वर्ष 2025 तक टीबी रोग को समाप्त करने का लक्ष्य : सिविल सर्जन डॉ. देविंदर ढांडा

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Target to end TB disease by 2025: Civil Surgeon Dr. Devinder Dhanda

जगदीश, नवांशहर :

  • थूक पॉजिटिव केसों की निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने को कहा
  • टीबी मरीजों की समय पर पहचान बेहद जरूरी

सिविल सर्जन डॉ. देविंदर ढांडा ने आज राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा की। इस अवसर पर जिला नोडल अधिकारी डाॅ. निर्मल कुमार को टीबी के खात्मे के लिए ठोस कदम उठाते हुए थूक पॉजिटिव मामलों की निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के लिए कहा गया।

डॉ. देविंदर ढांडा ने कहा कि जिले में टीबी के 497 सक्रिय मामले हैं। सक्रिय टीबी रोगियों को इस रोग को अधिक फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत वर्ष 2025 तक देश से टीबी रोग को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, जिसे प्राप्त करने के लिए टीबी रोगियों की शीघ्र पहचान बहुत महत्वपूर्ण है। टीबी मरीजों की जल्द पहचान कर इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।

टीबी एक खतरनाक बीमारी

डॉ. ढांडा ने कहा कि टीबी एक खतरनाक बीमारी है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो मरीज की जान भी जा सकती है। एक टीबी रोगी एक स्वस्थ रोगी को साँस के माध्यम से संक्रमित कर सकता है। इसलिए टीबी के मरीजों को अपना मुंह ढक कर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में 26 लाख से अधिक सक्रिय टीबी रोगी होने का अनुमान है, जिनमें से हर साल पांच लाख टीबी रोगियों की मृत्यु हो जाती है। क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक रोग है जो खांसने, छींकने और हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इसके अन्य लक्षणों में बुखार, भूख न लगना, वजन कम होना आदि समस्या शामिल हैं।

टीबी के खिलाफ लड़ाई में बाधा सामाजिक भेदभाव

सिविल सर्जन ने कहा कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो जांच कराएं। उन्होंने कहा कि टीबी का इलाज संभव नहीं है। मरीजों को टीबी का इलाज जरूर पूरा करना चाहिए, नहीं तो यह गंभीर रूप ले लेता है। उन्होंने कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ी बाधा सामाजिक भेदभाव है, जिसके कारण मरीज अपनी बीमारी के बारे में बताने से बचते हैं और दवा लेने से भी बचते हैं और बीमारी को छिपा कर रखते हैं। इस बीमारी को फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त होता है।

इस अवसर पर अन्य के अलावा सहायक आयुक्त (प्रशिक्षणाधीन) डॉ. गुरलीन सिद्धू, चिकित्सा अधिकारी विशेषज्ञ डॉ. निर्मल कुमार, जिला समूह शिक्षा एवं सूचना अधिकारी जगत राम, प्रखंड विस्तार शिक्षक विकास विरदी, विकास अग्रवाल सहित अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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