UPOP planted saplings of self-sufficient India: यूपी की ओडीओपी ने आत्मनिर्भर भारत की पौध रोपी

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बड़े कारपोरेट घरानों की उड़ान और शेयर बाजारों को हसरत से तकने वाली उत्तर प्रदेश की छोटी-मझोली ईकाईयां आज पूंजी बाजार में कदमताल करने लगी हैं। बीते एक साल में ही यूपी की 15 छोटे उद्यमियों ने शेयर बाजार में अपनी आमद दर्ज करायी है और दर्जनों इस कतार में हैं। पंजाब में जन्में और यूपी को कर्मभूमि बनाने वाले नौकरशाह नवनीत सहगल ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) और बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) तक प्रदेश के उद्यमियों की पहुंच को आसान कर देने का बड़ा काम किया। यूपी सरकार ने एनएसई और बीएसई से करार कर छोटे व मझोले उद्यमियों के लिए वित्तीय जरुरतों को पूरा करने की खातिर पूंजी बाजार का रास्ता अपनाने की राह आसान कर दी है।
यूपी सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना ने तो वास्तव में प्रधानमंत्री के वोकल फार लोकल के नारे को जमीन पर उतारने और उसे बुलंद करने का काम कर दिखाया है। हाल ही में यूपी की  लखनऊ यूनिवर्सिटी के 100 साला जलसे में प्रधानमंत्री ने लोकल फार वोकल की वकालत करते हुए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) को इसकी जान बताया है। वित्त मंत्री के इस बार के सालाना बजट भाषण में या कि कई राज्यों में प्रयोग के तौर पर अजमाने का मामला हो ओडीओपी हिट है। यूपी के हर जिले की खासियत में शुमार होते हैं कोई न कोई उत्पाद और उन्हीं को केंद्र में रखते हुए शुरू की गयी इस योजना का डंका आज देश विदेश में बजने लगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए वास्तव में खाद पानी का काम ओडीओपी जैसी योजनाएं ही कर रही हैं। ओडीओपी की सफलता और निर्यात के लिए बढ़ी मांग से उत्साहित योगी सरकार ने अब अपनी नयी निर्यात नीति का एलान कर डाला है।
नीति के तहत ट्रांसपोर्ट सब्सिटी, एक छत के नीचे सभी सुविधाए और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट जैसी तमाम सहूलियतें दी जाएगी। प्रदेश से निर्यात बढ़ाकर ढाई गुना करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार नयी नीति लेकर आई है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में सालाना निर्यात को मौजूद 1.20 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश सरकार नयी नीति के तहत हर जिले में एक्सपोर्ट हब भी बनाएगी। इसके जरिए निर्यातकों की सभी जरुरतें पूरी की जाएगीं। प्रदेश सरकार की नयी निर्यात नीति में निर्यातकों को पोर्ट से पड़ोसी देश तक माल ले जाने के लिए लगने वाले ट्रांसपोर्ट खर्च पर सब्सिडी दी गई है। इसके साथ ही प्रदेश में मौजूद या नयी लगने वाली किसी भी छोटे या मझोले उद्यम  में 50 फीसदी से ज्यादा उत्पादन निर्यात होने की दशा में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को पूरी तरह से माफ किया जाएगा।
प्रदेश सरकार अपने खर्च पर निर्यातकों के लिए मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस स्कीम के तहत बायर-सेलर मीट का आयोजन करेगी। हाल ही में ओडीओपी उत्पादों के लिए औद्योगिक संगठन फिक्की की मदद से इस तरह की प्रदर्शनी का सफल आयोजन किया गया था। इतना ही नहीं प्रदेश की नयी निर्यात नीति में नियार्तों को देश विदेशों में लगने वाले व्यापार मेले में भाग लेने के लिए भाड़ा सहित अन्य सहूलियतें भी दी जाएंगी। प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों और हस्तशिल्प की पहुंच विदेशी बाजारों तक करने के लिए उनकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग को भी सुधारा जाएगा। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत विशिष्ट उत्पादों की पैकेजिंग को बेहतर बनाने के लिए उच्च तकनीकी व डिजायन का इस्तेमाल किया जाएगा।
इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी (निफ्ट) रायबरेली और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी (आईआईपी) से करार किया जा रहा है। इन संस्थानों से हाथ मिलाने के बाद उत्तर प्रदेश के ओडीओपी उत्पादों की डिजायन और पैकेजिंग में सुधार आएगा। प्रदेश के 65 जिलों में तैयार होने वाले इन विशिष्ट उत्पादों को अंतरर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरुप बनाने के लिए क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया से पहले ही करार किया जा चुका है।
प्रदेश सरकार के अधिकारियों के मुताबिक ओडीओपी योजना निर्यात का लक्ष्य पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों को हाल ही में अमेजन, फ्लिपकार्ट और ईबे जैसे आनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध कराया गया है जिसके बेहतर नतीजे मिले हैं। अमेजन पर ही प्रदेश के ओडीओपी उत्पादों की 45 दिनों में 24 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री हुयी है। ओडीओपी उत्पादों के निमार्ताओं को सहूलियतें देने के लिए प्रदेश सरकार जिलों में कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना कर रही है। इसके तहत अब तक 21 जिलों में सीएफसी स्थापित किए जा चुके हैं। इन सेंटरों में एक छत के नीचे प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, कच्चा माल, डिजायन सहित मशीने वगैरा उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन सीएफसी का सबसे ज्यादा उन साधनविहीन कारीगरों को मिल रहा है जो हुनर से अमीर पर हाथ से तंग थे।
इसी ओडीओपी का ही कमाल रहा कि उत्तर प्रदेश में इस बार असली दीवाली मिट्टी के दिए, बर्तन, खिलौने बनाने वाले कुहारों, हस्तशिल्पियों, बुनकरों और छोटे उद्यमियों ने मनाई है। वोकल फार लोकल की धूम में प्रदेश में जमकर इन लोगों के उत्पाद बिके हैं। दीवाली उपहारों के लिए इस बार कारपोरेट घरानों ने भी जमकर देसी उत्पाद खरीदे हैं। गिफ्ट में कनौज का इत्र, मुरादाबाद के बार्सवेयर, फिरोजाबाद के कांच के उत्पाद और चिकनकारी के सामानों की खासी मांग रही है। खुद प्रदेश सरकार ने केंद्र व अन्य राज्यों के महत्वपूर्ण लोगों को अपनी ओर से स्थानीय विशिष्ट उत्पाद उपहार के तौर पर भेजे हैं।
ओडीओपी के सर्वेसर्वा नवनीत सहगल ने देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित सभी महत्वपूर्ण लोगों को प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों का संग्रहणीय किट भेजा है। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत शामिल विशिष्ट शिल्प उत्पादों की आनलाइन प्लेटफार्म अमेजन पर 24 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री हुयी है। इनमें सिल्क के कपड़े, कालीन, जरी, पीतल, टेराकोटा, पाटरी, गुड़ सहित तमाम उत्पाद शामिल हैं। चायनीज उत्पादों के बहिष्कार का भी खासा फायदा इस बार प्रदेश के छोटे उद्यमियों को हुआ है। इस दीवाली मिट्टी के दियों की बिक्री ने रिकार्ड बना दिया है। वहीं सस्ती चीनी झालरों के मुकाबले प्रदेश के कानपुर और गाजियाबाद में बनी देशी झालरों ने तो इस बार पहले के मुकाबले चार गुना बिक्री की है। चीनी उत्पादों के बहिष्कार के चलते इस बार गाजियाबाद और कानपुर में बनने वाली बिजली की झालरों व सजावटी सामानों को जम कर आर्डर मिल रहे हैं।
कारोबारियों का कहना है कि इस बार की दीवाली में 140 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार रहा है जबकि पहले यह बामुश्किल 20-30 करोड़ रुपये तक पहुंच पाता था। गजियाबाद और कानपुर में इस बार बिजली कारोबारियों ने चीनी माल से मुकाबला करने के लिए कम कीमत की भी झालरें बनवाईं जिनकी खूब मांग रही है। मिट्टी के बने दियों के साथ ही इस बारी की दीवाली में बर्तनों के तौर पर भी लोगों ने जमकर मिट्टी के बने सामानों की खरीददारी की है। प्रदेश सरकार की ओर से स्थापित माटी कला बोर्ड की सहायता से खुर्जा के कारीगरों के बनाए प्रेशर कूकर, पानी की बोतल, कड़ाही से लेकर तवा तक लोगों की पहली पसंद बने हैं। गोरखपुर के टेराकोटा के बने लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की मांग इस बार देश भर में सबसे ज्यादा रही है।
(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अघ्यक्ष हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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