्सनल अचीवमेंट के थे जिसमें से 6.5 नंबर स्पोर्टस के थे, जो ओलिंपिक, एशियाई या कॉमनवेल्थ में मेडल जीतने वाले को मिलने थे। लेकिन इसके आधार पर जो चयन सूची सामने आयी उसमें जिनका चयन हुआ है|
उनमें से कई के 37.5 अंक में से 35 नंबर हैं। इन्हें एचपीएससी किस तरह इसे जस्टिफाई करेगा। ये क्राईटेरिया तकनीकी आधार पर उसी तरह का है जिस आधार पर पीटीआई व ड्राइंग टीचर भर्ती रद्द होने का कारण बना था। चयननित हुए असिस्टेंट प्रोफेसर में कई ऐसे हैं जिन्होंने न तो पीएचडी की है न ही ओलंपिक मेडल जीता है। उन्होंने यह भी कहा कि हुड्डा सरकार ने हरियाणा को शिक्षा और खेल का हब बनाने की तरफ काम किया। हुड्डा सरकार के समय करीब 3 लाख सरकारी रोजगार दिये गये इसमें से करीब 1 लाख रोजगार अकेले शिक्षा क्षेत्र में दिये गये। इसके उलट, मौजूदा सरकार की गलत नीतियों के चलते यहां के युवा बेरोज़गारी, अपराध और नशे के जाल में फंस रहे हैं।

गेहूं उत्पादक किसानों को उठाना पड़ रहा है 20 हजार रुपये एकड़ का नुकसान

मंडियों में गेहूं उत्पादक किसानों को पेमेंट न होने पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये सरकार उठान में फेल हो गयी है। किसान की पेमेंट को उठान से जोड़ना बिल्कुल गलत है, समय पर उठान करना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही है जिसकी सजा वो किसान को दे रही है। किसानों ने सांसद दीपेंद्र हुड्डा को जानकारी दी कि जब तक उठान होकर गेहूं एफसीआई के गोदाम तक नहीं पहुंच जाता, किसान की पेमेंट नहीं हो रही है। इसके अलावा इस बार समय से पहले फसल पकने के कारण गेहूं का दाना थोड़ा सिकुड़ा हुआ है। एफसीआई गेहूं की क्वालिटी को लेकर ज्यादा नुक्ताचीनी न करे।
इसमें किसान का कोई दोष नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बार मौसम परिवर्तन की वजह से उत्पादन में प्रति एकड़ करीब 20-25 प्रतिशत की गिरावट हुई है। एक एकड़ में सामान्य तौर पर करीब 20 क्विंटल गेहूं पैदा होता है लेकिन किसानों ने उन्हें बताया कि इस बार समय से पहले तेज गर्मी के कारण 10 क्विंटल भी पैदा नहीं हुआ है। उत्पादन में भारी गिरावट से किसानों को करीब 20 हजार रुपये एकड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि मांग बढ़ने के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत 3500-4000 रुपये तक की कीमत पहुंची हुई है। उन्होंने मांग करी कि प्रकृति की मार को देखते हुए गेहूं उत्पादक किसान को 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देना चाहिए। अगर सरकार ने मांग नहीं मानी तो धरना-प्रदर्शन करेंगे।

बेरोजगारी और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है – दीपेंद्र हुड्डा

प्रदेश में बिजल संकट को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि 2004 में जब हुड्डा सरकार बनी तो पूरे प्रदेश में बिजली की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। हुड्डा सरकार ने दूरदर्शिता के साथ काम करते हुए करीब 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से चार थर्मल बिजली कारखाने और एक परमाणु बिजली कारखाना स्थापित किया। हुड्डा सरकार ने खेदड (हिसार), झाड़ली, खानपुर(झज्जर) व यमुनानगर में थर्मल पावर व फतेहाबाद में परमाणु बिजली प्लांट लगाकर प्रदेश को पॉवर सरप्लस और देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाला राज्य बनाया। इतना ही नहीं किसानों के बिजली के बिल माफ किये।
लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मौजूदा गठबंधन सरकार ने हरियाणा में कोई नया प्लांट लगना तो दूर लोग लोगों को लम्बे-लम्बे पावर कट से बिजली के लिये तरसाना शुरु कर दिया है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सवाल किया कि बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार बताए कि बीते 8 साल में राज्य में 1 मेगावाट भी बिजली उत्पादन क्यों नहीं नहीं बढ़ाया, उल्टा भाजपा सरकार ने 3 दिसंबर, 2015 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर झाड़ली प्लांट से हरियाणा के हिस्से की बिजली दूसरे प्रदेशों में बांटने के लिये सरेंडर कर दी, जिसका खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने हरियाणा में बिजली संकट के मुद्दे पर राज्य व्यापी विरोध करने की बात कही।
इस अवसर पर पूर्व विधायक आनन्द सिंह दांगी, विधायक बीबी बतरा, विधायक शकुंतला खटक, पूर्व विधायक संतकुमार, पूर्व चेयरमैन संजय अत्री प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
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