कन्या राशिफल 03 अगस्त 2022

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Virgo Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-03/08/2022, बुधवार
षष्ठी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या 

आज आप अपने माता पिता को किसी तीर्थस्थान की यात्रा पर लेकर जा सकते हैं,जिससे उनके मन को सुकून मिलेगा। शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में सावधानी रखें। सुख के साधन जुटेंगे। रुका हुआ धन मिलेगा। अधूरे काम समय पर सफलता से होने पर उत्साह बढ़ेगा। वाहन चलाते समय सावधानी रखें। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में भी उत्तम स्थिति देखने को मिलेगी। नौकरी करने वाले लोगों को पदोन्नति के संकेत मिल सकते हैं। कामकाज में आपको अच्छा मुनाफा मिलेगा,जिससे आप अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में सफल रहेंगे। आपके अच्छे लोगों से संपर्क स्थापित होंगे। जो आपको कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए सहायता करेंगे। जो लोग राजनीति के क्षेत्र में कार्यरत हैं,उन्हें उनके कार्यों से जाना जाएगा और किसी नए सम्मान से भी नवाजा जा सकता है।

तिथि————- षष्ठी 29:40:16 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- हस्त 18:22:41
योग————- सिद्ध 17:46:26
करण———- कौलव 17:44:48
करण———– तैतुल 29:40:16
वार———————— बुधवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————— कन्या
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत ————————1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:44:39
सूर्यास्त—————- 19:05:48
दिन काल————- 13:21:09
रात्री काल————- 10:39:22
चंद्रोदय————— 10:30:50
चंद्रास्त—————- 22:35:20

लग्न—- कर्क 16°31′ , 106°31′

सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

ष—- हस्त 05:58:52

ण—- हस्त 12:11:43

ठ—- हस्त 18:22:41

पे—- चित्रा 24:31:43

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 16:12 पुष्य , 4 ड़
चन्द्र = कन्या 16 °23, हस्त , 2 ष
बुध =सिंह 03 ° 07′ मघा ‘ 2 मी
शुक्र=मिथुन 25°05, पुनर्वसु ‘ 2 को
मंगल=मेष 25°30 ‘ भरणी ‘ 4 लो
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°05’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°05 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 12:25 – 14:05 अशुभ
यम घंटा 07:25 – 09:05 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:25 अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:52 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:59 – 12:52 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
लाभ 05:45 – 07:25 शुभ
अमृत 07:25 – 09:05 शुभ
काल 09:05 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:25 शुभ
रोग 12:25 – 14:05 अशुभ
उद्वेग 14:05 – 15:46 अशुभ
चर 15:46 – 17:26 शुभ
लाभ 17:26 – 19:06 शुभ

**** चोघडिया, रात
उद्वेग 19:06 – 20:26 अशुभ
शुभ 20:26 – 21:46 शुभ
अमृत 21:46 – 23:06 शुभ
चर 23:06 – 24:26* शुभ
रोग 24:26* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:05* अशुभ
लाभ 27:05* – 28:25* शुभ
उद्वेग 28:25* – 29:45* अशुभ

**** होरा, दिन
बुध 05:45 – 06:51
चन्द्र 06:51 – 07:58
शनि 07:58 – 09:05
बृहस्पति 09:05 – 10:12
मंगल 10:12 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:25
शुक्र 12:25 – 13:32
बुध 13:32 – 14:39
चन्द्र 14:39 – 15:46
शनि 15:46 – 16:52
बृहस्पति 16:52 – 17:59
मंगल 17:59 – 19:06

**** होरा, रात
सूर्य 19:06 – 19:59
शुक्र 19:59 – 20:52
बुध 20:52 – 21:46
चन्द्र 21:46 – 22:39
शनि 22:39 – 23:32
बृहस्पति 23:32 – 24:26
मंगल 24:26* – 25:19
सूर्य 25:19* – 26:12
शुक्र 26:12* – 27:05
बुध 27:05* – 27:59
चन्द्र 27:59* – 28:52
शनि 28:52* – 29:45

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 03:42 से 05:58 तक
सिंह > 05:58 से 08:08 तक
कन्या > 08:08 से 10:18 तक
तुला > 10:18 से 12:33 तक
वृश्चिक > 12:33 से 14:48 तक
धनु > 14:48 से 17:08 तक
मकर > 17:08 से 18:52 तक
कुम्भ > 18:52 से 20:24 तक
मीन > 20:24 से 20:58 तक
मेष > 20:58 से 11:30 तक
वृषभ > 11:30 से 01:22 तक
मिथुन > 01:22 से 03:42 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

6 + 4 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष

वृशभारूढ़ = शुभ कारक

****  भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

*वर्ण षष्ठी

* सर्वार्थ सिद्धि योग 18:23 तक

* कल्कि जयंती

* मुनि नमीनाथ जयंती

**** शुभ विचार ****

तावद्भयेन भेतव्यं यावद् भयमनागतम् ।
आगतं तु भयं वीक्ष्यं प्रहर्तव्यमशंकया ।।
।। चा0नी0।।

यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

यदग्रे चानुबन्धे च सुखं मोहनमात्मनः।,
निद्रालस्यप्रमादोत्थं तत्तामसमुदाहृतम्‌॥,

जो सुख भोगकाल में तथा परिणाम में भी आत्मा को मोहित करने वाला है, वह निद्रा, आलस्य और प्रमाद से उत्पन्न सुख तामस कहा गया है॥,39॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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