Utterkatha: Not the grand, the grandest Shri Ram temple!उत्तरकथा : भव्य नहीं, भव्यतम श्री राम मंदिर !

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 अयोध्या में भव्य राम मंदिर की निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगहबानी में होगा और इसकी भूमिका उन्होंने पहले से ही तैयार कर रखी है। मंदिर को लेकर मोदी की सतत निगरानी तो रहेगी ही साथ ही इसके भव्य स्वरुप में कोई कसर न रह जाए इस पर भी उनकी खास नजर होगी। मंदिर भवन निर्माण समिति का जिम्मा अपने पहले कार्यकाल में प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा को सौंप कर मोदी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। नृपेंद्र मिश्रा एक तरह प्रधानमंत्री के सपनों के मुताबिक मंदिर निर्माण का काम हो, इसे मुकम्मल करवाएंगे। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों को लेकर संत समाज में उपजी नाराजगी को प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप से कुशलता के साथ निपटा लिया गया है। अब राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के प्रमुख नृत्यगोपाल दास नए बने ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं तो विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय इसके सदस्य हैं।
 वास्तव में मंदिर निर्माण समिति के मुखिया बने नृपेंद्र मिश्रा ने बीते साल मोदी के दूसरा कार्यकाल शुरु होते ही अपना पद छोड़ दिया था। उस समय उनकी विदाई को लेकर तमाम कयास लगे गए थे। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी विदाई के समय ही आगे बड़ी जिम्मेदारी देने का संकेत दे दिया था। दरअसल नृपेंद्र मिश्रा को मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी सौंपने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की मंशा पूरे काम पर अपनी सीधी नजर रखने  की है। मोदी अपने मौजूदा कार्यकाल में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा करना चाहते हैं।
  खबर है कि अयोध्या में  मार्च के पहले हफ्ते में  राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की  बैठक होने जा रही है जिसमें निर्माण की तिथि पर चर्चा होनी है।  इसी बैठक में रामंमदिर निर्माण की तिथि घोषित होने के प्रबल आसार हैं।  चूंकि इस अवसर पर  पर अयोध्या में  भारी भीड़ रहेगी,इसलिए रामनवनी  के दिन मंदिर निर्माण की तिथि होने की संभावना कम है। तिथि का मतलब अधरशिला रखने का समय ।
 यह बात तो तय है कि प्रस्तावित राम मंदिर का गर्भगृह विश्व में सबसे बड़ा होगा और इसकी भव्यता भी अनुपम होगी।
श्रीराम जन्म भूमि क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने परिसर की भव्यता का पूरा खाका तैयार करने  शनिवार को अयोध्या पहुंच रहे हैं। अब 70 एकड़ में भव्य परिसर  को सुरक्षा और सुंदरता की दृष्टि से सजाने की तैयारी है।
राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में विहिप की तीन कार्यशालाएं सालों से बंद हैं, लेकिन वहां काफी मात्रा में तराशे गए पत्थर आज भी हैं। मातेश्वरी मार्बल, शिवशक्ति मॉर्बल और सोमपुरा मॉर्बल कंपनियों को पत्थर तराशकर अयोध्या भेजने का काम फिर सौंपा जा रहा है। राम मंदिर के लिए जिस साइज का खंभा पिलर या कंगूरे बनने हैं उसी साइज का ब्लॉक यहां से काटकर तराशा गया है। राममंदिर के पहले तल पर जो दरवाजे, जाली व फर्श होगी, वह राजस्थान के अजमेर जिले के सफेद मकराना पत्थर से तैयार होगी।
बंशी पहाड़पुर के पत्थर भरतपुर में वहां से हैं जिसके चारों तरफ पानी भरा रहता है। इसका प्रयोग देश की अनेक ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण के लिए किया गया है। जैसे-लाल किला, बुलंद दरवाजा, बीकानेर का जूनागढ़ आदि इमारतों के साथ ही देश के अनेकों किलों का निर्माण इसी पत्थर से हुआ था, जो हजारों वर्षों से ऐसे ही खड़े हैं। इस पत्थर की खास बात है कि इसका रंग कभी नहीं बदलता है। भरतपुर का यह पत्थर पानी में होता है और अपने गुलाबी रंग के साथ सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
 तैयार शिलाओं को केमिकल से चमकाने का प्रदर्शन करने की तैयारी  है। इसके लिए राजस्थान से कारीगर बुलाए गए हैं। पत्थर पर जमी काई केमिकल डालते ही साफ हो जाएगी, इसके बाद दो कोट केमिकल से करने के बाद जब धुलाई होगी तो पत्थर चमक उठेंगे।
सरकार की पूरी तैयारी इसी साल मार्च में राम मंदिर के शिलान्यास की है। मंदिर का निर्माण कई चरणों में होगा और पहली चरण 2022 में पूरा करते हुए इसके प्रथम तल को श्रद्धालुओं के खोल दिया जाएगा।  माना जा रहा है कि मंदिर में पूजा की शुरुआत यूपी के विधानसभा चुनावों के पहले कर दी जाएगी। लोकसभा चुनावों तक राम मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। आने वाले दो सालों में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए जनता को मंदिर निर्माण से जोड़ने का अभियान चलाने का काम भाजपा और  विश्व हिंदू परिषद के जरिएसंघ करेंगे। उधर मंदिर निर्माण के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद से तीन दशकों से कारसेवकपुरम में पत्थर तराशने का चल रहा काम बंद हो गया है। विहिप की इस कार्यशाला में मंदिर के लिए पत्थरों को तराशा जा रहा था। कार्यशाला प्रभारी का कहना है कि अब मंदिर निर्माण समिति ही आगे का काम करेगी। हालांकि उनका कहना है कि तराशे गए पत्थरों का इस्तेमाल मंदिर निर्माण में होगा और मंदिर विहिप के तैयार किए गए माडल के मुताबिक ही होगा।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि जल्दी की मंदिर निर्माण शुरु हो जाएगा।  मुख्यमंत्री योगी अपने बजट में अयोध्या के लिए कई घोषणाएं पहले ही कर चुके हैं। अयोध्या में राम की विशाल मूर्ति पर काम भी मार्च में ही शुरु हो जाएगा। इंडोनेशिया की तर्ज पर अयोध्या में प्रस्तावित धर्मनगरी इच्छवाकुपुरी का भी काम जल्दी ही शुरु होगा।  वैसे भी योगी सरकार ने पहले फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या रखा और अब इसे सरकारी महकमे में अयोध्या धाम करने की कवायद शुरू हो गई है । कुल मिलाकर आने वाले दो सालों में उत्तर प्रदेश में अयोध्या ही छाया रहेगा और सरकार इसे चुनावों तक  यह माहौल हर किसी तक पहुंचाना चाहती है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की पहली बैठक बीते बुधवार को प्रमुख न्यासी के पराशरण के घर पर हुयी। पराशरण ने दिल्ली में अपने ग्रेटर कैलाश के घर को ट्रस्ट के दफ्तर के लिए सौंप दिया है। बैठक के ठीक पहले ट्रस्ट में महंत नृत्यगोपाल दास और चंपत राय को शामिल किया गया। बैठक में मंहत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष और चंपत राय को महासचिव बनाया गया। ट्रस्ट के स्थायी सदस्य स्वामी गोविंददेव गिरी को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी। यह भी तय किया गया कि ट्रस्ट का बैंक खाता अयोध्या एसबीआई में खोला जाएगा जिसका संचालन स्वामी गोविंददेव गिरी, चंपत राय व सदस्य अनिल मिश्रा करेंगे। ट्रस्ट का स्थायी कार्यालय अयोध्या में होगा जिसके लिए जमीन राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा व अनिल मिश्रा तलाशेंगे।
 सुन्नी वक्फ बोर्ड भी माना, मस्जिद संग अस्पताल, शोध केंद्र व लाइब्रेरी भी
शुरुआती अगर-मगर के बाद आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेना मंजूर कर लिया है। वक्फ बोर्ड ने भी अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का फैसला किया है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है। बोर्ड ने अयोध्या में सरकार की ओर से दी जा रही इस जमीन पर भारतीय एवं इस्लामिक सभ्यता के अध्ययन के लिए केंद्र, चैरिटेबल अस्पताल और एक लाइब्रेरी बनाने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि बीते 9 नवंबर को दिए अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल रामलला को और मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि मंदिर निर्माण के लिए वह  3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट का गठन कर दिया है और अब सभी की निगाहें मामले के अहम पक्षकार और बाबरी मस्जिद के दावेदार सुन्नी वक्फ बोर्ड पर थी। वक्फ बोर्ड ने जमीन लेने या न लेने को लेकर आज अपनी बैठक बुलायी थी।
बाबरी मस्जिद की जगह पर अयोध्या में अन्य किसी जगह पर पांच एकड़ जमीन को लेकर मुस्लिम संगठनों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही मतभेद के स्वर सुनाई देने लगे थे। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा था कि उसे मस्जिद के बदले में दूसरी जगह पर दी जाने वाली पांच एकड़ जमीन मंजूर नही हैं। बोर्ड ने कहा कि वो हक की लड़ाई लढ़ने गए न कि दूसरी जमीन पाने के लिए। बोर्ड की फैसले के बाद बुलाई गयी कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया था कि उन्हें वही जमीन चाहिए जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी। गौरतलब है कि बड़ी तादाद में अन्य मुस्लिम संगठनों ने पांच एकड़ जमीन न लिए जाने की बात कही थी। बोर्ड का कहना था कि वो हक की लड़ाई लड़ने गए थे न कि दूसरी जमीन पाने के लिए। कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया था कि उन्हें वही जमीन चाहिए जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी। हालांकि बाद में इसका अंतिम फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड पर छोड़ दिया गया था।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के एक सदस्य का कहना है कि उनकी कोशिश सरकार की ओर से दी जानी वाली जमीन पर चैरिटेबल अस्पताल, अध्ययन केंद्र व लाइब्रेरी बनाकर नफरत के माहौल को खत्म करने व भाईचारे का संदेश देने की है। बोर्ड का कहना है कि सरकार की ओर से मिलने वाली पांच एकड़ जमीन पर जो अस्पताल बनेगा उसमें सभी धर्मों के लोगों का ईलाज होगा और इसी तरह से लाइब्रेरी व अध्ययन केंद्र सभी धर्मों के लोगों के उपयोग में आएगी। पूरे पांच एकड़ के कांप्लेक्स में भवन इस तरह से बनाए जाएंगे जो भारतीय सभ्यता के अनुरुप होंगे। बोर्ड ने कुछ दिन पहले से इस बात के संकेत देने शुरु कर दिए थे कि वह अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी किसी तरह का विवाद नहीं चाहता है और इसी के चलते फैसले के तहत दी जाने वाली जमीन भी खुशी खुशी स्वीकार कर ली जाएगी। प्रदेश सरकार ने मस्जिद के लिए पांच एक एकड़ जमीन अयोध्या में परिक्रमा क्षेत्र से काफी दूर चिन्हित की है।
राम मंदिर के तर्ज पर ही मस्जिद के लिए भी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एक ट्रस्ट का गठन करेगा। बोर्ड की इच्छा इस ट्रस्ट के जरिए भी भाईचारे का संदेश देने है और इसके को देखते हुए इसमें सदस्य शामिल किए जाएंगे। बोर्ड की इच्छा प्रस्तावित ट्रस्ट में सभी धर्मों व विचारों को मानने वालों को शामिल करने की है। ट्रस्ट के गठन व इसमें शामिल किए जाने वाले सदस्यों पर जल्द ही विचार किया जाएगा। पांच एकड़ जमीन पर होने वाला निर्माण सरकार के नही बल्कि जनता के सहयोग से किया जाएगा।
 यह बात तो तय है कि प्रस्तावित राम मंदिर का गर्भगृह विश्व में सबसे बड़ा होगा और इसकी भव्यता भी अनुपम होगी।
सरकार की पूरी तैयारी इसी साल मार्च में राम मंदिर के शिलान्यास की है। मंदिर का निर्माण कई चरणों में होगा और पहली चरण 2022 में पूरा करते हुए इसके प्रथम तल को श्रद्धालुओं के खोल दिया जाएगा।  माना जा रहा है कि मंदिर में पूजा की शुरुआत यूपी के विधानसभा चुनावों के पहले कर दी जाएगी। लोकसभा चुनावों तक राम मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। आने वाले दो सालों में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए जनता को मंदिर निर्माण से जोड़ने का अभियान चलाने का काम भाजपा और  विश्व हिंदू परिषद के जरिएसंघ करेंगे। उधर मंदिर निर्माण के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद से तीन दशकों से कारसेवकपुरम में पत्थर तराशने का चल रहा काम बंद हो गया है। विहिप की इस कार्यशाला में मंदिर के लिए पत्थरों को तराशा जा रहा था। कार्यशाला प्रभारी का कहना है कि अब मंदिर निर्माण समिति ही आगे का काम करेगी। हालांकि उनका कहना है कि तराशे गए पत्थरों का इस्तेमाल मंदिर निर्माण में होगा और मंदिर विहिप के तैयार किए गए माडल के मुताबिक ही होगा।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि जल्दी की मंदिर निर्माण शुरु हो जाएगा।  मुख्यमंत्री योगी अपने बजट में अयोध्या के लिए कई घोषणाएं पहले ही कर चुके हैं। अयोध्या में राम की विशाल मूर्ति पर काम भी मार्च में ही शुरु हो जाएगा। इंडोनेशिया की तर्ज पर अयोध्या में प्रस्तावित धर्मनगरी इच्छवाकुपुरी का भी काम जल्दी ही शुरु होगा।  वैसे भी योगी सरकार ने पहले फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या रखा और अब इसे सरकारी महकमे में अयोध्या धाम करने की कवायद शुरू हो गई है । कुल मिलाकर आने वाले दो सालों में उत्तर प्रदेश में अयोध्या ही छाया रहेगा और सरकार इसे चुनावों तक  यह माहौल हर किसी तक पहुंचाना चाहती है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की पहली बैठक बीते बुधवार को प्रमुख न्यासी के पराशरण के घर पर हुयी। पराशरण ने दिल्ली में अपने ग्रेटर कैलाश के घर को ट्रस्ट के दफ्तर के लिए सौंप दिया है। बैठक के ठीक पहले ट्रस्ट में महंत नृत्यगोपाल दास और चंपत राय को शामिल किया गया। बैठक में मंहत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष और चंपत राय को महासचिव बनाया गया। ट्रस्ट के स्थायी सदस्य स्वामी गोविंददेव गिरी को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी। यह भी तय किया गया कि ट्रस्ट का बैंक खाता अयोध्या एसबीआई में खोला जाएगा जिसका संचालन स्वामी गोविंददेव गिरी, चंपत राय व सदस्य अनिल मिश्रा करेंगे। ट्रस्ट का स्थायी कार्यालय अयोध्या में होगा जिसके लिए जमीन राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा व अनिल मिश्रा तलाशेंगे।
 सुन्नी वक्फ बोर्ड भी माना, मस्जिद संग अस्पताल, शोध केंद्र व लाइब्रेरी भी
शुरुआती अगर-मगर के बाद आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेना मंजूर कर लिया है। वक्फ बोर्ड ने भी अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का फैसला किया है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है। बोर्ड ने अयोध्या में सरकार की ओर से दी जा रही इस जमीन पर भारतीय एवं इस्लामिक सभ्यता के अध्ययन के लिए केंद्र, चैरिटेबल अस्पताल और एक लाइब्रेरी बनाने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि बीते 9 नवंबर को दिए अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल रामलला को और मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि मंदिर निर्माण के लिए वह  3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट का गठन कर दिया है और अब सभी की निगाहें मामले के अहम पक्षकार और बाबरी मस्जिद के दावेदार सुन्नी वक्फ बोर्ड पर थी। वक्फ बोर्ड ने जमीन लेने या न लेने को लेकर आज अपनी बैठक बुलायी थी।
बाबरी मस्जिद की जगह पर अयोध्या में अन्य किसी जगह पर पांच एकड़ जमीन को लेकर मुस्लिम संगठनों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही मतभेद के स्वर सुनाई देने लगे थे। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा था कि उसे मस्जिद के बदले में दूसरी जगह पर दी जाने वाली पांच एकड़ जमीन मंजूर नही हैं। बोर्ड ने कहा कि वो हक की लड़ाई लढ़ने गए न कि दूसरी जमीन पाने के लिए। बोर्ड की फैसले के बाद बुलाई गयी कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया था कि उन्हें वही जमीन चाहिए जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी। गौरतलब है कि बड़ी तादाद में अन्य मुस्लिम संगठनों ने पांच एकड़ जमीन न लिए जाने की बात कही थी। बोर्ड का कहना था कि वो हक की लड़ाई लड़ने गए थे न कि दूसरी जमीन पाने के लिए। कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया था कि उन्हें वही जमीन चाहिए जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी। हालांकि बाद में इसका अंतिम फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड पर छोड़ दिया गया था।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के एक सदस्य का कहना है कि उनकी कोशिश सरकार की ओर से दी जानी वाली जमीन पर चैरिटेबल अस्पताल, अध्ययन केंद्र व लाइब्रेरी बनाकर नफरत के माहौल को खत्म करने व भाईचारे का संदेश देने की है। बोर्ड का कहना है कि सरकार की ओर से मिलने वाली पांच एकड़ जमीन पर जो अस्पताल बनेगा उसमें सभी धर्मों के लोगों का ईलाज होगा और इसी तरह से लाइब्रेरी व अध्ययन केंद्र सभी धर्मों के लोगों के उपयोग में आएगी। पूरे पांच एकड़ के कांप्लेक्स में भवन इस तरह से बनाए जाएंगे जो भारतीय सभ्यता के अनुरुप होंगे। बोर्ड ने कुछ दिन पहले से इस बात के संकेत देने शुरु कर दिए थे कि वह अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी किसी तरह का विवाद नहीं चाहता है और इसी के चलते फैसले के तहत दी जाने वाली जमीन भी खुशी खुशी स्वीकार कर ली जाएगी। प्रदेश सरकार ने मस्जिद के लिए पांच एक एकड़ जमीन अयोध्या में परिक्रमा क्षेत्र से काफी दूर चिन्हित की है।
राम मंदिर के तर्ज पर ही मस्जिद के लिए भी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एक ट्रस्ट का गठन करेगा। बोर्ड की इच्छा इस ट्रस्ट के जरिए भी भाईचारे का संदेश देने है और इसके को देखते हुए इसमें सदस्य शामिल किए जाएंगे। बोर्ड की इच्छा प्रस्तावित ट्रस्ट में सभी धर्मों व विचारों को मानने वालों को शामिल करने की है। ट्रस्ट के गठन व इसमें शामिल किए जाने वाले सदस्यों पर जल्द ही विचार किया जाएगा।
-हेमंत तिवारी
(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अघ्यक्ष हैं।
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