So these are ‘Excellencies’ who turn ‘disaster into opportunity’? तो ये हैं ‘आपदा को अवसर में बदलने’ वाले ‘महानुभाव’ ?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक संबोधन में कोरोना महामारी के सन्दर्भ में कहा था कि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया है।  प्रधानमंत्री ने कहा था कि इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत, एक संदेश और एक अवसर लेकर आई है। अपने इस कथन के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री ने यह उदाहरण पेश किया कि -‘जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाम मात्र उत्पादन होता था परन्तु आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज दो लाख पीपीई किट और दो लाख एन 95 मास्क का उत्पादन किया जा रहा है। आपदा को अवसर में बदलने के सन्दर्भ में इससे भी बड़ी संभावनाएं देखते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित अनेक जिम्मेदार नेताओं व नीति निमार्ताओं द्वारा कोरोना को लेकर चीन की हो रही वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय छीछालेदर को देखते हुए चीन से बड़े पैमाने पर आयात व चीनी सामानों पर निर्भरता छोड़ कर आत्म निर्भर बनने पर भी चिंतन शुरू किया जा चुका है। परन्तु जहां सरकार की कोशिशें आपदा को अवसर में बदलते हुए आत्म   निर्भर बनने की हैं वहीं कुछ जनविरोधीव राष्ट्रविरोधी मानसिकता रखने धनलोभी व भ्रष्ट प्रवृति के लोग शायद इस आपदा को अपने स्वयं के लिए एक ‘शुभ अवसर’ में बदलने जैसा अर्थ निकालने लगे हैं।
जब देश में प्रथम लॉकडाउन की घोषणा हुई उसी समय धनलोभी एवं मानवता विरोधी लुटेरों ने इस आपदा को अपने लिए अवसर समझते हुए जमाखोरी व लूट का काम शुरू कर दिया था। रातोंरात जरूरी व दैनिक उपयोगी वस्तुओं के मूल्य अचानक  बढ़ गए थे। परन्तु सरकार की तत्काल कार्रवाइयों, चेतावनियों व तत्परता से इसपर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सका। परन्तु अपना जीवन इसी हरमखोरी की कमाई करने में गुजारने वाले भला अपनी हरकतों से कहां बाज आने वाले। इस मानसिकता के लोग तो शायद यही समझते हैं कि कोरोना आपदा होगी दूसरों के लिए उनके लिए तो यह लूट खसोट और हरमखोरी का ही अवसर है। यही वजह है कि भ्रष्टाचार की अनेक शर्मनाक घटनाएं सामने आईं। पंजाब में कोरोना संक्रमण से मरीजों डॉक्टर्स व पैरा-मेडिकल स्टाफ को बचाने के लिए खरीदी गई करोड़ों रुपए की पी.पी.ई. किट्स, मास्क व अन्य मेडिकल संबंधी जरूरी सामान की खरीद में घोटाले का समाचार प्राप्त हुआ। अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल में 800 रुपए में मिलने वाली घटिया किस्म की पी पी इ किट लगभग 2100 रुपए में खरीदी गई। यह भी आरोप लगे की इसी घटिया किट के चलते कई कोरोना योद्धा संक्रमित होकर अपनी जान भी गँवा चुके। कई कोरोना योद्धाओं ने इसे पहनने से इन्कार भी कर दिया। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग द्वारा खरीदे गए ठ-95 मास्क की जगह पर धूल साफ करने वाले मास्क खरीदे जाने का भी आरोप लगा। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में हुए पीपीई किट घोटाले में मामले ने इतना तूल पकड़ा कि हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को निलंबित किया गया तथा इस लूट खसोट में शामिल हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल को भी त्याग पत्र देना पड़ा।  इस लूट व रिश्वत कांड में और भी कई विभागीय गिरफ्तारियां भी हुई हैं और छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर नकदी बरामदगी के भी समाचार हैं। हिमाचल प्रदेश में ही कुल्लू में सेनिटाइजर खरीद में भी घोटाले के समाचार प्राप्त हुए हैं।
सबसे शर्मनाक समाचर तो प्रधानमंत्री के अपने गृह राज्य गुजरात से आया जहां ऐसा घटिया वेंटिलेटर अत्यंत मंहगी कीमत पर सरकार को सप्लाई किया गया जो वास्तव में वेंटिलेटर है ही नहीं। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी द्वारा अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इस नकली वेंटिलेटर का उद्घाटन किया गया था। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि विजय रुपाणी के राजकोट के एक घनिष्ठ उद्योगपति मित्र द्वारा सप्लाई किया गया यह वेंटिलेटर न केवल  नकली है, बल्कि इससे मरीजों की जान को खतरा भी हो सकता है। गुजरात से प्राप्त खबरों के मुताबिक जिसे वेंटिलेटर बताया जा रहा है वह दरअसल अंबु बैग है। लिहाजा मुख्य मंत्री ‘विजय रुपाणी द्वारा अंबु बैग को वेंटिलेटर के तौर पर सेटअप करवाने से साफ जाहिर होता है कि गुजरात सरकार मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है और निश्चित रूप यह एक आपराधिक कृत्य है।  गत 4 अप्रैल को विजय रुपाणी ने जब इस नकली वेंटिलेटर का उद्घाटन किया था उस समय उनके ‘प्रवचन ‘ के शब्द यह थे -‘इस समय जब कि पूरी दुनिया कोविड 19 जैसी महामारी का सामना कर रही है और मामलों के बहुत तेजी से बढ़ने के चलते वेंटिलेटर की कमी हो रही है। ऐसे समय में सस्ते वेंटिलेटर बनाकर गुजरात इस महामारी से लड़ने वाले दुनिया के तमाम देशों की कतार में सबसे आगे खड़ा हो जाएगा। ‘परन्तु इस नकली वेंटिलेटर का भंडाफोड़ होने के बाद इस मामले ने एक बार फिर पूरे गुजरात को शर्मसार कर दिया है। क्या सत्ता की आड़ में जनता के पैसों को लूटना, अपने मित्र उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना और लोगों की जान से खिलवाड़ करने को ही ‘आपदा को अवसर’ में बदलना कहते हैं? गौरतलब है कि यह लूट उस राज्य की है जो न केवल प्रधानमंत्री का राज्य है बल्कि जो देश के दूसरे नंबर का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित राज्य भी है।
‘आपदा को अवसर’ में बदलने की यह कला केवल नेताओं को ही नहीं आती बल्कि इन्हीं से प्रेरणा प्राप्त आम आदमी  भी इस हुनर से भली भांति वाकिफ है। तभी पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान अफीम की तस्करी करने वाले एक ऐसे गिरोह का पदार्फाश किया है, जो झारखंड के नक्सल प्रभावित हजारीबाग इलाके से ई-पास लेकर वाहन के जरिए दिल्ली में अफीम लेकर आता था। गिरफ़्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने लगभग 12 किलोग्राम अफीम बरामद की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब दो करोड़ रुपये बताई गई है। दरअसल भ्रष्टाचारियों की वह निर्दयी दुनिया है जो प्राय: नेताओं के संरक्षण में हर ‘आपदा में ही अवसर’ की तलाश कर लेती है। जब यह शक्तियां कारगिल युद्ध के दौरान देश पर कुर्बान होने वाले भारत माता के लाल शहीदों के कफन व ताबूत की खरीद में घोटाला कर सकती हैं तो इनके लिए करोना महामारी की आड़ में पी पी ई किट, टेस्टिंग किट, मास्क या एन-95 मास्क या अन्य मेडिकल संबंधी दवाइयों व दूसरी सामग्रियों में लूट खसोट व घोटाला किया जाना कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है। अभी देश को इसी कोरोना आपदा के दौरान और भी ऐसे अनेक समाचार मिलेंगे जिससे पता चलेगा कि किन किन नेताओं के संरक्षण में ‘आपदा को अवसर में बदलने’ का इस तरह का घिनौना खेल खेला गया है।

निर्मल रानी
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। य़ह इनके निजी विचार हैं।)

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