Chandigarh News: धर्मों में धर्म सम्प्रदायों की कटुता को केवल आपसी सौहाद्र्र सहयोग प्रेम की मुस्कान से धोया जा सकता है। हम सब मिलकर प्रेम सौहार्द से आपसी सहयोग की भावना पैदा करें अक्सर हर छोटी बात पर परेशान होने वाला इंसान ये याद नहीं रख पाता कि यदि कोई एक छोटी चीज हमें इतना परेशान कर देती है तो यदि कुछ बड़ा घटित हो जाए तो क्या होगा या फिर जिन लोगों को वास्तव में हमसे कहीं ज्यादा बड़ी समस्याएं परेशान कर रही हैं उनका तो क्या हाल होता होगा या यूं कहे कि हमारे दृष्टिकोण से उनका तो अंत ही हो जाता होगा? ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलो क ने सैक्टर 24सी अणुव्रत भवन तुलसीसभागार में सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीश्रीसंत ने आगे कहा मुस्कुराना कोई कठिन कार्य नहीं है, परंतु फिर भी आपको कम ही लोग ऐसे दिखेंगे जो हर वक्त खुश दिखते हैं या मुस्कुराते रहते हैं, ये वो लोग है जिनके अंदर खुशी का संचार 24 घंटे ही बना रहता है, जिनको तनाव वाली स्थितियां अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाती, क्योंकि खुशी उनके व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बन जाती है जिसको बदलना इतना आसान नहीं, ऐसे व्यक्तित्व के आस पास भी आप रहेंगे तो खुशी ही महसूस करते हैं। यदि हम खुद से प्यार करेंगे तो हमें अपनी खुशियों के लिए कभी भी किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि तब हम खुद ही खुद को खुश रख पाएंगे और अपने आप में खुशी ढूंढने से पहले आप जैसे है वैसे ही स्वयं को स्वीकार करें। दूसरों को देखकर खुद से उम्मीद करने से कही बेहतर है, खुद से उम्मीद कम और प्यार ज्यादा करें।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया इंसान अपनी सोच से ही बनता है ये तो हम जानते हैं और ये सोच ही कितना ज्यादा हमारी चीजों को प्रभावित करती है इसको यदि आजमाना है तो एक दिन सुबह उठते से ही बस सोचिए की मैं खुश हूं और पूरे दिन यही याद रखिए तो यकीनन आप अपने अंदर खुशी महसूस करेंगे। फिर अगले दिन सोचिए आज बहुत परेशान हूं तो पूरे दिन बिना वजह भी आप परेशानी ही महसूस करेंगे, इस अंतर का कारण हमारी सोच है।अत: हमेशा अपने अंदर चीजों को सुलझाने वाली सकारात्मक विचारधारा को प्रवाहित होने दें और उसी दिशा में अपनी सोच को रखने के निरंतर प्रयास करते रहें। जैसे वर्तमान में जीना सर्वश्रेष्ठ माना गया है, ठीक वैसे ही ये भी मान लीजिए की ये जीवन इस बार इंसान के रूप में मिला है तो इसको क्यों परेशान होकर व्यर्थ करें, क्योंकि न तो हमें पिछला जीवन क्या था वो पता है ना अगला क्या होगा वो पता है, तो भला इसको ही मुस्कुराते हुए समझदारी से क्यों ना जी लिया जाए। ध्यान रहे, आपकी सिर्फ एक मुस्कान ही अच्छे विचारों को आकर्षित और बुरे विचारों को विकर्षित करने की क्षमता रखती है।