केदारनाथ आपदा के बाद भारत में ऐसी घटनाओं से निपटने की स्थिति बेहतर, पर खतरा बरकरार

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Union for Conservation of Nature
यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर के वरिष्ठ अधिकारी यशवीर भटनागर

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(Union for Conservation of Nature): अंतरराष्ट्रीय संस्था ने आपदा से निपटने के लिए भारत सरकार की तैयारी की तारीफ की है। यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि आपदा से निपटने की भारत की तैयारी पहले के बजाय काफी बेहतर हुई है लेकिन अब भी कई ऐसे कारण हैं, जिनके चलते देश में आपदा का खतरा बरकरार है।

बुनियादी ढांचे में विस्तार और हिमालय की भंगुरता मुख्य कारण

आईयूसीएन में भारत के प्रतिनिधि यशवीर भटनागर ने कहा, बादल फटने की घटनाएं हों, बाढ़ हो अथवा जोशीमठ जैसी घटनाएं, लगातार बढ़ रही आबादी व बुनियादी ढांचे में विस्तार और हिमालय की भंगुरता भी इसके मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा, बतौर पर्यावरण कार्यकर्ता, हम नहीं चाहते कि विकास कार्य रुक जाएं, लेकिन हम चाहते हैं कि विकास कार्य इस तरह किए जाएं कि इनसे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि जमीन धंसने के चलते जोशीमठ अपनी जगह से 5.4 सेंटीमीटर खिसक गया है।

जोशीमठ में अचानक जमीन धंसने के बाद कई लोग बेघर

गौरतलब है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में अचानक जमीन धंसने के बाद वहां के कई लोग बेघर हो गए हैं। इलाके को भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। वहां जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं, जिसके कारण कई व्यवसायिक और रिहायशी इलाकों को खाली करवा दिया गया है।

प्रोजेक्ट्स के चलते और बढ़ेंगी घटनाएं

यशवीर भटनागर ने कहा कि पर्यावरण में बदलाव के चलते भारत में बेमौसम बरसात की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते बुनियादा ढांचे के विकास, पर्यटन, खेती व हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से आने वाले समय में खराब मौसम की घटनाएं बढ़ेंगी। बादल फटने की घटनाओं में भी इससे इजाफा होगा। पर्यावरण कार्यकर्ता ने कहा कि सरकार को जनता को पर्यावरण को लेकर जागरूक करने की भी जरूरत है। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते भारत में ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार तेज हो गई है और इसके असर से भारत में बाढ़ आने का खतरा बढ़ सकता हैं।

हिमालयी क्षेत्र में चल रहा चार धाम प्रोजेक्ट का काम

माना जा रहा है कि इसके पीछे का कारण हिमालयी क्षेत्र में चल रहा चार धाम प्रोजेक्ट का काम है, जिसके तहत सरकार चारों धामों को जाने के लिए सभी मौसम के अनुकूल सड़क का निर्माण करा रही है ताकि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ सके। यशवीर भटनागर ने बताया कि केदारनाथ की घटना के बाद से आपदा में हमारी त्वरित कार्रवाई में तेजी आई है। पहले के मुकाबले हम बेहतर हुए हैं।

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