महिला सरपंच के पति ने संभाला काम तो जाएगी कुर्सी

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The Husband Of The Female Sarpanch Took Over The Work
The Husband Of The Female Sarpanch Took Over The Work

आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
पंजाब में अब महिला सरपंचों के पति ग्राम पंचायतों की बैठकों का संचालन नहीं कर पाएंगे। सरकार ने महिला सरपंचों के कामकाज को उनके पतियों के संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही महिला सरपंचों को आधिकारिक तौर पर खुद बैठकों में शामिल होना जरूरी कर दिया है।

मीटिंगों में न आने पर सस्पेंड करने का प्रावधान

सरकार ने कहा है कि महिला सरपंच यदि खुद पंचायतों की बैठक में शामिल नहीं होंगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड किया जा सकता है। ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा है कि उन्हें शिकायतें मिली है कि कई महिला सरपंचों के पति और परिवार के सदस्य उनकी ओर से आधिकारिक बैठकों में भाग ले रहे हैं। ज्यादातर महिला सरपंच जिला मुख्यालय में होने वाली बैठकों में शामिल नहीं होती हैं। वे प्रखंड और ग्राम स्तर की बैठकों में भी नहीं आती हैं। उनके स्थान पर यदि उनके पति बैठकों का संचालन कर रहे हैं तो महिलाओं के लिए आरक्षण का क्या उद्देश्य है?

अब तक बैठकों में पति लेते थे फैसले

सूबे में कई पंचायतें ऐसी है जहां पर महिला सरपंच हैं, लेकिन बैठकों में वह न तो अपनी राय रखती हैं और न ही खुद फैसले लेती हैं। ज्यादातर फैसले उनकी जगह उनके पति ही लेते हैं। लेकिन अब आम आदमी पार्टी सरकार ने इन शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई करने का फैसला लिया है। सरकार ने कहा है कि जो भी महिला पंच या सरपंच चुनी जाएगी उसे ही पंचायतों के कामों में आगे बढ़कर फैसले लेने होंगे। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अब हर बैठक में होना होगा शामिल

पंचायत मंत्री ने कहा कि इस तरह के मामलों में ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। गौरतलब है कि पंजाब में 12700 गांव हैं, इनमें 5600 महिला और 7100 पुरुष सरपंच हैं। आप सरकार ने अब उपायुक्तों और अन्य जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि महिला सरपंच व्यक्तिगत रूप से सभी आधिकारिक बैठकों में शामिल हों।

 

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