Raja Veer Vikramaditya Saang : आर्य कॉलेज में राजा वीर विक्रमादित्य का सांग देखकर भाव विभोर हुए दर्शक

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Raja Veer Vikramaditya Saang
  • अपनी संस्कृति को सहेजने में युवाओं को निभानी होगी अहम भूमिका  : डॉ. पवन आर्य
Aaj Samaj (आज समाज),Raja Veer Vikramaditya Saang,पानीपत : बुधवार को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, ऑन थिएटर ग्रुप व आर्य कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में पंडित मांगे राम द्वारा रचित राजा वीर विक्रमादित्य सांग का मंचन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सूचना जनसंपर्क भाषा एवं संस्कृति विभाग हरियाणा सरकार के परियोजना अधिकारी डॉ.पवन आर्य ने शिरकत की। कॉलेज प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता व कॉलेज के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के प्रभारी डॉ. रामनिवास ने मुख्य अतिथि व साँग मंडली का कॉलेज प्रांगण में पहुंचने पर पुष्पगुच्छ देकर स्वागत कर अभिनंदन किया।

हरियाणा सरकार का यह प्रयास काबिले तारीफ 

मुख्य अतिथि डॉ.पवन आर्य ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार का यह प्रयास काबिले तारीफ है कि वो अपनी संस्कृति को बचाने व सहेज कर रखने के लिए सांग जैसी प्राचीन विधा को बचाने के लिए समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन राज्य के अलग-अलग जिलों में निरंतर करती रहती है। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को और आगे बढ़ाने में और इसको सहेज कर रखने में युवाओं को अपनी अहम भागीदारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि साँग हरियाणा की संस्कृति का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है और ये हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि अपनी संस्कृति को आने वाली पीढ़ी के लिए सहेज कर रखें ताकि आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति पर नाज कर सके। मंच संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो. विजय सिंह ने किया।

 

 

Raja Veer Vikramaditya Saang

कलाकारों ने अपनी कला का लोहा मनवाते हुए दर्शकों को भाव विभोर कर दिया 

कॉलेज प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, ऑन थिएटर ग्रुप एवं आर्य पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में पंडित मांगे राम द्वारा लिखित व वर्तमान में हरियाणा के प्रसिद्ध सांगी वेद प्रकाश अत्री द्वारा तैयार करवा गया राजा विक्रमादित्य सांग (लोक नाटक) की रंगारंग प्रस्तुति आर्य पी.जी. कॉलेज के ओ.पी. सिंगला सभागार, में हुई । उन्होंने बताया कि कलाकारों ने अपनी कला का लोहा मनवाते हुए दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता युवा एवं संस्कृति गतिविधियों के संयोजक डॉ. रामनिवास आर्य ने की। लोक नाटक में कलाकारों ने हरियाणवी लोक रंगमंच की छटा को बिखेरते हुए लोक कला, लोक गायन, लोक वाद्य यंत्र, लोक वेशभूषा से दर्शकों का मनोरंजन किया।

इस प्रकार रहा सांग का प्रस्तुतीकरण 

आर्य कॉलेज के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के प्रभारी डॉ. रामनिवास ने जानकारी  देते हुए बताया कि लोक नाटक में बेड़ेबंध एवं राजा की भूमिका में वेद प्रकाश रहे। पूरी कहानी उनके चारों ओर घूमती रही। सांग में दिखाया गया कि मानसरोवर ताल से हंसो को राजा इंद्र 12 साल का निकाला दे देते हैं। हंस वहां से राजा वीर विक्रमादित्य के बागों में आते हैं। राजा के आगे विनती करते शहर में ठहरा ले क्षत्री नाटिये मतन्या दुख दर्दा की बुझ लिये चाहे डाटीए मतना। राजा दया करके बागों में ठहरा लेते हैं। हंसो को रहते-रहते 11 साल 11 महीने हो जाते हैं। अब वो हंस राजा से विदा लेकर अपने लोक को जाते हैं। रास्ते मे राजा वीर विक्रमाजीत की बड़ाई करते हैं और उसे बिस्वे बीस कहते हैं। बिस्वे बीस खुद भगवान को कहते हैं। यह बात इंद्र महाराज सुन लेते हैं और क्रोध में हो जाते हैं वो हंसो को धमकाते हुए कहते हैं कि तुम एक साधारण राजा को बिस्वे बीस कहते हो। जाओ मैं तुम्हारी एक हंसनी रख लेता हू। अगर वो इतना बलवान है तो इसे छुड़ा लेगा। वो हंस वापिस राजा के पास जाते है और सब बात बताते हैं। राजा कहते हैं ये आपने अच्छा नहीं किया मुझे बिस्वे बीस नहीं कहना चाहिए था फिर भी तुम मेरे यहां रुको मैं कैसे भी तुम्हारी हंसनी लेकर आऊंगा। राजा हंसनी छुड़ाने चल पड़ते हैं। चलते-चलते श्याम धाम नगरी में पहुंच जाते हैं। वहां एक सरा में भटियारी अपने बेटे को नहलाती और रोती जाती है। वो भटियारी बताती म्हारे राजा की लड़की को एक बीमारी है। रोज एक आदमी की बली उसके लिये जाती है। 12 साल पहले मेरे पति गये थे। आज मेरे बेटे का नम्बर है। राजा वीर विक्रमादित्य कहते हैं मैं आपके बेटे के बदले में जाउंगा।

सांग हमारे लोक संस्कृति का परिचायक हैं

अपने संबोधन के अंत में  डॉ. रामनिवास आर्य ने कहा कि सांग हमारे लोक संस्कृति का परिचायक हैं। हमारी सभ्यता एवं संस्कृति ही हमारे संस्कारों को बचा सकती है। आज का युवा संस्कारों से दूर होता जा रहा है। हमें युवाओं को हमारी संस्कृति का बोध कराना होगा। उन्होंने कहा कि आज पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला हो रहा है। हमें भारतीय संस्कृति की अलख जगानी होगी। इस अवसर पर कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ-साथ पानीपत शहर व गांवों के बडे बुजुर्ग भी मौजूद रहे।
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