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Asaram Bapu Got Bail : राजस्थान हाईकोर्ट से आसाराम बापू को मिली जमानत, अनुयाईयों में खुशी लेकिन क्या जेल से बाहर आ पाएंगे!

Aaj Samaj, (आज समाज),Asaram Bapu Got Bail ,दिल्ली :

  1. राजस्थान हाईकोर्ट से आसाराम बापू को मिली जमानत, अनुयाईयों में खुशी लेकिन क्या जेल से बाहर आ पाएंगे!*

राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को जमानत दे दी है। कोर्ट में पैरोकार की तरफ से झूठे दस्तावेज पेश करने के मामले में आरोपी का यह जमानत दी गई है। हालांकि आसाराम के अन्य मामलों में सजा के चलते फिलहाल जेल से बाहर आने की उम्मीद नहीं है। हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट से यह जमानत मिली है। अधिवक्ता नीलकमल बोहरा और गोकुलेश बोहरा ने अदालत में आसाराम का पक्ष रखा था।

आसाराम को दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। गांधीनगर (गुजरात) की एक अदालत ने इसी साल दुष्कर्म के मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दुष्कर्म का यह मामला आसाराम के खिलाफ साल 2013 में दर्ज हुआ था। हालांकि, पीड़िता के साथ दुष्कर्म 2001 से 2006 के बीच हुआ था। पीड़िता की बहन ने ही आसाराम के बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। इस मामले में नारायण साईं को अप्रैल 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

अभी जिस मामले में आसाराम को सजा सुनाई गई है, उसकी एफआईआर 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई थी। एफआईआर के मुताबिक, पीड़ित महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म हुआ था।

पीड़ित महिला ने इस मामले में आसाराम और सात अन्य लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अवैध तरीके से बंधक बनाने का मामला दर्ज करवाया था। इस मामले में आसाराम के अलावा उसकी पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती को भी आरोपी बनाया गया था।

हालांकि, सेशन कोर्ट के जज डीके सोनी ने इस मामले में सिर्फ आसाराम को ही दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। बाकी 6 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। जबकि, ट्रायल के दौरान ही अक्टूबर 2013 में एक आरोपी की मौत हो गई थी।

2. दिल्ली के तुगलकाबाद में अतिक्रमणरोधी अभियान पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, पुनर्वास पर होगी सुनवाई*

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के तुगलकाबाद में दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

हालांकि, अदालत ने कहा कि वह कल यानी मंगलवार को तुगलकाबाद निवासियों के पुनर्वास के मुद्दे पर सुनवाई करेगी।

इसके अलावा जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और दिल्ली विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा है।

पीठ ने निर्देश दिया, “सूची कल। केंद्र सरकार, एएसआई और डीडीए को नोटिस दिए जाएं। हम नहीं रह रहे हैं।”

वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने आज सुबह भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामला लाया, जिन्होंने तब याचिकाकर्ताओं से न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ के समक्ष मामला लाने को कहा।

एडवोकेट गोंजाल्विस ने तब न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ को सूचित किया कि तुगलकाबाद किले के आसपास के क्षेत्रों को कई साल पहले साफ करने का आदेश दिया गया था, और दिल्ली सरकार ने निवासियों को वैकल्पिक पुनर्वास की पेशकश की थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी तक स्थानांतरण नहीं हुआ है।

खंडपीठ ने टिप्पणी की कि क्षेत्र में बहुत अधिक अनधिकृत अतिक्रमण था।

यह भी देखा गया कि 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत, आवश्यक मुआवजे की राशि के कारण इतनी भूमि का अधिग्रहण करना अब मुश्किल था।

पीठ ने कहा, “इतनी जमीन देना असंभव हो सकता है। और 2013 के अधिनियम के तहत मुआवजे की जितनी राशि की जरूरत है, अब इतनी जमीन हासिल करना बहुत मुश्किल है।”

दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने यह कहते हुए समय मांगा कि स्थानांतरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

3. मथुरा श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि विवाद मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह ट्रस्‍ट की याचिका खारिज, नए सिरे से सुनवाई का दिया आदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर विवाद मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह ट्रस्‍ट और यूपी सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया है।  हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मथुरा के जिला जज को पूरे मामले की नई सिरे से सुनवाई का आदेश दिया है।

दरसअल श्री कृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में सबसे पहले सितंबर 2020 में श्री कृष्ण विराजमान की तरफ से भगवान श्री कृष्ण की सखी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने हरी शंकर जैन, विष्णु जैन, करुणेश शुक्ला के साथ मथुरा सिविल कोर्ट में वाद दाखिल किया था। हालांकि यह वाद सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद श्री कृष्ण विराजमान ने जिला जज की अदालत में रिवीजन वाद दाखिल किया। जिसपर सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने वाद को स्वीकार किया और इसे सिविल कोर्ट में सुनवाई के लिए कहा। इसके बाद जुलाई 2022 में मुस्लिम पक्ष ने इस वाद को खारिज करने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।उस समय हाई कोर्ट ने श्री कृष्ण विराजमान के मथुरा कोर्ट में चल रहे वाद पर सुनवाई से रोक लगा दी थी। वहीं आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह ट्रस्‍ट और यूपी सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी।

मथुरा में श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि मुकदमा 13.37 एकड़ जमीन पर मा्लिकाना हक से जुड़ा हुआ है। 12 अक्‍टूबर 1968 को श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान सेवा संस्‍थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्‍ट के साथ समझौता किया और इसके तहत 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी। श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि शाही ईदगाह मस्जिद के पास 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है। वही हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्‍जा करके बनाया गया है।

4. अब्दुल्ला आजम को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट ने कहा उत्तर प्रदेश के स्वार विधानसभा उपचुनाव पर नहीं लगेगी रोक*

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को राहत देने के बजाए स्वार विधानसभा सीट पर 10 मई को होने वाले मतदान को रोकने से इंकार कर दिया है। अब्दुल्लाह को एक मामले में 2 साल की सजा मिलने के बाद वह सदस्यता के अयोग्य हो गए हैं। उन्होंने अपनी अयोग्यता पर रोक की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 15 साल पहले एक गैर कानूनी धरना-प्रदर्शन करने और मार्ग अवरुद्ध करने के आरोप में अब्दुल्ला आजम को दोषी पाया और सजा सुना दी। मुरादाबाद कोर्ट से सजा के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द कर दी थी। उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय के चुनाव हो रहे हैं इसी के साथ निर्वाचन आयोग ने अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने की स्थिति में स्वार में भी उप चुनाव का ऐलान कर दिया।

स्वार में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान 10 मई को ही हो रहे हैं। अब्दुल्ला आजम चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट कम से कम फैसला आने तक उपचुनाव स्थगित करने के आदेश जारी कर दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट कहा कि वो निर्वाचन प्रक्रिया पर किसी तरह की रोक लगाएंगे। सरकार को इस मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करना होगा।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने  सुनवाई को के तीन हफ्ते के लिए टाल दी। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वार विधानसभा उपचुनाव के परिणाम उनके (सुप्रीम कोर्ट के)  अंतिम आदेश पर निर्भर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अब्दुल्ला आजम खान की याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने को भी कहा।

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