स्वर्ण मंदिर में नहाने से मिलती है रोगो से मुक्ति

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Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases
Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases

आज समाज डिजिटल, अम्बाला :
Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases :
सिख धर्म के मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है।  स्वर्ण मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का मशहूर मंदिर है। मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है, इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गया। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है।

Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases
Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases

स्वर्ण मंदिर में तीन रविवर निरंतर नहाने से सभी रोगो से मुक्ति मिलती है।स्वर्ण मंदिर शब्द का जुडऩा इसी बात का प्रतीक है कि भारत में हर धर्म को एकसमान माना गया है। स्वर्ण मंदिर में सिखों के अलावा विभिन्न धर्मों के श्रद्धालु भी आते हैं, जो और सिख धर्म के प्रति अटूट आस्था रखते हैं।

स्वर्ण मंदिर जाने के लिए कौन सा समय है अच्छा

गर्मियों की छुट्टियों में स्वर्ण मंदिर घूमने का प्रोग्राम कर रहे हैं, तो आप मानसून सीजन में जुलाई से अगस्त के बीच यहां आ सकते हैं। वरना अक्टूबर से मार्च तक का समय यहां घूमने के लिए बेस्ट है।

स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया

अमृतसर का इतिहास 400 साल पुराना है। गुरूद्वारे की नींव  1577 में चौथे सिख गुरू रामदास ने 500 बीघा में रखी थी। अमृतसर का मतलब है अमृत का टैंक। पांचवे सिख गुरू गुरू अर्जन देव जी ने इस पवित्र सरोवर व टैंक के बीच में हरमंदिर साहिब यानि स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया और यहां सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ की स्थापना की। श्री हरमंदिर साहिब परिसर अकाल तख्त का भी घर माना जाता है।

Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases
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बताया गया है कि सम्राट अखबर ने गुरू रामदास की पत्नी को भूमि दान की थी,  फिर 1581 में गुरू अर्जुनदास ने इसका निर्माण शुरू कराया। निर्माण के दौरान ये सरोवर सूखा और खाली रखा गया था। हरमंदिर साहिब के पहले संस्करण को पूरा करने में पूरे 8 साल का समय लगा। ये मंदिर 1604 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था।

गुरु श्री हरकिशन साहिब जी ने पवित्र चरण रखे पंजोखरा साहिब

अमृतसर जाते समय दो दिन के लिए गांव पंजोखरा साहिब को सिक्खों के आठवें गुरु श्री हरकिशन साहिब जी ने अपने पवित्र चरणों का स्पर्श प्रदान किया था। गुरु जी के पंजोखरा आगमन से लेकर आज तक प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुरु जी के इस पवित्र स्थान पर नतमस्तक होकर न केवल मनोकामनाएं पूरी करते हैं, बल्कि पवित्र सरोवर में स्नान करके अपने शारीरिक रोगों से भी मुक्ति पाते हैं।

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गुरूद्वारा में होता है लंगर Bathing In Golden Temple Gives Freedom From All Diseases

स्वर्ण मंदिर के गुरूद्वारे में होने वाले लंगर में हर कोई शामिल हो सकता है। स्वर्ण मंदिर की किचन में हर रोज 40 हजार लोगों को नि:शुल्क लंगर खिलाया जाता है। छुट्टी और वीकेंड्स में हर दिन 4 लाख लोग लंगर खाते हैं। वैकेशंस में यहां की रोटी मशीन से ही रोटियां तैयार होती हैं, जिसमें एक बार में 25 हजार रोटियां बनकर निकलती हैं। यहां की खास बात है कि लंगर में खाने के लिए बैठने से पहले जूते उतारने और सिर को ढंकना होगा।

 स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने का सही समय

स्वर्ण मंदिर में दर्शन के लिए आपको लंबी लाइन में लगना ही होगा। जल्दी दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग जैसी कोई चीज यहां नहीं है। फिर भी आप लंबी लाइन से बचना चाहते हैं तो सुबह 4 बजे से लाइन में खड़े हो सकते हैं, आपका नंबर जल्दी आ जाएगा। मंदिर में दर्शन सुबह 3 बजे से रात 10 बजे तक होते हैं।

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