India-Iran Chabahar Port: भारत के कंट्रोल में आया ईरान का चाबहार बंदरगाह, अमेरिका नाराज, दी प्रतिबंधों की चेतावनी

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India-Iran Chabahar Port
भारत के नियंत्रण में आया ईरान का चाबहार बंदरगाह, अमेरिका को लगी मिर्ची

Aaj Samaj (आज समाज), India-Iran Chabahar Port, नई दिल्ली: ईरान का चाबहार बंदरगाह अगले दस वर्ष तक भारत के नियंत्रण में रहेगा। बंदरगाह के प्रबंधन के लिए भारत ने ईरान के साथ 10 साल के करार पर सोमवार को दस्तखत किए। भारत-ईरान के बीच हुई इस डील से अमेरिका को मिर्ची लगी है और उसने प्रतिबंधों की चेतावनी दे दी है। वहीं नई दिल्ली का यह कदम चीन और पाकिस्तान की भी बैचेनी बढ़ाने वाला है।

  • 10 साल के करार पर सोमवार को दस्तखत
  • चीन और पाकिस्तान के लिए करारा जवाब 

कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी

चाबहार बंदरगाह का कंट्रोल भारत के पास आने न केवल देश को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि नई दिल्ली के इस कदम को चीन-पाकिस्तान के लिए भी करारा जवाब भी माना जा रहा है, क्योंकि चीन द्वारा विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह और अब भारत द्वारा संचालित किए जाने वाले चाबहार बंदरगाह के बीच समुद्री मार्ग की दूरी केवल 172 किमी है। साथ ही ऐसे कई देश हैं जो चाबहार बंदरगाह का यूज अपने कारोबार के लिए करना चाहते हैं।

रणनीतिक रूप से डील काफी अहम

चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन अपने पास लेने का भारत का फैसला रणनीतिक रूप से काफी अहम है, क्योंकि इससे मध्य एशिया तक भारत की राह सीधी व आसान हो जाएगी। ईरान के साथ यह करार क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और अफगानिस्तान, मध्य एशिया व यूरेशिया के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देगा।

पहली बार अपने हाथ लिया किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन

यह पहली बार है, जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में ल रहा है। भारत का इस बंदरगाह को अपने नियंत्रण में लेना पाकिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह (जिसे चीन विकसित कर रहा है) के साथ-साथ चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जवाब भी है। यह भारत के लिए अफगानिस्तान, मध्य एशिया और व्यापक यूरेशियन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी लिंक के रूप में कार्य करेगा।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच बढ़ जाता है गलियारे का महत्व

दरअसल, भारत चाहता रहा है कि चाबहार बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) में एक प्रमुख केंद्र बने। आईएनएसटीसी ईरान के माध्यम से भारत व रूस को आपस में जोड़ता है। यह भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर की मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच इस गलियारे का महत्व और बढ़ जाता है।

चीन के प्रभाव को कम कर सकेगा भारत

मध्य एशिया में चीन के मंसूबों पर चाबहार बंदरगाह से भारत अब आसानी से पानी फेर सकता है और चीन के प्रभाव को कम कर सकता है। चाबहार बंदरगाह हिंद महासागर में प्रभाव का विस्तार करने के चीन के प्रयासों का मुकाबला करने के भारत के लक्ष्य को भी पूरा करता दिख रहा है। साथ ही भारत का यह बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को काउंटर करेगा। इतना ही नहीं, इस समझौते से नई दिल्ली व तेहरान और नजदीक आ गया है।

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