Sonu Sood became the God of the workers: मजदूरों के मसीहा बने सोनू सूद

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लंबी तालाबंदी (लॉकडाउन) के चलते पूरे देश में पर प्रांतीय मजदूरों में अपने गांव जाने की आपाधापी मची हुई है। देश भर में करोड़ों मजदूर दूसरे प्रांतों में जहां वो काम करते थे फंसे हुए थे। वो सब कैसे भी करके अपने घर जाना चाहते थे। मगर उनको कोई साधन नहीं मिल रहा था। देश के हर बड़े शहर, औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मजदूर लोग फंसे पड़े थे। जिनको न खाने का ठिकाना था ना रहने का। ऐसे में बेबस मजदूर करे तो क्या करें। कोई उनका दुख सुनने को तैयार नहीं था। सरकारें आंख मूंदे बैठी थी। मुंबई, अहमदाबाद, सूरत सहित अनेकों स्थानों पर घर जाने के लिए एकत्रित हुए मजदूरों पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी थी। घर जाने की आस में रेलवे स्टेशनों के बाहर एकत्रित हजारों मजदूर पुलिस के डंडे खाने के बावजूद भी बार बार चक्कर लगा रहे थे कि उन्हें कोई साधन मिल जाए और कैसे भी करके वह अपने घर पहुंच जाएं।
ऐसे अफरा-तफरी भरे माहौल में मुंबई के पर प्रांतीय मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए फिल्म अभिनेता सोनू सूद देवदूत बनकर आगे आए। उन्होंने अपने खर्चे से निजी बसे बुक करके मजदूरों को उनके घर पहुंचाने लगे। सोनू सूद ने अपना एक मोबाइल नंबर भी जारी किया जहां कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति 24 घंटे मदद मांग सकता है। अब तक सोनू सूद ने कई हजार लोगों को उनके घरों तक पहुंचा दिया है। हर कोई फिल्म अभिनेता सोनू सूद के काम की तारीफ कर रहा है। सोनू सूद ने इस संकट की घड़ी में लोगों की मदद कर यह साबित भी कर दिया है कि जो संकट में मदद करें वही असली जिन्दगी का हीरो होता है ।
फिल्मी दुनिया में हालांकि सोनू सूद खलनायक के रोल करता है। मगर इस वक्त संकट की घड़ी में उन्होंने जो भूमिका अदा की है उसके सामने बड़े-बड़े सुपरस्टार भी फेल नजर आते हैं। सोनू सूद के काम से प्रभावित होकर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी उनको राजभवन बुलाकर उनके काम की तारीफ की है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, फिल्म अभिनेता अजय देवगन, भोजपुरी एक्टर व गोरखपुर के सांसद रवि किशन सहित बहुत सी नामी हस्तियों ने सोनू सूद के काम की तारीफ की है। आज सोशल मीडिया पर सोनू सूद सबसे चर्चित शख्स बन चुका है। अपनी मदद से प्रभावित होकर एक पर प्रांतीय मजदूर ने तो अपने बेटे का नाम सोनू के नाम पर रख दिया है। कोरोना पीड़ितों की मदद करने के लिए सोनू सूद ने मुंबई में जुहू स्थित अपने होटल को भी एकांतवास (क्वारींटीन) केंद्र बनाने के लिए बीएमसी को दे चुके हैं।
अक्सर बड़ी बड़ी फिल्मों में हीरो को टक्कर देते दिखने वाले मजबूत कद काठी वाले शरीर के सोनू सूद हिंदी फिल्मों में एक बड़े विलेन है। उन्होंने प्राय सभी बड़े निमार्ता-निर्देशकों व फिल्म अभिनेताओं के साथ फिल्में की है। जिनमें उनकी मुख्य विलेन की भूमिका रहती है। एक्टिंग के साथ सोनू सूद अपनी फिटनेस के लिए भी जाने जाते हैं। वह सुबह जल्दी उठतकर वर्क आउट करते हैं। अपने खाने-पीने व दिनचर्या को लेकर भी वो काफी सजग रहते हैं। ताकि उनका कसरती व्यक्तित्व बना रहे।
संकट की इस घड़ी में हजारों परिवारों को उनके घर पहुंचाने में मदद कर चुके सोनू सूद आज अनेको लोगों के चहेते बन गए हैं। हर कोई उन्हें दिल से दुआ दे रहा है। इंटरनेट पर उनका एक मैसेज उपलब्ध रहता है। जिसमें उन्होंने जरूरतमंदों को जानकारी देने को कहा है कि अगर किसी भी व्यक्ति को अपने घर जाना हो तो वह सोनू से संपर्क कर सकता है। लोगों का भी मानना है इस संकट की इस घड़ी में सोनू सूद का नाम ही काफी है। अपने घर जाने वाले लोगों ने सोनू को केंद्र और राज्य सरकारों से अच्छा बताया है। लोगों ने कहा कि सोनू सूद ने वह काम कर दिखाया है जो केंद्र और राज्य सरकारें भी नहीं कर पाई।
पंजाब के मोगा के रहने वाले सोनू सूद पेशे से इंजीनियर है। उन्होंने फिल्मी दुनिया में जगह बनाने के लिये काफी संघर्ष किया है। मॉडलिंग से अपने अभिनय की शुरूआत करने वाले सोनू सूद हॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता जैकी चेन के साथ भी काम कर चुके हैं। प्रारंभ में उन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा की फिल्मों में काम किया था। इस कारण उनको इन भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान है। आज हर कोई सोनू की तारीफ करते नहीं थकता है। कोई उन्हें राजनीति में आकर लोगों की सेवा करने की बात करता है तो कोई सोनू के नाम पर फैंस क्लब बना रहा है। कई लोगों ने सरकार से उनको पदमभूषण देने की मांग की है। कई लोगों ने उनके किरदार को अपने जीवन में ढ़ालने का संकल्प लिया है। कुल मिलाकर सोनू सूद ने ऐसी विपदा में लोगों के लिए जो कुछ किया है उसके सामने सरकारों के प्रयास भी कम नजर आते हैं। हजारों किलोमीटर के सफर पर भूखे, नंगे, पैदल अपने परिवार सहित घर जाने को निकले लोगों की आनन-फानन में मदद कर सोनू सूद ने दिखा दिया की प्रयास चाहे छोटा हो या बड़ा। यदि सच्चे मन से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। जिसके परिणाम भी बहुत अच्छे होते हैं।

रमेश सर्राफ धमोरा
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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