Utterkatha: UP earns money from Khadi and Daru!: उत्तरकथा :खादी से नाम और दारू से दाम कमाता यूपी !

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शराब को समाज के लिए बर्बादी की वजह माना तो खादी को जीवन में सरलता, उन्नति और राष्ट्रभाव का बड़ा कारक समझा । शायद यही वजह है कि गांधी जी की इसी परिकल्पना को उनके अवसान के दशकों बाद भी हमारे देश और समाज ने
 स्थापित और स्वीकार्य सूत्रवाक्य  माना है  कि खादी वस्त्र नही विचार है ।
फिलहाल उत्तर प्रदेश से यह विचार दुनिया भर में पसर रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इधर खादी की जबरदस्त ब्रांडिंग और मार्केटिंग की है ।
इसी के साथ ही आमतौर पर राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों के खराब रिकॉर्ड को पटरी पर लाने के लिए  शराब की बिक्री और बढ़ी खपत भी उसका एक बड़ा सहारा बनी है.
फिलहाल पहली अप्रैल से उत्तर प्रदेश में शराब के दाम बढ़ने जा रहे हैं। मौजूदा सत्र में सरकार ने आबकारी से 31 हजार छह सौ करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा था जिसमे अभी तक 27 हजार करोड़ रुपये आ चुके हैं और अगले साल का टारगेट 35 हजार करोड़ का रखा गया है।
वास्तव में शराब सिंडीकेट की कमर तोड़ने के बाद योगी सरकार शराब कारोबारियों को भी ‘ईज ऑफ डूइंग’ का माहौल देने जा रही है। आबकारी नीति 2020-21 में इस व्यवसाय में सुविधाएं और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ ही राजस्व वृद्धि के रास्ते भी बनाए गए हैं।
प्रमुख सचिव आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी बताते हैं कि नई नीति में व्यवस्था की गई है कि वाइन भी विदेशी शराब की दुकान की तरह बीयर शॉप से बिक सकेगी। किसी भी आवेदक को प्रदेश में देशी शराब, विदेशी शराब, बीयर और मॉडल शॉप को मिलाकर दो से अधिक दुकानें आवंटित नहीं की जाएंगी। वर्ष 2019-20 में आवंटित दुकानों का वर्ष 2020-21 के लिए नवीनीकरण कराया जा सकता है। यदि दो या दो से अधिक दुकानों का नवीनीकरण हो जाएगा तो रिक्त दुकानों की ई-लॉटरी में आवेदक शामिल नहीं हो सकेगा। देसी शराब के पाउच पर ₹5 ज्यादा देने होंगे मीडियम रेंज की अंग्रेजी शराब जो ₹500 कीमत की होगी उस पर 40 से ₹80 दाम बढ़ जाएंगे अंग्रेजी पौवे के दाम 10 से ₹20 तक बढ़ेंगे।  शराब की कीमत अगर ₹500 से ज्यादा है तो अब के मुकाबले 80 से ₹160 ज्यादा देने होंगे ।
★ खादी को दुनिया में खास बनाता यूपी !
 स्वदेशी का प्रतीक, ग्राम सुराज की अवधारणा का सशक्त हथियार खादी अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के प्रयासों के चलते देश दुनिया के बाजारों में पैर पसार रही है। तमाम कारपोरेट ब्रांडों को टक्कर देते हुए हुए यूपी की खादी दुनिया में अपनी जगह बना रही है।
प्रदेश सरकार का खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग देश विदेश में खादी को बढ़ावा देने के लिए आनलाइन मार्केटिंक कंपनियों के साथ करार कर रहा है। जहां अमेजन के साथ पहले ही करार हो चुका है वहीं अब लिपकार्ट और मंत्रा जैसे आनलाइन प्लेटफार्म से भी बात की जा रही है। अमेजन इंडिया से हुए करार के मुताबिक प्रदेश में खादी ग्रामोद्योग की 150 ईकाईयों में बनने वाले उत्पाद इसके प्लेटफार्म पर बिक्री के लिए रखे जाएंगे। इसी तरह का करार अब लिपकार्ट और मंत्रा से भी करने की तैयारी है। प्रदेश सरकार की योजना अगले दो सालों में उत्तर प्रदेश की खादी को राष्ट्रीय व अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने की है।
प्रदेश सरकार कानपुर के बिल्हौर में 46 एकड़ जमीन पर खादी पार्क बनाने जा रही है। इस पार्क के लिए जमीन चिन्हित कर ली गयी है और इसके निर्माण पर 18.23 करोड़ रुपये की लागत आएगी। खादी पार्क की स्थापना झारखंड के खरसांवा पार्क की तर्ज पर की जाएगी। इसके लिए खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों की टीम झारखंड जाकर वहां का निरीक्षण कर चुकी है। खादी पार्क में जहां कपड़े व अन्य उत्पादों की ईकाईयां लगेंगी वहीं इसमें खादी की कताई, बुनाई, सिलाई पैकेजिंग के साथ नयी तरह के डिजायनों के निर्माण के बारे में  जानकारी दिए जाने की सुविधा मौजूद रहेगी।
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उनकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। विभाग की लखनऊ व गोरखपुर की प्रयोगशालाओं में जांच के बाद ही खादी ग्रामोद्योग के उत्पादों को ब्रांडिंग के लिए चयनित किया जाएगा। खादी को बतौर ब्रांड स्थापित करने के लिए लखनऊ और मुजफरनगर में खादी प्लाजा का निर्माण किया जा रहा है। इनमें लखनऊ के खादी प्लाजा की लागत 4.53 करोड़ रुपये तो मुजफरनगर के प्लाजा की लागत 8.03 करोड़ रुपये आएगी। इसके साथ प्रदेश के सभी जिलों में खादी के स्टोर खोलने की भी योजना है। इसके लिए बेरोजगार युवाओं से आवेदन मांगे जाएंगे। प्रदेश सरकार की योजना खादी के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की है। चालू वित्त वर्ष में खादी की 250 संस्थाओं से जुड़े 70000 बुनकरों विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ पहुंचाया जाएगा। इसी साल 1000 बुनकरों को चरखे बांटे जाएंगे।
उत्तर प्रदेश में अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को सरकार खादी की यूनिफार्म देगी। खादी के कपड़ों को ज्यादा से ज्यादा लोगों की पसंद बनाने के लिए इनकी डिजायन में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी (निट) की मदद भी ली जाएगी।
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के प्रमुख सचिव,  नवनीत सहगल के मुताबिक वर्तमान बदलते परिवेश तथा लोगों की बदलती रुचियों के चलते आज फैशन टेक्नालाजी का महत्व बढ़ा है। प्रमुख सचिव ने बताया कि राज्य सरकार में पहली बार पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के चार जिलों-लखनऊ, सीतापुर, बहराइच तथा मिर्जापुर में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को खादी ड्रेस आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में खादी संस्थाओं को समय से आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से खादी संस्थाओं को लाभ होगा। प्रदेश में अप्रैल महीने से शुरु होने वाले शैक्षिक सत्र से ही खादी की ड्रेस की आपूर्ति शुरु कर दी जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले खादी एंव ग्रामोद्योग विभाग उत्तर प्रदेश पुलिस को भी खादी में वर्दी की आपूर्ति का प्रस्ताव दे चुका है।
उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि निट जैसी संस्थाएं लोगों की मांग के अनुरूप डिजाइन को आधुनिक रूप में विकसित करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खादी परिधानों में नई डिजाइन को विकसित करने के लिए डिजाइन इंस्टीट्यूट की स्थापना पर विशेष बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा खादी वस्त्रों में डिजाइन को विशेष महत्व दिया गया है। इसके लिए खादी वस्त्र निर्माताओं को नई-नई डिजाइन विकसित करने और वस्त्रों को इनके मुताबिक  तैयार करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने निट से अपेक्षा की कि वे प्रशिणार्थियों से निरंतर बदलते फैशन के अनुरूप डिजाइनों को विकसित करने का प्रशिक्षण दे। उन्होंने कहा कि निट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षणार्थियों को खादी संस्थाओं से जोड़ा जाय। प्रत्येक खादी संस्थाओं में यह प्रशिक्षणार्थी जाकर निर्माताओं को वस्त्र निर्माण में नई डिजाइन के बारे में अवगत कराये और उन्हें मार्डन वस्त्र तैयार करने में सहयोग करें।
प्रमुख सचिव ने कहा कि खादी वस्त्रों के उत्पादन के साथ ही पैकेजिंग और मार्केटिंग की भी उत्कृष्ट व्यवस्था करने की जरूरत है। इस कार्य में खादी संस्थाओं के मार्गदर्शन में सरकार निट का सहयोग प्राप्त करेगी। उन्होंने कहा कि निजी उद्यमियों को भी खादी संस्थाओं के साथ जोडऩे का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने खादी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली छूट को  15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है। खादी के बुनकरों को दी जाने वाली छूट की राशि को सीधे बैंक खातों में डालने की व्यवस्था की गयी है।
 प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल के मुताबिक  प्रदेश सरकार ने खादी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बिक्री आधारित छूट के स्थान पर उत्पादन आधारित छूट की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की है। जिसके चलते 30 हजार बुनकरों को अब तक लाभ दया जा चुका है और छूट की राशि को सीधे उनके खाते में भेजा गया है। उन्होंने बताया कि खादी के क्षेत्र में ज्यादा से रोजगार पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार ने इस छूट को 15 से बढ़ाकर 25 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव किया है। इससे लगभग 70 हजार कत्तिन एवं बुनकर लाभान्वित होंगे।
सहगल ने  बताया कि  प्रदेश में खादी का उत्पादन करने वाली संस्थाओं को बोर्ड द्वारा 15 फीसदी  की दर से  दीन दयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजनाके तहत छूट दी जाती है। इस छूट की राशि को तीन भागों में बांटा गया है। संस्था में कार्यरत कत्तिन या बुनकर को उत्पादन प्रोत्साहन के लिए  भुगतान 34 फीसदी, संस्था को उत्पादन अवस्थापना को सुदृढ़ किये जाने के लिए 33 फीसदी जबकि संस्था को विपणन में मदद के लिए  33 फीसदी  राशि देने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि देश में उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जहां सौर ऊर्जा आधारित चर्खों के संचालन को मान्यता प्रदान करते हुए अनुदान की सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।
प्रमुख सचिव कहते हैं  कि पहली बार  प्रदेश की खादी संस्थाओं में कार्यरत 86,814 बुनकरों के बैंकों में खाते खुलवाकर आधार से लिंक कराया गया है, ताकि अनुदान की धनराशि सीधे खाते में भेजी जाये। वित्तीय वर्ष 2018-19 में बिक्री पर छूट के स्थान पर उत्पादन में छूट आधारित इस  योजना के तहत बुनकरों के खातों में कुल 4.71 करोड़ रुपये भेजे गए हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार खादी को चमकाने के लिए जहां प्लाजा बनाएगी वहीं इसी साल कानपुर के बिल्हौर में खादी पार्क पर काम शुरु कर दिया जाएगा। कानपुर में बनने वाले खादी पार्क को झारखंड के खरसावां पार्क की तरह विकसित किया जाएगा।
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