An attempt to cash in on the Film City Mumbai controversy in UP: यूपी में फिल्मसिटी मुंबई विवाद को भुनाने की कोशिश

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फिल्मकारों के लिए शूटिंग का पसंदीदा स्थान बन रहे उत्तर प्रदेश में अब फिल्मसिटी बनाने की कवायद शुरू हुयी है। प्रदेश की योगी सरकार इसको लेकर खासी गंभीर है और बीते एक हफ्ते में ही न केवल इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जमीन चिन्हित कर ली गयी है। इस बार उत्तर प्रदेश में बनने वाली फिल्मसिटी को नयी तकनीकी आधारित सिनेमा के निर्माण के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। योगी सरकार की नजर हर साल करोड़ों का राजस्व देने वाले फिल्म उद्योग पर बरसो से है।
प्रदेश में बीते तीन साल से फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए समय समय पर नीतियां बनाने और रियायतें देने का काम चल रहा है। फिल्म सिटी को लेकर प्रदेश सरकार ने अब तक तीन दर्जन से ज्यादा फिल्मी हस्तियों से बातचीत भी कर ली है। दरअसल हाल ही में ड्रग्स, सुशांत आत्महत्या सहित कई अन्य मामलों में विवादों में घिरी मुंबईया फिल्म इंडस्ट्री के बरअक्स यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ फिल्मकारों को एक विकल्प देना चाहते हैं जहां न केवल फिल्म निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएगा बल्कि इसके लिए सहूलियतें व सब्सिडी भी दी जाएगी। योजना के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित फिल्मसिटी में राज्यवार गांव के  सेट भी तैयार होंगे। इसमें स्टेट आफ आर्ट स्टूडियो, प्री प्रोडक्शन व पोस्ट प्रोडेक्शन सुविधाएं होंगी। स्पेशल इफेक्टस स्टूडियो बनेंगे। इसमें फिल्म विश्वविद्यालय होगा। यही पर एक हेलीपैड बनाया जाएगा। इसमें छोटे बड़े हेलीकाप्टर लैंड कर सकेंगे।
फिल्म, टेलीविजन कार्यक्रम, रेडियो कार्यक्रम, विज्ञापन, आॅडियो रिकार्डिंग, फोटोग्राफी व डिजिटल आर्ट की सुविधा होगी। मेकअप रूम, स्टोर रूम भी होंगे। मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा, बस स्टॉप, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, झरने, बाग, पुलिस स्टेशन, जेल, अदालत, चाल, अस्पताल, पेट्रोल  पंप, दुकाने, शहर गांव आदि बनेंगे। प्रदेश में पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट की तर्ज पर फिल्म संस्थान पहले ही खोल दिया गया है। अब प्रदेश सरकार एक फिल्म विश्वविद्यालय भी खोलने की तैयारी में है। फिल्मों की लेकर मुख्यमंत्री की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि फिल्म निर्माण में आने वाली बाधाओं को दूर करने, जरुरी मंजूरी देने के लिए सिंगल विंडो पोर्टल शुरू किया जा रहा है। पोर्टल की निगरानी खुद मुख्यमंत्री करेंगे।
फिल्मसिटी को लेकर मुख्यमंत्री ने बालीवुड के दो दर्जन से ज्यादा फिल्मकारों से बातचीत की जिनमें अनुपम खेर, परेश रावल, उदित नारायण, नितिन देसाई, कैलाश खेर, अनूप जलोटा, अशोक पंडित, सतीश कौशिक सहित जैसे अनेक दिग्गज शामिल रहे। मधुर भंडारकर से पहले बालीवुड अभिनेता व उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद रविकिशन, भाजपा सांसद मनोज तिवारी, गायक अनूप जलौटा व मशहूर अभिनेत्री कंगना रानौत उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के निर्माण की योजना का स्वागत कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव के मुताबिक यह उत्तर प्रदेश के लिए एक सपने के सच होने जैसा है और करीब एक लाख लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। फिल्म सिटी बनाने के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने फिल्म निर्माण के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक 20 सूत्री सुधार कार्यक्रम पर भी काम करने का फैसला किया है। प्रदेश की संस्था फिल्म बंधु में यह सुधार लागू किए जाएंगे।
सुधारों के बाद प्रदेश में बनने वाली फिल्मों के लिए शूटिंग की अनुमति मिलने के साथ ही सब्सिडी पाना आसान हो जाएगा। प्रदेश सरकार के अधिकारियों के मुताबिक ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत फिल्म उद्योग को भी शामिल किया जाएगा और तमाम सहूलियतें दी जाएंगी। प्रदेश में फिल्मों का निर्माण आसान करने के लिए योगी सरकार एक सिंगल विंडो पोर्टल शुरू करेगी जससे सभी तरह की अनुमति एक क्लिक पर घर बैठे मिल सकेगी। इसी साल नवंबर तक यह सिंगल विंडो पोर्टल काम करना शुरू कर देगा। फिल्म की शूटिंग को आसान बनाने के लिए पुलिस, जिला प्रशासन, स्थानीय निकाय जैसे विभाग इस सिंगल विंडो पोर्टल से जोड़े जाएंगे। सब्सिडी पाने के लिए फिल्म निमार्ताओं को जरुरी जानकारी इसी सिंगल विंडो पोर्टल पर देनी होगी जिसके बाद उनके आवेदन पर विचार करते हुए कारवाई की जाएगी। इस पोर्टल की सतत निगरानी सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से की जाएगी। फिल्म निर्माण के लिए जरुर अनुमतियां तय समय में दी जा रही है अथवा नहीं, इस पर नजर रखी जाएगी। मुख्यमंत्री का कहना है कि फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने और स्थानीय प्रतिभाओं को विशेष अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मॉडर्न फिल्म सिटी और इन्फोटेनमेन्ट जोन की स्थापना का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि इसे सर्वोत्कृष्ट डेडिकेटेड इंफोटेनमेंट जोन के रूप में विकसित किया जाए। आने वाला समय ओटीटी व मीडिया स्ट्रीमिंग का है।
इसके लिए हाई कैपेसिटी, वर्ल्ड क्लास डाटा सेंटर की स्थापना भी इंफोटेनमेंट जोन में की जाएगी। उन्होंने कि हम कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन के लिए स्मूथ व फूलप्रूफ व्यवस्था के साथ-साथ टैक्स एक्जेम्शन की सुविधा पर भी विचार कर रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे सेक्टर-21 में लगभग 1,000 एकड़ भूमि पर इसका विकास होगा। इसमें 220 एकड़ कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए आरक्षित होगा। यह मथुरा-वृंदावन से 60 और आगरा से 100 किमी की दूरी पर है।  यहां फिल्म सिटी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ 35 एकड़ में फिल्म सिटी पार्क भी विकसित करेंगें। यह क्षेत्र रेल और सड़क परिवहन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। एशिया का सबसे बड़ा जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट समीप ही है।
यह भी शीघ्र तैयार हो जायेगा। इसे मेट्रो, रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम और हाई स्पीड ट्रेन से भी जोड़ने की योजना है। दरअसल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने फिल्म सिटी की कवायद उस समय शुरू की है जब रोजगार को लेकर युवाओं का गुस्सा सड़कों पर फूट रहा है और पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाल ही में लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ किसान लामबंद हो रहे हैं। मुंबई में सुशांत प्रकरण के बाद मुंबई फिल्म उद्योग के क्रियाकलाप लगातार राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि इन विवादों के बीच फिल्मसिटी की कवायद न केवल जनता के आक्रोश को मोड़ने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने का प्रयास करते दिखने का प्रयास है बल्कि विपक्ष को आलोचना का मौका न देने की भी है। प्रदेश में पहले भी 90 के दशक में फिल्मसिटी की स्थापना की जा चुकी है। हालांकि उक्त परियोजना भी नोयडा में स्थापित की गयी और आज वहां फिल्मनिर्माण की जगह टीवी चैनलों के दफ्तर ही कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश में फिल्मों से जुड़े लोगों का कहना है कि सैकड़ों करोड़ रुपये की लागत से बने उक्त फिल्मसिटी में फिल्में कभी नहीं बनीं। आज भी उत्तर प्रदेश का इस्तेमाल ज्यादातर फिल्मों की आउटडोर लोकेशन के लिए ही किया जाता है। फिल्मसिटी की गंभीरता पर सवाल प्रदेश में इसके क्रियान्वन के लिए बनी संस्था फिल्म विकास परिषद के मुखिया को लेकर भी उठ रहे हैं। प्रदेश में फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष स्टैंडअप कमेडियन राजू श्रीवास्तव को बनाया गया है। हालांकि पहले इस पद पर गंभीर फिल्मकार मुजफ्फरअली और मशहूर अदाकारा जया बच्चन जैसी हस्तियां रह चुकी हैं। जानकारों का मानना है कि अगर योगी सरकार फिल्मसिटी को लेकर गंभीर है तो उसे फिल्म विकास परिषद जैसी महत्वपूर्ण संस्था के मुखिया के पद पर किसी नामचीन हस्ती को लाना होगा। प्रदेश में भोजपुरी फिल्मों के विकास की अपार संभावनाओं को देखते हुए फिल्मसिटी को   पूर्वी यूपी या राजधानी लखनऊ में बनाने की मांग भी उठने लगी है। इन सबसे बड़ा सवाल अर्थव्यवस्था की डांवाडोल हालात में फिल्मसिटी के लिए मलने वाले निवेश को लेकर भी है।
(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अघ्यक्ष हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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