ULFA Peace Agreement: भारत सरकार और उल्फा के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर

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ULFA Peace Agreement

Aaj Samaj (आज समाज), ULFA Peace Agreement, नई दिल्ली: देश के पूर्वोत्तर राज्य असम और उत्तर-पूर्व में 40 वर्ष से ज्यादा समय से सक्रिय उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) और भारत सरकार के बीच कल यानी शुक्रवार शाम को ऐतिहासिक शांति समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर हो गए। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में दिल्ली में आयोजित बैठक में दशकों बाद पहली बार ऐसा हुआ जब किसी सशस्त्र उग्रवादी संगठन व सरकार के बीच शांति को लेकर सहमति बनी है।

  • उल्फा का कट्टरपंथी गुट नहीं समझौते का हिस्सा

समझौते के तहत ये रहेंगे प्रयास

सरकार व उल्फा के बीच समझौते के तहत असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी। इसके अलावा राज्य के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में ही मौजूद रहेंगे। उल्फा के कैडरों को सरकार रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया करवाएगी। इसके के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार हर संभव प्रयास करेगी।

पूर्वोत्तर में बीते 5 साल में 9 शांति समझौते हुए

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, उल्फा व सरकार के बीच शाति समझौता असम के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल मौका है। उन्होंने कहा, राज्य और उत्तर-पूर्व में पिछले कई दशकों से हिंसा देखी जा रही है। लेकिन जब से नरेंद्र मोदी आए हैं हम पूर्वोत्तर को हिंसा मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर में 9 शांति समझौते (सीमा शांति और शांति समझौते सहित) हुए।

85 फीसदी इलाकों से अफस्फा हटाया गया

अमित शाह ने बताया कि असम के 85 फीसदी इलाकों से अफस्फा हटाया गया। त्रिपक्षीय समझौते से असम में हिंसा का समाधान हो सकेगा। उल्फा द्वारा दशकों तक की गई हिंसा में 10,000 लोग मारे गए। शांति समझौता असम में उग्रवाद का संपूर्ण समाधान है। सभी धाराओं को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। अमित शाह ने कहा, आज उल्फा के 700 कैडरों ने आज आत्मसमर्पण कर दिया।

अनूप चेतिया गुट से हुए हैं समझौते पर दस्तखत

उल्फा के एक धड़े के 20 नेता पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे और भारत सरकार और असम सरकार के आला अधिकारी इस समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर के लिए उन्हें तैयार कर रहे थे। उल्फा के जिस धड़े ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं वह अनूप चेतिया गुट का है। 2011 से उल्फा के इस गुट ने हथियार नहीं उठाए हैं लेकिन यह पहली बार है जब बकायदा एक शांति समझौते का मसौदा तैयार किया गया है और दोनों पक्षों के नुमाइंदों ने उस पर हस्ताक्षर किए हैं। पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है।

‘संप्रभु असम’ की मांग के साथ 1979 में हुआ था गठन

बता दें कि उल्फा का गठन 1979 में ‘संप्रभु असम’ की मांग के साथ किया गया था। तब से, यह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था। उल्फा के साथ भारत सरकार ने कई बार बात करनी चाही, लेकिन उल्फा में आपस में टकराव से इस कोशिश में बाधा पैदा होती रही.। आखिरकार 2010 में उल्फा दो भागों में बंट गया। एक हिस्से का नेतृत्व अरबिंद राजखोवा ने किया, जो सरकार के साथ बातचीत के पक्ष में थे और दूसरे का नेतृत्व बरुआ के नेतृत्व में था, जो बातचीत के विरोध में था। राजखोवा गुट सितंबर 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुआ था।

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