योगासनों का सीधा ताल्लुक हमारे शरीर और स्वास्थ्य से होता है। इसलिए यह बहुत लाभदायक है। इससे आजकल के लाइफस्टाइल के चलते होने वाली कई बीमारियां कंट्रोल हो सकती हैं। सिर्फ यही नहीं, महिलाएं भी इसका फायदा उठा सकती हैं। इससे कई स्त्रीरोगों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं। लेकिन, इसे करने से पहले अपने चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
1- मार्जरासन
- इस आसन के अभ्यास से आपकी गर्दन, कंधे और पीठ में ज़्यादा लचीलापन आता है। यह मासिक धर्म के दौरान ऐंठन की समस्या का भी इलाज है और कई स्त्रीरोगों का भी।
 - ज़मीन पर चटाई बिछा लीजिए और उस पर अपने घुटने टेक लीजिए। आगे से झुकें और अपने हाथों को भी ज़मीन पर जमा लें, बिल्कुल ऐसे ही जैसे की कोई बच्चा क्रॉल करना शुरू करता है। इस मुद्रा मेंआपनी बाजू और जांघों को सीधा रखें।
 - गहरी सांस लें, अपनी पीठ को अंदर की तरफ दबाएं और ऊपर देखें। इस मुद्रा में 3 सेकंड तक रहें।
 - सांस छोड़ें, पीठ को ऊपर उठाएं और पेट को सिकुड़ने दें। आप अब ऊपर नहीं, बल्कि सिर झुक कर अपने साइज की ओर देख रही हैं। इस मुद्रा में 3 सेकंड तक रहें।
 - अब वापस उसी मुद्रा में आ जाएं, जहां से शुरुआत की थी।
 - यह पहला राउंड था। आपको ऐसे 10 राउंड्स करने हैं।
 
2- भुजंगासन
- पेट के बल लेट जाएं। आपके पैरों के तलवों में गैप हो, लेकिन पैरों के अंगूठे जोड़ लें। अपने माथे को ज़मीन पर लगने दें और आपकी हथेलियां भी ज़मीन पर फ्लैट हों।
 - इस आसन के अभ्यास से आपके पेट की चर्बी कम होती है, आपकी पीठ मजबूत बनती है, कई स्त्रीरोगों में आराम मिलता है और कब्ज़ की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।
 - सांस लें, अपने सीने को आगे की तरफ स्लाइड करें, ऊपर देखें। अपने सीने और कंधों को भी ऊठाएं।
 - आपकी कोहनियां थोड़ी मुड़ी हुई हों, लेकिन बॉडी और कोहनी में ज़्यादा गैप न हो।
 - इस मुद्रा में रहने के लिए अपनी हथेलियों का सहारा लें।
 - सांस छोड़ें और उसी मुद्रा में आएं, जहां से शुरुआत की थी।
 
3- शशांकासन
- इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, पीठ की समस्याएं दूर होती हैं, यह तंत्रिकाओं/नर्व पर पड़ने वाला दबाव को कम करता है और प्रजनन प्रणाली/रिप्रोडक्टिव सिस्टम की समस्याओं का भी आसान इलाज है।
 - अपने घुटनों के बल, पैर की एड़ी पर बैठ जाइए। घुटने जोड़ लें और हथेलियां जांघों पर रख लें।
 - आपका सिर और पीठ सीधी होनी चाहिए।
 - सांस लें, अपने हाथ सिर के ऊपर ले जाएं और सीधे रखें। हथेलियां सामने की तरफ हों।
 - सांस छोड़ें और धीरे-धीर आगे की तरफ झुकना शुरू करें, लेकिन बाजू मोड़े नहीं और हाथ सीधा रहने दें।
 - अब आपका माथा ज़मीन को छुएगा और हथेलियां ज़मीन पर फ्लैट रहेंगी, लेकिन हाथ सीधे रखें।
 - सामान्य रूप में सांस लेते रहें और 10 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
 - अब सांस लेते हुए उसी मुद्रा में आएं, जहां से शुरुआत की थी।
 - यह पहला राउंड था। 7-10 राउंड्स का अभ्यास करें।
 
4- कुंभकासन
- इस आसन के अभ्यास से आपकी बाजू, कंधे, पेट और पीठ को मजबूती मिलती है।
 - पेट के बल लेट जाएं। अपनी हथेलियां भी ज़मीन पर जमा लें, अपने पैर के अंगूठे अंदर की तरफ रखें और पैर की एड़ी जुड़ी होनी चाहिए।
 - अब पैर के अंगूठों और हथेलियों के सहारे थोड़ा ऊपर उठें।
 - इसी मुद्रा में पहले अपनी छाती उठाएं। फिर पेट।
 - इसके बाद, इसी मुद्रा में कमर उठाएं और घुटने, लेकिन ध्यान रहे कि बाजू सीधी हो।
 - अब आप सिर्फ अपने पैर के अंगूठों और हथेलियों के सहारे जमे हुए हैं। सामान्य रूप से सांस लें और 30-60 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
 - फिर वापस उसी मुद्रा में आ जाएं, जहां से शुरुआत की थी।
 

